सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन के खिलाफ मरीजों के त्रुटिपूर्ण कूल्हे के प्रत्यारोपण (फॉल्टी हिप इंप्लांट) का मामला शुक्रवार को ये कहते हुए बंद कर दिया कि केंद्र ने उन्हें 1.22 करोड़ रुपए तक मुआवजा दिलाने के लिए कदम उठाए हैं.

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जवाब पर विचार किया. मंत्रालय ने कहा कि उसने मुआवजे की एक योजना तैयार की है ताकि फॉल्टी हिप इंप्लांट के पीड़ितों के लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित किया जा सके.

कोर्ट ने अरुण गोयनका की जनहित याचिका पर केंद्र से कहा कि मुआवजे की योजना का व्यापक प्रचार किया जाए ताकि ऐसे प्रत्यारोपण के शिकार सभी पीड़ित अपनी समस्याओं के लिए मदद ले सकें.

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि 2005 से कूल्हे की सर्जरी कराने वाले 4,525 भारतीय मरीजों के शरीर में त्रुटिपूर्ण और घातक कृत्रिम कूल्हों का प्रत्यारोपण किया गया है.

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