"मुझे भ्रम और चक्कर सा एहसास हुआ."

"मुझे किसी गंध या स्वाद का एहसास नहीं हो रहा था."

दुनिया भर में COVID-19 से ठीक हुए कई मरीजों ने इस बीमारी के दौरान इस तरह के लक्षणों के बारे में बताया है, जो सांस की किसी तकलीफ से नहीं जुड़े हैं. हैरान करने वाली बात ये है कि कुछेक लोगों में जिन्हें स्ट्रोक, जिनके स्वाद या सूंघने की क्षमता पर असर पड़ा, उनमें सांस से जुड़ा कोई लक्षण नहीं देखा गया.

कुछ स्टडीज और रिपोर्ट में कोरोना वायरस के कारण एन्सेफैलोपैथी (मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी), भ्रम, चक्कर आना और स्ट्रोक का जिक्र किया गया है.

वहीं अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने बुखार, खांसी और सांस में दिक्कत के अलावा COVID-19 के लक्षण की लिस्ट में 6 नए लक्षण जोड़े हैं:

  • ठंड लगना
  • ठंड के साथ कंपकंपी
  • मांसपेशियों में दर्द
  • सिर दर्द
  • गला खराब
  • सूंघने या स्वाद का एहसास न होना
COVID-19 के मामलों में ज्यादातर लोगों में बुखार, खांसी और सांस में तकलीफ जैसे लक्षण देखे गए हैं लेकिन नई स्टडीज कुछ लोगों में कोरोना वायरस के कारण न्यूरोलॉजिकल असर के बारे में बताती हैं. ऐसे में सूंघने की क्षमता में कमी आने या स्वाद का एहसास न होने पर सेल्फ-आइसोलेट किया जाना चाहिए या नहीं, इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है.

ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि क्या कोरोना वायरस सीधे दिमाग पर असर डालता है या मस्तिष्क से जुड़ी जटिलताएं ब्लड क्लॉट या वायरस के प्रति इम्युन सिस्टम के रिस्पॉन्स से जुड़ी हैं. एक्सपर्ट्स किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए और स्टडीज की बात करते हैं.

COVID-19 और स्ट्रोक

वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में बताया गया कि कई युवा मरीज जिनमें कोविड-19 के कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे थे और जो पहले से किसी क्रोनिक कंडिशन से पीड़ित नहीं रहे, वे स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं. उनमें से ज्यादातर लोग स्ट्रोक के दौरान घर पर थे और कोविड-19 से अनजान थे.

ये बात कि वायरस फेफड़ों के अलावा और भी अंगों पर असर डाल रहा है, इससे इसका मैकेनिज्म समझना मुश्किल है और इसके बारे में कई चीजें एक-एक कर सामने आ रही हैं. इस वायरस से दिमाग पर असर को लेकर ज्यादा मामले नहीं हैं और न ही पर्याप्त निश्चित अध्ययन हैं, लेकिन अमेरिका में कुछ एक्सपर्ट्स और रिपोर्टों में इस पर चिंता जताई जा रही है.

कुछ एक्सपर्ट्स सुझाते हैं कि स्ट्रोक की वजह शरीर में ब्लड क्लॉटिंग हो सकती है, जो कि कोरोना रोगियों में असामान्य रूप से देखा जा रहा है. रिपोर्ट यह भी बताती है कि कई रोगियों को मिनी-स्ट्रोक के विपरीत बड़े स्ट्रोक का सामना करना पड़ा है.

CNN की एक रिपोर्ट में न्यूयॉर्क में माउंट सिनाई हेल्थ सिस्टम के न्यूरोसर्जन डॉ थॉमस ऑक्सले के हवाले से कहा गया, "वायरस बड़ी धमनियों में क्लॉटिंग का कारण बनता है, जिससे गंभीर स्ट्रोक होता है."

ब्लड क्लॉटिंग के अलावा वायरस का सीधे सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर हमला करने की भी परिकल्पना की गई है.

कोरोना के मरीजों में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं

जामा नेटवर्क की एक प्रारंभिक रिपोर्ट मस्तिष्क पर कोरोना वायरस के असर की पड़ताल करती है. 214 रोगियों को शामिल किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि 78 रोगियों (36.4%) में कुछ प्रकार के न्यूरोलॉजिकल प्रभाव देखे गए. इसे तीन कैटेगरी में रखा गया- जैसे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर असर जिसमें स्ट्रोक, चक्कर आना शामिल हैं, परिधीय तंत्रिका तंत्र पर असर जिसमें स्वाद का एहसास न होना, सूंघने की क्षमता प्रभावित होना शामिल है और मस्कुलर दिक्कतें शामिल हैं.

इस अध्ययन के अनुसार, ज्यादातर न्यूरोलॉजिकल लक्षण बीमारी की शुरुआत में सामने आए और COVID-19 के विशिष्ट लक्षणों के बिना कुछ रोगी केवल न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के साथ हॉस्पिटल पहुंचे.

