एक नए लैब डेटा के मुताबिक फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) की COVID-19 वैक्सीन की दो डोज के साथ पूरी तरह से टीकाकरण करा चुके लोगों में मूल स्ट्रेन की तुलना में डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर पांच गुना कम होने की संभावना है.

द लैंसेट जर्नल में 3 जून को आई एक स्टडी के अनुसार, एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया उन लोगों में और भी कम देखने को मिली है, जिन्हें केवल एक ही डोज मिली थी.

Pfizer-BioNTech की कोविड वैक्सीन की एक डोज के बाद, 79 प्रतिशत लोगों में मूल स्ट्रेन के खिलाफ एक मात्रात्मक न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी प्रतिक्रिया देखने को मिली, लेकिन इसमें यह अल्फा (B.1.1.7) के लिए 50 प्रतिशत, डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) के लिए 32 प्रतिशत और बीटा वेरिएंट (B.1.351) के लिए 25 प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की गई. यह स्टडी चिंता बढ़ाने वाली है.

बढ़ती उम्र और समय के साथ कम होने लगता है एंटीबॉडी लेवल: स्टडी

परिणाम यह भी दिखाते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ इन एंटीबॉडी का स्तर कम होता है और यह स्तर समय के साथ कम होता जाता है, जबकि लिंग या बॉडी मास इंडेक्स के साथ कोई सहसंबंध नहीं देखा गया.

ब्रिटेन में फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (NIHR) UCLH बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने कहा कि न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का घटा लेवल भी COVID-19 के खिलाफ सुरक्षा से जुड़ा हो सकता है.

UCLH संक्रामक रोग सलाहकार एम्मा वॉल ने कहा, "यह वायरस आने वाले कुछ समय के लिए होगा, इसलिए हमें चुस्त और सतर्क रहने की जरूरत है. हमारे अध्ययन को महामारी में बदलाव के लिए उत्तरदायी होने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि हम बदलते जोखिम और सुरक्षा पर जल्दी से सबूत प्रदान कर सकें."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

वैक्सीन की दो डोज के बीच गैप को कम करने की जरूरत है?

एम्मा ने कहा,

“सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक लोगों को अस्पताल से बाहर रखने के लिए वैक्सीन सुरक्षा पर्याप्त बनी रहे. हमारे परिणाम बताते हैं कि ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका जल्द दूसरी खुराक देना और उन लोगों को बूस्टर प्रदान करना है, जिनकी एंटीबॉडी या प्रतिरक्षा इन नए वेरिएंट्स के खिलाफ पर्याप्त नहीं होने की आशंका है.”

ये निष्कर्ष वैक्सीन की दो डोज के बीच अंतर को कम करने की योजनाओं का भी समर्थन करते हैं, क्योंकि उन्होंने पाया कि फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन की सिर्फ एक खुराक के बाद, लोगों में डेल्टा वेरिएंट के प्रति एंटीबॉडी स्तर विकसित होने की संभावना उतनी ही कम होती है, जितनी पहले प्रभावी अल्फा (B.1.1.7) वेरिएंट के खिलाफ देखी गई थी.

कोरोना वायरस वेरिएंट्स के खिलाफ ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर होगी स्टडी

यह अध्ययन 250 लोगों के खून की जांच में पाए गए एंटीबॉडी के विश्लेषण के जरिए किया गया, जिन्होंने फाइजर वैक्सीन की एक या दोनों डोज ले ली थी.

विशेषज्ञों ने 5 अलग-अलग वेरिएंट वाले वायरस को कोशिकाओं में घुसने से रोकने के लिए एंडीबॉडी की क्षमता जांची, जिसे न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी कहा जाता है.

इस स्टडी में अब ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (Oxford/AstraZeneca) की वैक्सीन लेने वालों को भी शामिल किया जाएगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 05 Jun 2021,02:31 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT