विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस पर आई ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2021 (Global TB Report 2021) के मुताबिक पिछले एक दशक में पहली बार टीबी से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी हुई है.

साल 2020 में दुनिया भर में लगभग 15 लाख लोगों की मौत टीबी से हुई. इसमें एक तिहाई यानी 5 लाख मौतें भारत में दर्ज की गईं.

इस रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के मुकाबले 2020 में टीबी से मौत के आंकड़ों में बढ़ोतरी की वजह कोरोना महामारी है.

COVID-19 महामारी ने TB (तपेदिक) से निपटने में वर्षों की वैश्विक प्रगति को उलट दिया और एक दशक में पहली बार टीबी से होने वाली मौतों में वृद्धि हुई है.
ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2021, WHO

टीबी से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि मुख्य रूप से उन 30 देशों में हुई हैं, जहां टीबी का सबसे अधिक बोझ है. ये टीबी की जांच और इलाज तक पहुंच में आई कमी का नतीजा है.

कोरोना महामारी में टीबी की जांच और इलाज तक पहुंच में कमी

2019 के मुकाबले 2020 में टीबी से ज्यादा लोगों की मौत हुई, जबकि इसकी डायग्नोसिस या इसके इलाज वाले लोगों की संख्या और टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट में कमी (2019 के मुकाबले 21% की कमी) आई.

टीबी से पीड़ित लोगों और राष्ट्रीय सरकारों की ओर से रिपोर्ट होने वाले मामलों की संख्या 2019 में 71 लाख से गिरकर 2020 में 58 लाख हो गई.

ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2021, WHO

2019 और 2020 के बीच टीबी के नए मामलों के नोटिफिकेशन में सबसे ज्यादा गिरावट भारत (41%), इंडोनेशिया (14%), फिलीपींस (12%) और चीन (8%) दर्ज की गई.

WHO का अनुमान है कि वर्तमान में लगभग 41 लाख लोग टीबी से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें इस बीमारी का पता नहीं चला है या इसकी सूचना नहीं है. 2019 में यह आंकड़ा 29 लाख था.

इसके अलावा, ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के लिए इलाज पाने वालों की संख्या में 15% गिरावट आई. ये संख्या 2019 में 1,77,000 की तुलना में गिरकर 2020 में 1,50,000 हो गई, जो हर 3 जरूरतमंदों से केवल 1 बराबर है.

दुनियाभर में कोविड के कारण टीबी के मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ. इन मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया.

WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस अधानोम गैब्रिएसस ने कहा,

"कोरोना वायरस न केवल टीबी के मरीजों के लिए जोखिम को बढ़ाया बल्कि इसके कारण टीबी से जुड़ी सेवाओं में भी बाधा आई."

रिपोर्ट में इसकी वजह स्वास्थ्य सेवाओं को जारी रखने की क्षमता में कमी, लॉकडाउन के संदर्भ में देखभाल में कमी, आवाजाही पर प्रतिबंध, महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों में जाने के जोखिम से जुड़ी चिंताएं, टीबी और COVID-19 के लक्षणों में समानता के साथ इनसे जुड़े कलंक शामिल हैं.

इसके अलावा रिपोर्ट में टीबी के लिए जरूरी सर्विसेज पर कुल खर्च में गिरावट भी दर्ज की गई.

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WHO का अनुमान- आने वाले साल में और भी बदतर हो सकते हैं हालात

16 देशों पर आधारित WHO के मॉडलिंग अनुमानों के मुताबिक 2021 में टीबी से होने वाली मौतें 2020 के मुकाबले काफी अधिक हो सकती हैं और 2022 में टीबी के मामलों में भी ज्यादा बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया है.

टीबी इन्फेक्शन से एक्टिव टीबी बीमारी का जोखिम कम करने में मुख्य तौर पर टीबी प्रिवेंशिट ट्रीटमेंट शामिल है. इसके अलावा टीबी संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण, बच्चों में BCG वैक्सीनेशन है.

ट्यूबरकुलोसिस (TB) के बारे में

टीबी एक घातक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है. ये ज्यादातर फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन शरीर के दूसरे अंगों पर भी इसका असर हो सकता है.

मेयो क्लीनिक के मुताबिक टीबी का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा में निकले बेहद सूक्ष्ण बूंदों के जरिए फैल सकता है. ये तब हो सकता है, जब कोई सक्रिय टीबी वाला मरीज (जिसका इलाज न हो) खांसता, बोलता, छींकता, थूकता, हंसता या गाता है.

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन इससे संक्रमित होना आसान नहीं है. आपको किसी अजनबी की तुलना में किसी ऐसे व्यक्ति से टीबी होने की अधिक संभावना है, जिसके साथ आप रहते हैं या काम करते हैं. सक्रिय टीबी वाले अधिकांश लोग जिनका कम से कम दो हफ्ते तक उचित दवा से उपचार हुआ है, उनसे संक्रमण नहीं होता.

टीबी के कई नए मामले पांच जोखिम कारकों से जुड़े हैं:

  • पोषण की कमी

  • एचआईवी संक्रमण

  • शराब के सेवन संबंधी विकार

  • धूम्रपान यानी स्मोकिंग

  • डायबिटीज

ट्यूबरकुलोसिस की रोकथाम हो सकती है और इसका इलाज भी संभव है. टीबी के मरीजों में से लगभग 85% लोगों का 6 महीने तक चलने वाली दवा से इलाज और आगे इन्फेक्शन ट्रांसमिशन को कम करने का फायदा मिलता है.

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