इसलिए इस रिपोर्ट में कहा गया है,

डॉक्टरों को न्यूरोलॉजिकल समस्याओं वाले मरीजों के मामले में भी कोरोना वायरस संक्रमण का ध्यान रखना चाहिए ताकि बीमारी की देर से पहचान या आगे संक्रमण फैलने से रोका जा सके.
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सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर COVID-19 का असर

कई COVID-19 के मरीजों में स्वाद का एहसास न होने या सूंघने की क्षमता कमजोर पड़ने जैसे लक्षण क्यों देखे जा रहे हैं, इस पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है. कुछ लोगों का सुझाव है कि ये नर्वस सिस्टम पर सीधे वायरस का प्रभाव हो सकता है, जबकि कुछ विशेषज्ञ आगे और नतीजे सामने आने की बात कहते हैं.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT), जोधपुर के वैज्ञानिकों की स्टडी के मुताबिक सूंघने या स्वाद की क्षमता प्रभावित होने की वजह सेंट्रल नर्वस सिस्टम में आई गड़बड़ी हो सकती है. ये पेपर डॉ सुरजीत घोष और उनकी टीम ने तैयार किया है, जिसमें बताया गया है,

नाक और मुंह वायरस की एंट्री के मुख्य प्वॉइंट हैं, जो वहां से फिर धीरे-धीरे olfactory म्यूकोसा के न्यूरॉन्स का उपयोग करके olfactory बल्ब तक अपना रास्ता बना सकते हैं. अग्रमस्तिष्क में स्थित olfactory बल्ब वह संरचना है, जो गंध महसूस करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होती है.

न्यूयॉर्क टाइम्स ने किंग्स कॉलेज, लंदन में राइनोलॉजी के प्रोफेसर क्लेयर हॉपकिंस के हवाले से कहा कि जिस किसी में भी गंध और स्वाद महसूस नहीं करने के लक्षण सामने आएं, उसे खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए.

हालांकि दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट डॉ अंशु रोहतगी इस बात से इनकार करते हैं. फिट से बातचीत में वो बताते हैं, "सिर्फ सूंघने और स्वाद की क्षमता खोना खुद को आइसोलेट करने के पर्याप्त कारण नहीं हैं. ये लक्षण दूसरे इन्फ्लूएंजा और फ्लू में भी कई वजह से देखे जाते हैं."

हालांकि, वो ये कहते हैं कि सूंघने या स्वाद की क्षमता खोने के न्यूरोलॉजिकल कारण हो सकते हैं.

COVID-19 का वायरस सेंट्रल नर्वस सिस्टम को पार नहीं करता है, भले ही स्वाद और गंध दोनों के नुकसान के न्यूरोलॉजिकल निहितार्थ हैं, हम अभी तक इसका सटीक कारण नहीं जानते हैं.

फिट ने इस सिलसिले में एम्स, दिल्ली में न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर डॉ मंजरी त्रिपाठी से बात की. उन्होंने बताया, "COVID-19 का दो तरीके से दिमाग पर असर पड़ सकता है- मस्तिष्क या वाहिकाओं पर वायरस का सीधा प्रभाव और प्रतिरक्षात्मक प्रभाव, लेकिन इस पर अभी भी बहुत काम किए जाने की आवश्यकता है. इन दोनों तरीकों से दिमाग पर असर संभव है.”

वह यह भी कहती हैं, "गंध का एहसास न होना COVID-19 संक्रमण की एक बहुत ही प्रमुख लक्षण है. यह वास्तव में COVID-19 की शुरुआत हो सकता है."

क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ सुमित रे ने फिट को बताया, "सभी गंभीर वायरल रेस्पिरेटरी बीमारियों में एन्सेफैलोपैथी और रक्त वाहिकाओं में क्लॉटिंग के कारण न्यूरोलॉजिकल जटिलता हो सकती है. इसलिए स्ट्रोक का संभावित खतरा भी होता है."

डॉ रे कहते हैं,

इस मामले में दिमाग वायरस से सीधे तौर पर प्रभावित नहीं होता है. ये कैसे होता है, इसे लेकर अभी कुछ स्पष्ट नही हैं, सिर्फ संभावित हाइपोथेसिस हैं.

वह बताते हैं कि किसी भी वायरस के प्रति हमारी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया काफी जटिल होती है. इसलिए जब वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है, कोशिकाओं से जुड़ता है और प्रोटीन बनाता है- इस प्रक्रिया में वायरस बहुत सारी कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं. कई प्रभावों में, रक्त वाहिकाओं पर वायरस के असर के कारण स्ट्रोक, ऑक्सीजन की कमी बहुत आम हैं.

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Published: 29 Apr 2020,11:58 AM IST

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