"मुझे सीने पर भारीपन महसूस होता है."
"मेरे लिए अब दिन में 3-4 घंटे से ज्यादा काम करना मुश्किल हो रहा."
"जब लोग मुझसे बात करते हैं, तो कभी-कभी समझ नहीं आता कि वे क्या कह रहे हैं."
"...मैं केवल इतना कह सकता हूं कि कोरोना से मेरी मौत नहीं हुई."
COVID-19 के साथ समस्या है कि इसमें यह नहीं बताया जा सकता है, बीमारी कैसे प्रकट हो सकती है, और किस हद तक जा सकती है.
यह दूसरी लहर में विशेष रूप से देखा जा रहा है, जब स्वस्थ युवा लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ गए हैं.
लेकिन सबसे कठिन हिस्सा, शायद, यह है कि जब COVID आपको छोड़ कर भी नहीं छोड़ता है, और ठीक होने में हफ्ते, महीने या साल भी लग सकते हैं.
फिट ने COVID सर्वाइवर से उनकी रिकवरी के बारे में बात की और ये जाना कि वे संक्रमण के बाद के लक्षणों से कैसे निपट रहे हैं.
कोविड मरीज की RT-PCR टेस्ट निगेटिव आने के बाद ऐसा मान लिया जाता है कि वो ठीक हो गया है. लेकिन, असल में कई दूसरे गंभीर वायरल संक्रमणों की तरह ही कोविड में भी निगेटिव टेस्ट आने के बाद भी बीमारी का प्रभाव लंबे समय तक बना रह सकता है.
फोर्टिस हॉस्पिटल, दिल्ली में पल्मोनोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ विकास मौर्य कहते हैं, "कोविड पूरे शरीर को प्रभावित करता है. इसमें रेस्पिरेटरी समस्याएं, मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी दिक्कतें, न्यूरोलॉजिकल और यहां तक कि कार्डियक यानी हृदय से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं."
तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि COVID-19 से लड़कर आपका शरीर पस्त हो जाता है.
और ये लड़ाई संक्रमण के साथ खत्म नहीं होती है.
अप्रैल में कोरोना से उबरने वाली ज़िजाह कहती हैं, "यह सुबह से शुरू होता है, जब मैं उठती हूं. एक तरह का भारीपन है, सांस लेने में लगातार रुकावट बहुत असहज करती है. सांस फूलने के साथ थकान रहती है."
बहुत ज्यादा थकान एक ऐसी समस्या है, जिसे COVID से उबरे कई लोग अनुभव कर रहे हैं.
एक स्वतंत्र पत्रकार स्नेहा (बदला हुआ नाम), जो एक साथ तीन जॉब करती थीं, बताती हैं कि कैसे अब वो सिर्फ एक जॉब ही कर पा रही हैं.
स्नेहा को नवंबर 2020 में COVID हुआ था. उनके लिए, यह संक्रमण के साथ एक लंबी लड़ाई रही है (वह 31 दिनों तक कोविड पॉजिटिव थी), और पोस्ट COVID रिकवरी के साथ और भी लंबी लड़ाई रही है.
वह कहती हैं कि उन्हें अपनी दवाइओं के नाम या रिपोर्ट याद नहीं हैं. 6 महीने बीत जाने के बाद भी स्नेहा की याददाश्त अब वैसी नहीं रही जैसी पहले हुआ करती थी.
ज़िजाह भी बताती हैं कि कैसे उन्हें नाम, जगह और व्यंजनों जैसी साधारण चीज़ों को याद रखने में परेशानी होती है, जिसे वह दिल से जानती हैं.
अधिक थकान का मतलब दिन भर सुस्ती भी है.
और स्लीप साइकल में बाधा सब कुछ बदतर बना देता है.
प्रियंका कहती हैं, ''कोविड के बाद मुझे एक रात भी ठीक से सोना याद नहीं है."
स्नेहा कहती हैं, "कोविड ने मुझे छोटा बच्चा बना दिया. मैं बिना किसी सहारे के चल नहीं सकती थी और अभी भी कुछ ऐसा ही है."
स्नेहा बताती हैं कि रोजाना थकान और ब्रेन फॉग के बीच इन हालात में उन्होंने लगभग हार मान ली थी, लेकिन हम सभी को आगे बढ़ना होता है.
प्रियंका कहती हैं, “COVID के बाद के लक्षण काफी हद तक साफ जाहिर नहीं होते हैं. मेरे परिवार के लिए भी यह समझना बहुत मुश्किल था कि मैं किस दौर से गुजर रही थी और उन्हें यह समझाना कि यह सच है."
और तथ्य यह है कि लक्षण इतने अनिश्चित और अप्रत्याशित हो सकते हैं कि दूसरों के साथ सहानुभूति करना मुश्किल हो जाता है.
तीनों कोविड सर्वाइवर कहती हैं, "ये आप वास्तव में तब तक नहीं समझेंगे जब तक खुद इसका सामना नहीं करते."
उनके हर एक अनुभव को सुनकर समझ आता है कि यह बात कितनी सच है. वे यह समझाने के तरीके खोजने के लिए संघर्ष करती हैं कि वो किस दौर से गुजरी हैं.
