6 दिसम्बर को हुई राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की बैठक में बूस्टर के उपयोग पर सदस्यों के बीच आम सहमति नहीं बन पाई.

इस बीच, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने अपने COVID-19 वैक्सीन, कोविशील्ड की तीसरी बूस्टर खुराक के उत्पादन की मंजूरी मांगी है। उन्होंने यह अनुरोध कोरोना वायरस के नए वेरिएंट OMICRON के बढ़ते आंकड़ों के सामने आने के बाद किया है.

पीटीआई के अनुसार, एसआईआई ने अपने आवेदन में भारत के ड्रग्स कंट्रोल जनरल को तर्क दिया कि कोविशील्ड वैक्सीन को तीसरी बूस्टर खुराक के रूप में अनुमति दी जानी चाहिए क्योंकि इसके अंतरराष्ट्रीय समकक्ष एस्ट्राजेनेका को यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी द्वारा सितंबर में ही मंजूरी दे दी गई थी.

एसआईआई ने यह भी कहा कि उनके पास तीसरे बूस्टर शॉट को शुरू करने के लिए टीके की पर्याप्त संख्या उपलब्ध है और देश में बूस्टर शॉट की बढ़ती मांग भी है.

दूसरी ओर, विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत को बूस्टर डोज़ लगाने के बारे में सोचने से पहले अपने प्राथमिक वैक्सीन कवरेज को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अभी तक बूस्टर डोज़ की आवश्यकता के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं.

एसआईआई ने अपने आवेदन के साथ क्या सबूत प्रस्तुत किए हैं? क्या वह पर्याप्त हैं? क्या भारत जल्द ही बूस्टर शॉट देना शुरू कर सकता है?

कोविशील्ड बूस्टर: डेटा की सीमाएं

हालांकि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड बूस्टर शॉट की वकालत करते हुए यूके के एमएचआरए (MHRA) के एस्ट्राजेनेका बूस्टर खुराक को मंज़ूरी देने का हवाला दिया. लेकिन, उन्होंने कुछ अन्य प्रमुख बिंदुओं को अनदेखा कर दिया. अपनी बात में उन्होंने यह नहीं बताया कि एस्ट्राजेनेका के उच्च अधिकारियों ने 2 खुराक डेटा का पर्याप्त रूप से अध्ययन करने से पहले सभी के लिए बूस्टर खुराक देने में जल्दबाजी के खिलाफ चेतावनी दी थी.

द टेलीग्राफ के अनुसार, अपनी असहमति को व्यक्त करते हुए एस्ट्राजेनेका के मुख्य कार्यकारी, पास्कल सोरियट और बायोफार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, सर मेने पंगालोस ने कहा,

"पूरी वयस्क आबादी को बूस्टर देने के लिए बहुत तेज़ी से आगे बढ़ना हमें अमूल्य अंतर्दृष्टि से वंचित करेगा, जिसके कारण हमें यह महत्वपूर्ण निर्णय सीमित डेटा पर लेना पड़ेगा."

दो महीने बाद भी बूस्टर शॉट्स के रूप में एस्ट्राजेनेका टीकों की प्रभावकारिता और सुरक्षा से संबंधित डेटा सीमित है

लैंसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में कहा गया है – “एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को (बाकी वैक्सीनों के मुक़ाबले) बूस्टर खुराक के रूप में सुरक्षित और प्रभावी पाया गया.”

लेकिन इस अध्ययन की भी अपनी सीमाएँ हैं.

पहले तो कुछ प्रतिभागियों में पहली दो खुराक और बूस्टर के बीच का अंतर भिन्न था. इतना ही नहीं, केवल 30 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों का डेटा होना इन सीमाओं को और भी बढ़ा देता है. इसके अलावा ऐसे लोगों की संख्या काफ़ी कम है जिन्हें एस्ट्राजेनेका की प्राथमिक वैक्सीन खुराक लगने के बाद एस्ट्राजेनेका का ही बूस्टर शॉट भी लगा हो.

