मेरी फेसबुक की टाइम लाइन पर हर तीसरी पोस्ट एक सेल्फी है. हर चौथी शायद खुद की मोरक्को यात्रा का विस्तार से विवरण है, दफ्तर की मेज पर एक तस्वीर, ताजा रिलेशनशिप का हालचाल... और क्या-कुछ है आपके पास.
निश्चित रूप से, यह स्वान्तः सुखाय लगता है, और कई बार इस ‘मैं मैं मैं’ के फेर में आप शेख चिल्ली लगने लगते हैं.
लेकिन क्या यह सब नार्सिसिज्म (आत्मपूजा) मान लिए जाने के लिए काफी है?
नार्सिसिज्म का हमारा विचार, अधिकांशतः सोशल मीडिया से पोषित होता है. अगर कोई हमेशा खुद के बारे में बात करता है, या उन फोटो को पोस्ट करता है, जो उसे अच्छा दिखाते औरअच्छा महसूस कराते हैं- तो ऐसे लोगों को नार्सिसिस्ट ठहरा दिया जाता है.
सच्चाई यह है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म लोगों को बात करने और खुद को अभिव्यक्त करने के लिए एक खुली जगह देते हैं, और ज्यादातर लोग नार्सिसिस्ट का ठप्पा लगाए जाने की परवाह किए बिना इस मौके का पूरा फायदा उठाते हैं.
भले ही आप उन्हें आत्म-मुग्ध इंसान के रूप में देखते हों, लेकिन निश्चित रूप से वो नार्सिसिस्ट नहीं हैं, और उनको ऐसा करार दिया जाना वास्तव में एक बेहद गंभीर पर्सनालिटी डिसऑर्डर का सरलीकरण कर दिया जाना है.
अगर आत्ममुग्धता या अपनी प्रशंसा नार्सिसिज्म नहीं है, तो नार्सिसिज्म क्या है और आप कैसे फर्क कर सकते हैं कि आपके फेसबुक वाल पर मौजूद लोगों में से कोई नार्सिसिस्ट है, या फिर ऐसा शख्स है, जो अपने बारे में बहुत ज्यादा बात करता है?
आइए जानते हैं कैसे:
नार्सिसस- जिसके नाम पर इस बीमारी का नाम रखा गया है, वो अपनी ही छवि के प्यार में पड़ गया था. धीरे-धीरे वह जीने की इच्छा खो बैठा, क्योंकि उसे खुद को निहारने से ज्यादा कुछ अच्छा नहीं लगता था. आखिरकार, वह सूख कर कंकाल हो गया.
स्पष्ट रूप से नार्सिसिज्म में इंसान सिर्फ खुद पर असाधारण आसक्ति रखता है, लेकिन ये सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है. अहंकार और आत्मलीनता नार्सिसिस्ट व्यक्तित्व के लक्षण हैं, लेकिन सिर्फ इनके होने से किसी व्यक्ति को नार्सिसिस्ट नहीं माना जा सकता है.
अगर आप नार्सिसिज्म को सिर्फ खुद से प्रेम समझ कर खारिज कर रहे हैं, तो आप उन लोगों की और साथ ही उनके पास रहने वालों की अनदेखी कर रहे हैं, जिनमें वास्तव में इसके लक्षण हैं.
हालांकि आत्मलीन (खुद में मगन) बर्ताव पर गुस्सा आ सकता है, लेकिन यह आमतौर पर दूसरों के लिए हानिकारक नहीं है. जो चीज हानिकारक है, वह है एक नार्सिसिस्ट में सहानुभूति की बहुत ज्यादा कमी- कुछ ऐसा जिससे लोग उनके साथ जुड़ नहीं पाते हैं.
एक नार्सिसिस्ट खुद को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. ऐसे लोग निश्चित रूप से किसी और की भावनाओं की कद्र करने में अक्षम हैं, और अपने लिए दूसरों का फायदा उठाने से पहले एक बार भी नहीं सोचते हैं.
उनके व्यक्तित्व का यही हिस्सा प्यार और दोस्ती में रुकावट बनता है.
(क्या आप भी डोनाल्ड ट्रंप के बारे में सोच रहे हैं?)
एक सुशिक्षित नार्सिसिस्ट कार्यस्थल पर जोश भर देने में सक्षम हो सकता है. उनके आत्मलीन रहने की भावना और दूसरों को अपना महत्व मनवाने की आवश्यकता प्रेरणादायी बल की तरह काम करती है, जो उन्हें किसी और के मुकाबले कड़ी मेहनत और बेहतर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है. उनका आकर्षण, बात करने का कौशल और जोखिम लेने की प्रवृत्ति उन्हें संपूर्ण नेता बनाती है!
शोध के मुताबिक, नियोक्ता (काम देने वाले) लोग लीडर की भूमिका के लिए किसी नार्सिसिस्ट शख्स की ही तलाश करते हैं.
नार्सिसिस्ट, अपने महिमा मंडन के लिए, बेहद असुरक्षित महसूस कर सकते हैं. यह असुरक्षा उनके मन में कमजोरी भर देती है, कि लोग उनके बारे में क्या सोचते होंगे. यही कारण है कि वे सामाजिक रूप से खुद को दूसरों से दूर कर लेते हैं.
ये लोग आक्रामक व्यवहार और खुद के बारे में शर्म की गहरी भावनाओं के बीच भी झूलते हो सकते हैं.
इसका अंतिम नतीजा होता है- एकदम अकेलापन.
अगर आपको लगता है कि नार्सिसिज्म और इस डिसऑर्डर से पीड़ित शख्स की परवरिश का कोई संबंध होता है, तो आप सही हो सकते हैं.
जिन बच्चों की उपेक्षा की जाती है, या जिनकी अनदेखी होती है. या इसके विपरीत जिनका जरूरत से ज्यादा ख्याल रखा जाता है. ऐसे बच्चों के नार्सिसिस्ट होने की आशंका बढ़ जाती है.
इसके साथ ही ये बात ध्यान रखनी चाहिए कि नार्सिसिज्म में परवरिश की भूमिका हो सकती है, लेकिन इस डिसऑर्डर का यह अकेला कारक नहीं है.
व्यक्तित्व और नार्सिसिज्म को लेकर किए गए शोध में भय, चिंता और NPD (नार्सिसिस्ट पर्सनालिटी डिजीज) के बीच संबंध पाया गया है. इसका मतलब है कि उनके आत्म-प्रेम और ध्यान खींचने की आवश्यकता वास्तव में डर और चिंता की भावनाओं से बचने का तरीका हो सकता है.
नार्सिसिस्ट लोग मानते हैं कि अगर वो संवेदनशील बनते हैं और खुद को भय से संचालित होने देते हैं, तो वे आत्मघाती प्रवृत्तियों की तरफ बढ़ सकते हैं.
अगर आप सोच रहे हैं कि क्या आप भी इसके दायरे में आते हैं, तो एक ऑनलाइन उपलब्ध लिस्ट है, जिसे नार्सिसिस्टिक व्यक्तित्व सूची (Narcissistic Personality Inventory) कहा जाता है. इसकी मदद से NPD का पता लगा सकते हैं.
हालांकि, बेहतर यही होगा कि एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की देखरेख में ही जांच कराई जाए.
(प्राची जैन एक मनोवैज्ञानिक, ट्रेनर, आशावादी, रीडर और रेड वैल्वेट की शौकीन हैं.)
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