इजराइली रिसर्चर्स की एक टीम ने SARS-CoV-2 वायरस में उन पांच प्रोटीन की पहचान करी है, जो गंभीर वैस्कुलर क्षति के लिए जिम्मेदार होते हैं और हार्ट अटैक या स्ट्रोक की वजह बन सकते हैं.
भले ही COVID-19 को सांस की बीमारी माना जाता है, लेकिन कोरोना रोगियों में वैस्कुलर डिजीज और ब्लड क्लॉटिंग जैसे स्ट्रोक और हार्ट अटैक के बहुत मामले देखे गए हैं.
तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने SARS-CoV-2 वायरस बनाने वाले कुल 29 अलग-अलग प्रोटीनों में से पांच प्रोटीनों की पहचान की है.
यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और सगोल स्कूल ऑफ न्यूरोसाइंस के डॉ बेन माओज ने बताया कि जब कोरोनावायरस शरीर में प्रवेश करता है, तो यह 29 प्रोटीन बनाना शुरू कर देता है, जिससे एक नया वायरस बनता है, ये वायरस 29 नए प्रोटीन बनाता है और इस तरह ये प्रक्रिया चलती रहती है.
संक्रमण और प्रोटीन के विकास की इस प्रक्रिया में, "रक्त वाहिकाएं अपारदर्शी ट्यूबों से एक तरह के पारगम्य जाल में बदल जाती हैं और इसके साथ रक्त के थक्के में वृद्धि होती है."
डॉ बेन माओज ने कहा, "हम सोचते हैं कि COVID मुख्य रूप से एक सांस की बीमारी है, लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोनावायरस रोगियों को स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने की आशंका तीन गुना अधिक होती है."
डॉ बेन माओज के मुताबिक सभी सबूत बताते हैं कि वायरस रक्त वाहिकाओं या एंडोथेलियल कोशिकाओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है.
ये स्टडी eLife जर्नल में छपी है, इसमें टीम ने हरेक COVID-19 प्रोटीन के RNA का उपयोग किया और उस प्रतिक्रिया की जांच की जो तब हुई जब विभिन्न RNA अनुक्रमों (सिक्वेंस) को लैब में मानव रक्त वाहिका कोशिकाओं में डाला गया था.
इसके अलावा, टीम ने एक कम्प्यूटेशनल मॉडल का उपयोग किया जिसने उन्हें यह आकलन करने और पहचानने में मदद करी कि कौन से कोरोनावायरस प्रोटीन अन्य ऊतकों पर सबसे अधिक प्रभाव डालते हैं.
डॉ माओज ने कहा, "हमारा शोध एक ऐसी दवा के लिए टारगेट खोजने में मदद कर सकता है, जिसका उपयोग वायरस की गतिविधि को रोकने के लिए किया जाए, या रक्त वाहिकाओं के नुकसान को कम से कम किया जाए."
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