मानसून की बारिश अपने तय समय से पीछे चल रही है, और कई राज्यों में चढ़ता पारा रिकॉर्ड तोड़ रहा है. ऐसे में उत्तर भारत जबरदस्त हीट वेव (लू) की चपेट में है.
ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं है. अमेरिका और कनाडा सहित उत्तरी गोलार्ध के कई देशों में तापमान अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है, जिससे सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है.
हीट वेव से अछूती जगहों पर भी इतना ज्यादा तापमान दर्ज कर किया जा रहा है, जितना पहले कभी नहीं था और गर्मी इंसान के सहने की क्षमता का इम्तेहान ले रही है.
तो बात करते हैं कि इंसानी शरीर बहुत तेज गर्मी का किस तरह सामना करता है? आप कैसे बचाव कर सकते हैं? यहां हम हीट वेव के बारे में वो सब बता रहे हैं, जो आपको जानने की जरूरत है.
हालांकि विश्व स्तर पर हीट वेव की एक जैसी तय परिभाषा नहीं है, मगर कहा जा सकता है कि यह असामान्य रूप से गर्म मौसम का दौर है, जो आमतौर पर दो दिन से ज्यादा समय तक रहता है. यह नमी के साथ या बिना नमी के हो सकता है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, अलग-अलग क्षेत्रों के लिए हीटवेव को अलग-अलग परिभाषित किया गया है. “यह किसी इलाके में वास्तविक या सामान्य तापमान से तापमान स्तर के अलग होने के आधार पर परिभाषित की जाती है.”
इंसानी शरीर का सामान्य तापमान करीब 98 डिग्री फॉरेनहाइट होता है, जो 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर है और इससे ऊपर की किसी भी स्थिति को बुखार कहा जाता है.
तापमान को नियंत्रित करने और खुद को ठंडा रखने के लिए शरीर का अपना तरीका है.
पसीना आना
वेसेल्स का फैलाव
सबसे आम तरीका है पसीना निकलना है. गुड़गांव के मैक्स अस्पताल में इमरजेंसी मेडिसिन के हेड डॉ. सलिल मलिक कहते हैं, “यह पानी की कुछ मात्रा को गंवाने की शरीर की व्यवस्था है. जब पानी भाप बनता है, तो तरल पदार्थ त्वचा से भाप बनकर निकलता है. तब यह शरीर से या ताप के स्थानांतरण के माध्यम से गर्मी को खत्म निकालता है.”
दूसरा तरीका ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाओं) के फैलाव का है.
डॉ. मलिक बताते हैं, “बुनियादी तौर पर शरीर के बाहरी हिस्से की वेसेल्स का फैलाव होता है और इससे बाहरी किनारों से गर्मी खत्म होती है, जिससे शरीर का अंदरूनी हिस्सा ठंडा रहता है.”
यह बहुत से लोगों में उस समय देखा जा सकता है, जब बहुत गर्मी महसूस होने पर उनके गाल लाल हो जाते हैं. इसी तरह त्वचा लाल हो जाती है और तपने लगती है.
जब शरीर ऊंचे तापमान के संपर्क में आता है, तो ठंडा होने की प्रक्रिया मुश्किल हो सकती है.
इस तरह की हालत में शरीर से पसीना निकलता है और तरल पदार्थ की कमी होने लगती है. डॉ. मलिक कहते हैं,
वह कहते हैं, अगर यह डीहाइड्रेशन बढ़ता है, तो यह दिमाग पर असर डाल सकता है, जिससे भ्रम, बेचैनी और ध्यान भटकना जैसे लक्षण हो सकते हैं.
बहुत तेज गर्मी के दौरान किसी शख्स को थकावट हो सकती है और बहुत तेज गर्मी के मामलों में हीट स्ट्रोक (लू लगना) हो सकता है.
डॉ. मलिक कहते हैं, “गर्मी से तेज थकावट तब होती है, जब आप बहुत देर तक गर्मी में रहते हैं, आपके शरीर का पानी सूख जाता हैं और डीहाइड्रेटेड हो जाते हैं, आपको प्यास लगती है और आपको थकान महसूस होती है और एक साथ ढेर सारा पसीना निकलता है.”
कुछ बुनियादी इंतजाम करके और थोड़ा तरल पदार्थों के सेवन से आप इन लक्षणों को कम कर सकते हैं.
