विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार, 6 अक्टूबर 2021 को मलेरिया से बचाव के लिए बच्चों में दुनिया की पहली वैक्सीन RTS,S/ASO1, जिसे Mosquirix के नाम से भी जाना जाता है, के इस्तेमाल की सिफारिश की है.

मलेरिया की रोकथाम के लिए दुनिया की इस पहली वैक्सीन के बारे में क्या-क्या पता है, कैसे काम करती है ये वैक्सीन और कितनी कारगर है? यहां समझते हैं.

Mosquirix क्या है?

यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी के अनुसार, Mosquirix एक वैक्सीन है जो 6 हफ्ते से 17 महीने के बच्चों को प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम नाम के पैरासाइट के कारण होने वाले मलेरिया से बचाने में मदद के लिए है. Mosquirix हेपेटाइटिस B वायरस से लिवर के संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है, लेकिन इसका उपयोग केवल इस उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

इस वैक्सीन का विकास 1987 में ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline) ने किया था.

इस वैक्सीन का इस्तेमाल आधिकारिक सिफारिशों के अनुसार केवल दुनिया के उन क्षेत्रों में किया जाना चाहिए, जहां प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के कारण होने वाले मलेरिया का प्रकोप है.

मलेरिया की इस वैक्सीन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?

WHO ने सिफारिश की है कि व्यापक मलेरिया नियंत्रण के लिए RTS,S/AS01 मलेरिया वैक्सीन का इस्तेमाल मध्यम से लेकर ज्यादा संचरण वाले क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों के लिए पी. फाल्सीपेरम मलेरिया (P. falciparum) की रोकथाम के लिए किया जाना चाहिए.

मलेरिया की बीमारी और इसके बोझ को कम करने के लिए 5 महीने की उम्र से बच्चों को इसकी 4 डोज दी जानी चाहिए.

Mosquirix को जांघ की मांसपेशियों में या कंधे के आसपास की मांसपेशियों में 0.5 ml इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है. बच्चे को एक महीने के गैप पर इसकी तीन डोज दी जाती है.

चौथी डोज तीसरी डोज के 18 महीने देने की सलाह दी जाती है.

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मलेरिया की ये वैक्सीन कैसे काम करती है?

यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी के मुताबिक Mosquirix का सक्रिय पदार्थ प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी और हेपेटाइटिस B वायरस की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बना होता है.

जब बच्चे को वैक्सीन लगाई जाती है, तो इम्यून सिस्टम पैरासाइट के उस प्रोटीन की पहचान कर एंटीबॉडी तैयार करता है.

इस तरह बाद में अगर वो बच्चा असल में मलेरिया के उस पैरासाइट के संपर्क में आता है, तो इम्यून सिस्टम अधिक तेजी से एंटीबॉडी तैयार कर सकेगा.

मलेरिया के इस वैक्सीन की एफिकेसी कितनी पाई गई है?

इस वैक्सीन की एनालिसिस में पाया गया है कि बच्चों में मलेरिया के गंभीर मामलों को रोकने में इसकी प्रभावशीलता 30 प्रतिशत रही.

WHO के मुताबिक अब तक 3 अफ्रीकी देशों में वैक्सीन की 23 लाख से अधिक डोज दी जा चुकी है और वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है.

मलेरिया की वैक्सीन के साइड इफेक्ट क्या हैं?

WHO ने कहा कि इसके दुर्लभ साइड इफेक्ट में बुखार के साथ मरोड़ की समस्या हो सकती है.

Mosquirix पर क्लीनिकल स्टडीज में बुखार (कुछ मामलों में दौरे के साथ बुखार), चिड़चिड़ापन और इंजेक्शन साइट पर प्रतिक्रियाएं जैसे दर्द और सूजन रिपोर्ट किया गया.

Mosquirix के फायदे क्या हैं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि मलेरिया को रोकने के मौजूदा उपायों के साथ इस वैक्सीन के इस्तेमाल से हर साल हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है.

WHO के मुताबिक घाना, केन्या और मलावी में 2019 में शुरू हुए पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों पता चला है कि 3 देशों में दो-तिहाई से अधिक बच्चे जो मच्छरदानी में नहीं सोए, उन्हें वैक्सीन से फायदा हुआ.

सात अफ्रीकी देशों में 12 हजार से अधिक बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में, 12 महीने में मलेरिया से पीड़ित बच्चों की संख्या 6 से 12 हफ्ते (पहली डोज) के बच्चों में 24% कम थी और 5 से 17 महीने के बच्चों में पहली डोज के बाद 43% तक कम हुई.

WHO ने इसे बच्चों के स्वास्थ्य और मलेरिया नियंत्रण के लिए बड़ी उपलब्धि करार दिया है.

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Published: 07 Oct 2021,04:56 PM IST

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