स्नेहा कहती हैं, "मैं सिर्फ इतना कह सकती हूं कि कोविड के बाद के लक्षण बहुत वास्तविक हैं. यह सिर्फ आपके दिमाग में नहीं है, और आप इसे सिर्फ 'सकारात्मक' सोच के साथ दूर नहीं कर सकते."
अपने आप को ठीक होने का समय दें
स्नेहा सलाह देती हैं, "निगेटिव टेस्ट रिपोर्ट आते ही पहले जैसा होने की जल्दबाजी न करें, ऐसा महसूस नहीं करना चाहिए कि चूंकि आप ठीक हो गए हैं, तो आपको सक्रियता के किसी खास स्तर पर होना चाहिए."
वह बताती हैं, "मैं उस तरह की व्यक्ति हूं, जो दिन में 18-20 घंटे काम करती थी. मेरे लिए 4-5 घंटे पर आना मुश्किल था, लेकिन खुद पर जोर डालने से यह और भी खराब हो गया."
ज़िजाह का भी कुछ ऐसा ही कहना है, "मैं काम पर नहीं होने के लिए दोषी महसूस करती था, लेकिन मुझे ठीक होने के लिए समय निकालना पड़ा. अब भी मुझे खुद को ब्रेक लेने के लिए कहना रहता है."
स्नेहा आगे कहती हैं, "मैं शर्मिंदा हो जाती हूं क्योंकि मैं हमेशा बीमार रहती हूं, लेकिन यह मेरी गलती नहीं है. मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही हूं."
डॉ. विकास मौर्य बताते हैं,
प्रियंका इस बारे में बात करती हैं कि कैसे वर्कआउट करने से उन्हें ब्रेन फॉग और सुस्ती में मदद मिलती है.
डॉ मौर्य कहते हैं, "इसीलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप जितनी जल्दी हो सके कुछ गतिविधि करना शुरू कर दें. अपनी सहनशक्ति का निर्माण तेजी से ठीक होने में मदद करता है."
लेकिन, डॉ. मौर्य सावधान करते हैं, "आपको धीमी शुरुआत करने के लिए ध्यान रखना चाहिए और केवल धीरे-धीरे अपनी गतिविधि को पहले के स्तर तक बढ़ाना चाहिए."
बिना ज्यादा मेहनत किए हल्का व्यायाम करें. डॉ. मौर्य योग और टहलने की सलाह देते हैं.
यह जानना महत्वपूर्ण है कि कब खुद को जोर देना है और कब धीमा करना है.
"अपने (ऑक्सीजन) सैचुरेशन लेवल पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है." डॉ मौर्य कहते हैं, "जब आप इसमें गिरावट देखें तो रुकें और जब यह बेहतर हो जाए तो शुरू करें."
ये खास तौर पर उन लोगों के लिए मददगार हो सकता है, जिन्हें फेफड़ों की मध्यम से लेकर गंभीर समस्याएं रही हों.
स्पाइरल ब्रीदिंग में आंखें बंद करना, अपनी भावनाओं की कल्पना करना और गहरी सांस लेते हुए कल्पना पर ध्यान केंद्रित करना और यह दिखावा करना शामिल है कि वे हर सांस के साथ गायब हो रहे हैं.
डॉ. मौर्य के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण चीज है आपका आहार है.
वह 'बॉडीबिल्डिंग डाइट' की सिफारिश करते हैं, जो प्रोटीन से भरपूर होता है.
इसके अलावा खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेट रखने से काफी मदद मिलती है.
प्रियंका कहती हैं, "मैं निश्चित समय पर अच्छा खाना सुनिश्चित करती हूं, बहुत सारे तरल पदार्थ पीती हूं. यह सब बहुत मदद करता है."
साफ-सफाई का ख्याल रखें
ये भी हो सकता है कि आपको स्टेरॉयड जैसी दवा की भी जरूरत पड़ी हो, जो आपकी प्रतिरक्षा को और कम कर सकता है.
यह सब आपके शरीर के लिए दूसरे संक्रमणों से लड़ना मुश्किल बना देता है, जो वह अन्यथा कर पाता.
स्नेहा कहती हैं, "कोविड के बाद फंगल संक्रमण बेहद दर्दनाक होता है. यह बार-बार आता है, इसलिए इसके बारे में बेहद सतर्क रहना होगा."
डॉ. मौर्य कहते हैं, "ये रोगाणु और कवक स्पोर्स (बीजाणु) हमारे चारों ओर हैं, लेकिन कोविड के बाद, हम उनके प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं."
"यही कारण है कि अन्य संक्रमणों से बचने के लिए शारीरिक स्वच्छता सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है."
अपने लक्षणों की निगरानी करें
दोबारा संक्रमण के मद्देनजर अपने लक्षणों पर नजर रखना अहम है.
स्नेहा सलाह देती हैं, "अपने डॉक्टर के साथ लगातार संपर्क में रहें और कोई नई दिक्कत होने पर उन्हें अपडेट करें."
डॉ. मौर्य कहते हैं, "अपने मास्क पहनना जारी रखें, जब तक कि बहुत जरूरी न हो बाहर जाने से बचें और हाथों की स्वच्छता बनाए रखें, और निश्चित रूप से पूरे शरीर की स्वच्छता रखें."
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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Published: 25 May 2021,03:53 PM IST