डॉ. मलिक कहते हैं, “बहुत ज्यादा थकान होती है और विडंबना यह है कि पसीना होने की बजाए त्वचा ज्यादा गर्म और सूखी होती है. हालत ज्यादा खराब होने पर आप बेहोश भी हो सकते हैं.”
हीट स्ट्रोक एक ऐसी चीज है, जो निश्चित रूप से मेडिकल इमरजेंसी की हालत है और जिसके लिए फौरन इलाज की जरूरत होती है.
गर्मी से जुड़ी बीमारियों के दूसरे हल्के रूपों में हीट बर्न शामिल है, जिससे त्वचा में जलन और खुजली हो सकती है. अल्ट्रा वायलेट डैमेज से त्वचा का रंग भी काला पड़ जाता है.
अगर शरीर की साफ-सफाई का ठीक से ख्याल नहीं रखा जाता है, तो बहुत ज्यादा पसीने से नाजुक अंगों के पास और बगल में फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है.
डॉ. मलिक का कहना है कि कि बुजुर्गों और 12 साल से कम उम्र के बच्चों को गर्मी से जुड़ी गंभीर बीमारियों का ज्यादा जोखिम होता है.
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, दूधमुंहे और चार साल तक के बच्चों, 65 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों, अधिक वजन वाले लोगों और बीमार लोगों या कुछ दवाएं लेने वाले लोगों के लिए ज्यादा खतरा होता है.
शरीर का बहुत ज्यादा तापमान दिमाग या दूसरे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है.
डॉ. मलिक कहते हैं,
बहुत तेज गर्मी में किडनी पर भी असर पड़ सकता है.
डॉ. मलिक बताते हैं, “हमारे पास ऐसे मरीज आते हैं, जो इस हद तक डीहाइड्रेटेड होते हैं कि किडनी में खून का बहाव कम हो जाता है, जिससे किडनी में इंजरी हो जाती है और क्रिएटिनिन बढ़ जाता है. अगर मरीज को कई दूसरी बीमारियां हैं और कमजोरी है तो इससे किडनी काम करना बंद कर सकती है.”
बहुत तेज गर्मी के दौरान हीट स्ट्रोक और दूसरी बीमारियों के लक्षणों पर नजर रखें.
डॉ. मलिक के अनुसार, आप अस्पताल की सुविधा लिए बिना कुछ उपायों पर अमल कर अपना बचाव कर सकते हैं.
नोट: जब आप ठंडे पानी से शरीर को पोछते हैं, तो पानी के भाप बनने से शरीर से ज्यादा से ज्यादा गर्मी बाहर निकलती है. याद रखें कि ठंडा पानी गर्मी को बाहर नहीं निकालता है. यही वजह है कि हवा को सर्कुलेट करने के लिए नजदीक में पंखा होना जरूरी है.
सनस्क्रीन लगाएं
धूप में बाहर निकलने से 30 मिनट पहले कम से कम 30 एसपीएफ (सन प्रोटेक्शन फैक्टर) वाली सनस्क्रीन लगानी चाहिए.
डॉ. मलिक का कहना है, “यह केवल तीन से चार घंटे काम करती है. ऐसा नहीं है कि आप इसे सुबह लगाते हैं, तो इससे पूरे दिन काम चल जाएगा.” इसलिए इसे पूरे दिन लगाना चाहिए.
ढीले सूती कपड़े पहनें
आप घर से बाहर निकलते हैं, तो आरामदायक कपड़े पहनें, बेहतर हो कि कॉटन के कपड़े पहनें, जिससे कि शरीर को अच्छे से हवा लगे.
भरपूर पानी/तरल पदार्थ पीएं
यह निश्चित रूप से बहुत जरूरी है कि आप ढेर सारा पानी या तरल पदार्थ पीएं.
डॉ. मलिक कहते हैं, “आप कुछ पीने के लिए प्यास लगने का इंतजार न करें.”
बुजुर्गों को धूप में पैदल चलने से बचना चाहिए
सुबह जल्दी या शाम को टहलना बेहतर होता है क्योंकि बुजुर्गों को गर्मी से जुड़ी बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है. तेज गर्मी में बच्चों को भी बाहर नहीं जाना चाहिए.
कोई भी चीज खाने से परहेज न करें
ऐसा कोई खाना नहीं है, जो शरीर में गर्मी पैदा करता है या आपको गर्मी का एहसास कराता है.
डॉ. मलिक कहते हैं, “यह बाहरी कारक है. मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि कुछ खास फूड्स खाने से आपको बचना चाहिए. किसी भी चीज के बारे में बातें मिथक हैं.”
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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