डाइटिंग पॉजिटिव इरादों के साथ शुरू हो सकता है (कुछ किलोग्राम वजन घटाने, कॉलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने, या ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करने के लिए), लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आप जो सोचकर डाइटिंग करना शुरू करते हैं वैसा हो नहीं पाता.
तो क्या डाइटिंग आपके लिए टेंशन की वजह बन गई है?
अगर आपका डाइट प्लान तनावपूर्ण, अवास्तविक और जुनूनी हो जाता है, तो हो सकता है उस पर लगाम लगाने का समय आ गया हो. डाइटिंग से ब्रेक लेना आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा हो सकता है और बदले में आपका शरीर आपको ‘धन्यवाद’ कहेगा!
रिस्ट्रिक्टिव डाइट (जो अक्सर ओवरइटिंग की भी वजह बन जाते हैं) कई बार आपके शरीर की डिमांड सुनने और इसे बेहतर करने की तुलना में अधिक नुकसान पहुंचा जाते हैं.
डाइटिंग से ब्रेक लेने का समय आ गया है- इसे लेकर शरीर कौन से संकेत देता है? इस बारे में दिल्ली के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की डायटेटिक्स चीफ दलजीत कौर ने कुछ अहम बातें बताती हैं.
जब हम बहुत कम कैलोरी का सेवन करते हैं, तो हमें शुरुआत में एक बड़ा फायदा मिलता है (शायद पहली या दूसरी बार आपने इसे आजमाया हो) और फिर हम इस फायदे को घटते हुए देखते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा शरीर समय के साथ इसको दिए जा रहे एनवायरमेंट के अनुकूल होना सीखता है और फिर फैट बर्न करना बंद कर देता है. इसकी जगह, ये फैट स्टोर करने लगता है.
इससे मेटाबोलिक रेट में गिरावट होती है. आपके शरीर को डाइटिंग की शुरूआत में लिए जाने वाले भोजन की कम मात्रा से भी कम भोजन की जरूरत पड़ने लगती है.
‘डाइट मोड' में, कभी-कभी भूख को एक संकेत माना जाता है कि चीजें ठीक चल रही हैं. हम भूख से लड़ते हैं और खाना नहीं खाते और हमें लगता है कि “काफी कैलोरी है ...हमने कुछ कैलोरी बर्न कर ली.”
समय के साथ, संकेतों को नजरअंदाज करने से, हमारा दिमाग आखिर में उन संकेतों को पैदा करना बंद करने लगता है. ये एनर्जी की तलाश नहीं करता बल्कि खुद एनर्जी बनाने की जुगत में लग जाता है, जो कि सही नहीं है.
हमारे शरीर के सभी बुनियादी मेटाबोलिक रिएक्शन के लिए भोजन के पोषक तत्वों की जरूरत होती है, तभी शरीर में ऊर्जा पैदा होता है.
पोषक तत्व जैसे: विटामिन बी, आयरन, फोलेट, जिंक, आयोडीन वगैरह.
पर्याप्त कैलोरी के बिना, हम पर्याप्त पोषक तत्व भी नहीं ले पाते. इससे थकान महसूस होती है. मल्टीविटामिन के साथ सप्लीमेंटेशन भले मदद कर सकते हैं, लेकिन समय के साथ हम हमेशा थका हुआ महसूस करने लग जाते हैं.
ऊपर बताई गई सभी स्थितियां बायोलॉजिकल सिस्टम के बिगड़ने का संकेत हैं जो पोषक तत्वों, प्रोटीन और कैलोरी की कमी से हो सकती हैं. ये स्थितियां तुरंत भोजन की मात्रा बढ़ाने का संकेत देती हैं. अपने कैलोरी की जरूरत जानने के लिए प्रोफेशनल डायटीशियन की मदद लें. अगर फिर भी समस्याएं नहीं खत्म होतीं तो हेल्थकेयर प्रोवाइडर से परामर्श लें.
कभी-कभी, लंबे समय के गैप के बाद (5 घंटे से अधिक) खाना खाने से बेचैनी या वैसा दर्द महसूस करना जैसे काफी समय तक बैठने के बाद उठते वक्त मांसपेशियों में अकड़न और दर्द महसूस होती है. लंबे समय तक के बाद खाना खाने पर आंतों में ऐंठन का अनुभव हो सकता है. असुविधा से बचने या कम करने के लिए हर 4-5 घंटे में कुछ न कुछ थोड़ा-थोड़ा खाने का लक्ष्य रखें.
ज्यादातर मामलों में डाइटिंग करना, न करना पूरी तरह से एक व्यक्तिगत पसंद है. लेकिन ऐसी कुछ परिस्थितियां हैं जहां रिस्ट्रिक्टिव डाइट जारी नहीं रखा जाना चाहिए, इनमें शामिल हैं:
फोर्टिस, गुरुग्राम की चीफ क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट संध्या पांडे कहती हैं-
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Published: 26 Feb 2021,02:06 PM IST