खाने में रिफाइंड ग्रेन्स यानी परिष्कृत अनाज की जगह व्होल ग्रेन्स यानी साबुत अनाज शामिल करने की सलाह दी जाती है क्योंकि रिफाइंड के मुकाबले व्होल ग्रेन्स हेल्दी होते हैं.
हालांकि व्हाइट ब्रेड, पास्ता, नूडल्स और बेक किए हुए फूड आइटम में ज्यादातर रिफाइंड अनाज का ही इस्तेमाल होता है.
रिफाइंड ग्रेन्स या इनसे तैयार चीजों का अब जितना ज्यादा उपभोग बढ़ा है, उस लिहाज से इनके कारण स्वास्थ्य संबंधी बड़ी समस्याओं का रिस्क भी बढ़ा है. एक्सपर्ट्स हमेशा से चेताते रहे हैं कि अधिक मात्रा में रिफाइंड ग्रेन का सेवन तमाम स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ाने से जुड़ा है.
लेकिन रिफाइंड ग्रेन्स किस हद तक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं, उस पर एक स्टडी सामने आई है, जिसके मुताबिक अधिक मात्रा में रिफाइंड अनाज और इससे तैयार चीजों का सेवन दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और मृत्यु के ज्यादा जोखिम से जुड़ा है.
कनाडा के वैज्ञानिकों की इस स्टडी को द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में पब्लिश किया गया है.
16 वर्षों के विश्लेषण और कनाडा सहित 21 देशों में 1,37,130 प्रतिभागियों में से, शोधकर्ताओं ने पाया कि परिष्कृत अनाज और अतिरिक्त शर्करा (एडेड शुगर) का सेवन पिछले कुछ वर्षों में बहुत बढ़ गया है.
इस स्टडी के लिए अनाज को तीन हिस्सों में बांटा गया. रिफाइंड ग्रेन, व्होल ग्रेन और व्हाइट राइस. रिसर्च में सामने आया कि व्हाइट राइस और व्होल ग्रेन (साबुत अनाज) से लोगों में नुकसान नहीं दिखा, लेकिन रिफाइंड ग्रेन का असर दिखा.
वैज्ञानिकों के मुताबिक ये स्टडी भी हेल्दी डाइट पर इससे पहले हुए काम की पुष्टि करती है, जिसमें बहुत ज्यादा प्रोसेस किए गए और रिफाइंड फूड का सेवन सीमित करना भी शामिल है.
जब अनाज को इतनी प्रोसेसिंग से गुजारा जाए कि उसमें मौजूद फाइबर और पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं, तो उसे रिफाइंड ग्रेन कहते हैं. पॉलिश किए चावल, रिफाइंड गेहूं का आटा, मैदा और इससे इससे तैयार होने वाली व्हाइट ब्रेड, पास्ता, नूडल्स इसके कुछ उदाहरण हैं.
स्टडी में साबुत अनाज या सफेद चावल खाने के साथ कोई महत्वपूर्ण प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव नहीं पाया गया.
अध्ययन में साबुत अनाज वाले खाद्य पदार्थ जैसे ब्राउन राइस, जौ और ओट्स खाने और परिष्कृत अनाज कम से कम लेने का सुझाव दिया गया है. परिष्कृत अनाज की एक समग्र खपत को कम करना और बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट लेना आवश्यक है.
रिफाइंड ग्रेन में फाइबर बेहद कम होने के कारण यह आसानी से पच जाता है. नतीजतन आप भूख से ज्यादा खा लेते हैं. इसलिए इन चीजों से मोटापा और ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक डाइट में व्होल ग्रेन शामिल करना सेहत के लिहाज से अच्छा होता है. कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने, आदर्श वजन बनाए और पोषकों की पर्याप्त पूर्ति के लिए एक्सपर्ट्स साबुत अनाज लेने और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से परहेज करने की सलाह देते हैं.
न्यूट्रिशनिस्ट कविता देवगन बताती हैं कि रिफाइंड (परिष्कृत) अनाज से ब्लड ग्लूकोज लेवल में बढ़ोतरी शरीर में कई इन्फ्लेमेशन संबंधी समस्याओं को बढ़ाता है.
डाइट में फाइबर के महत्व पर इंटीग्रेटिव मेडिसिन- होलिस्टिक लाइफस्टाइल कोच ल्यूक कॉटिन्हो अपने इस लेख में लिखते हैं, "आज ज्यादातर आधुनिक डाइट में फाइबर की कमी है क्योंकि फूड को इस हद तक प्रोसेस, रिफाइंड और पॉलिश किया जाता है कि अधिकांश फाइबर प्रोसेसिंग में निकल जाते हैं. यही कारण है कि डिब्बाबंद और रिफाइंड फूड हमारे लिए खराब कहे जाते हैं."
ल्यूक बताते हैं कि घुलनशील फाइबर लेना शरीर में कोलेस्ट्रॉल के ऊंचे स्तर और कोरोनरी आर्टरी डिजीज के जोखिम को कम करने के सबसे प्राकृतिक तरीकों में से एक है. ये शरीर से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल और फैट ग्लोब्यूल्स को निकाल कर ऐसा करता है. फाइबर डाइटरी कोलेस्ट्रॉल के विघटन और हजम होने को भी रोकता है.
अच्छी तरह से संतुलित और संपूर्ण डाइट का मतलब, इसमें फल, सब्जियां, मेवे, बीज और साबुत अनाज शामिल करना है.
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए फिट आपको डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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Published: 27 Feb 2021,05:54 PM IST