अध्ययन का केन्द्र इस बात पर था कि क्या बूस्टर के रूप में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की प्रभावशीलता और सुरक्षा का परीक्षण करने के बजाय टीकों का मिश्रण और मिलान किया जा सकता है.

जहाँ तक ​​आधिकारिक रिपोर्टों का संबंध है, एसआईआई ने अपनी ओर से किये गए अध्ध्यनों का कोई भी प्रकाशित डेटा प्रस्तुत नहीं किया है, जो उनके बूस्टर डोज़ के आवेदन का समर्थन करे.

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बूस्टर के रूप में एस्ट्राजेनेका के बारे में यूके अथॉरिटी क्या कहती है?

एसआईआई, एस्ट्राजेनेका बूस्टर को सितंबर में यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी द्वारा मिली, जिस मंजूरी की बात कर रहा है वह भ्रमिक करने वाली लगती है.

सितंबर में, Gov.UK पर पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जॉइन्ट कमिटी ऑन वैक्सिनेशन एण्ड इम्यूनाइज़ेशन (जेसीवीआई) ने बूस्टर कार्यक्रम के लिए फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन को प्राथमिकता दी थी, भले ही प्राथमिक खुराक के लिए किसी भी टीके का इस्तेमाल किया गया हो। मॉडर्ना वैक्सीन की आधी खुराक, वैकल्पिक रूप से, बूस्टर की तरह ली जा सकती है.

महत्वपूर्ण रूप से, यह कहा गया है कि जहाँ एमआरएनए वैक्सीन नहीं दी जा सकती है, संभवतः एलर्जी के कारण, वहां एस्ट्राजेनेका वैक्सीन उन लोगों को दी जा सकती है जो इसे पहले लगवा चुके हों.

15 नवंबर को बूस्टर खुराक पर, अपनी अद्यतन सलाह में जेसीवीआई ने एक बार फिर कहा कि 40 से 49 वर्ष की आयु के सभी वयस्कों को उनकी दूसरी खुराक के 6 महीने बाद एमआरएनए COVID-19 वैक्सीन के साथ बूस्टर टीकाकरण की पेशकश की जानी चाहिए चाहे प्राथमिक खुराक के रूप में किसी भी टीके का उपयोग किया गया हो.

क्या बूस्टर शॉट्स के लिए भारत तैयार है?

4 दिसंबर को, भारतीय SARS-CoV-2 जेनेटिक्स कंसोर्टियम यानि INSACOG ने OMICRON के बढ़ते मामलों को देखते हुए कहा था कि 40 वर्ष की आयु से ज़्यादा के लोगों को बूस्टर शॉट्स दिए जाने पर विचार किया जा सकता है पर, अब उनका कहना है कि इस बात पर अमल कई ज़रूरी प्रयोगों के बाद ही किया जाना चाहिए.

पिछले महीने, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य उच्च जोखिम वाले रोगियों को बूस्टर खुराक देने की बात की थी.

FIT से एक अलग लेख के लिए बात करते हुए, वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील ने कहा, "अगर कोई समूह है जिन्हें बूस्टर शॉट्स दिया जाना चाहिए, तो वह स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं।"

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि,

"जो देश बूस्टर दे रहे हैं वहां टीकाकरण संतृप्ति की सीमा तक पहुँच गयी है. मुझे लगता है कि भारत की प्राथमिकता उन लोगों को दो शॉट दिलाने की होनी चाहिए जो इसके पात्र हैं.”
डॉ शाहिद जमील, वायरोलॉजिस्ट

नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने गुरुवार, 2 दिसंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए बूस्टर के मामले पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के रुख को दोहराया और कहा, "सभी वयस्कों को दोनों खुराक के साथ टीकाकरण का कार्य पूरा करें - यही फोकस और रणनीति हमें इस समय सबसे अच्छा लाभांश देगी।"

हालांकि, OMICRON के बढ़ते मामले पर बढ़ी चिंताओं से इस रुख में बदलाव आ सकता है.

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