एक नए लैब डेटा के मुताबिक फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) की COVID-19 वैक्सीन की दो डोज के साथ पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों में मूल स्ट्रेन की तुलना में डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर पांच गुना कम होने की संभावना है.
Pfizer-BioNTech की कोविड वैक्सीन की एक डोज के बाद, 79 प्रतिशत लोगों में मूल स्ट्रेन के खिलाफ एक मात्रात्मक न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी प्रतिक्रिया देखने को मिली, लेकिन इसमें यह अल्फा (B.1.1.7) के लिए 50 प्रतिशत, डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) के लिए 32 प्रतिशत और बीटा वेरिएंट (B.1.351) के लिए 25 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई. यह स्टडी चिंता बढ़ाने वाली है.
परिणाम यह भी दिखाते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ इन एंटीबॉडी का स्तर कम होता है और यह स्तर समय के साथ कम होता जाता है, जबकि लिंग या बॉडी मास इंडेक्स के साथ कोई सहसंबंध नहीं देखा गया.
ब्रिटेन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (NIHR) UCLH बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने कहा कि न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का घटा लेवल भी COVID-19 के खिलाफ सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है.
UCLH संक्रामक रोग सलाहकार एम्मा वॉल ने कहा, "यह वायरस आने वाले कुछ समय के लिए होगा, इसलिए हमें चुस्त और सतर्क रहने की जरूरत है. हमारे अध्ययन को महामारी में बदलाव के लिए उत्तरदायी होने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि हम बदलते जोखिम और सुरक्षा पर जल्दी से सबूत प्रदान कर सकें."
एम्मा ने कहा,
ये निष्कर्ष वैक्सीन की दो डोज के बीच अंतर को कम करने की योजनाओं का भी समर्थन करते हैं, क्योंकि उन्होंने पाया कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की सिर्फ एक खुराक के बाद, लोगों में डेल्टा वेरिएंट के प्रति एंटीबॉडी स्तर विकसित होने की संभावना उतनी ही कम होती है, जितनी पहले प्रभावी अल्फा (B.1.1.7) वेरिएंट के खिलाफ देखी गई थी.
विशेषज्ञों ने 5 अलग-अलग वेरिएंट वाले वायरस को कोशिकाओं में घुसने से रोकने के लिए एंडीबॉडी की क्षमता जांची, जिसे न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी कहा जाता है.
इस स्टडी में अब ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (Oxford/AstraZeneca) की वैक्सीन लेने वालों को भी शामिल किया जाएगा.
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