देश के ज्यादातर हिस्सों में हवा की क्वालिटी में गिरावट बढ़ने लगी है, आमतौर पर सलाह दी जाती है कि घर के अंदर रहना चाहिए और बिना जरूरत बाहर निकलने से बचना चाहिए. लेकिन क्या हमारा घर वास्तव में उतनी सुरक्षित जगह है, जिसकी हम उम्मीद करते हैं?

बदकिस्मती से इसका जवाब है— नहीं. हालांकि घर के अंदर का माहौल अधिक नियंत्रित किए जाने योग्य होता है, मगर अंदर की हवा बाहरी वायु प्रदूषण की तुलना में बहुत थोड़ी ही बेहतर होती है, जैसा कि फिट ने पहले की एक रिपोर्ट में बताया था.

खासकर मौजूदा हालात में यह चिंताजनक है, जिसमें कोविड-19 महामारी और इसके नतीजे में वर्क फ्रॉम होम यह पक्का करता है कि हम घर के अंदर ही रहेंगे.

जबकि हम दिन का अधिकांश हिस्सा घर में बिताते हैं, हम घर की दीवारों के भीतर अपनी हिफाजत कैसे करें?

घर के अंदर प्रदूषकों के स्रोत

सोसायटी फॉर इनडोर एनवायरमेंट संस्था की संयुक्त सचिव डॉ प्रियंका कुलश्रेष्ठ ने फिट से बातचीत में बताया, “सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आपके घरों में प्रदूषण के स्रोत क्या और कहां हैं.”

एक स्वतंत्र एडवांस टेस्टिंग संस्थान SGS चाइना के साथ ही डायसन इंजीनियर्स ने डायसन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर दिल्ली एनसीआर के घरों की इनडोर वायु गुणवत्ता पर एक अध्ययन किया है, जो हमारे तथाकथित सुरक्षित स्वर्ग के भीतर प्रदूषण की सच्चाई पर रोशनी डालता है. तो घर के अंदर टॉक्सिन (विषाक्त पदार्थों) के मुख्य स्रोत क्या हैं?

पेंट, कालीन, क्लीनिंग एजेंट और बिल्डिंग मटीरियल सभी में एक गैस फॉर्मलडिहाइड होती है जो हमारे गले, आंख, नाक और गले में तेज जलन पैदा करती है.

हमारे घरों के कोनों, कारपेट में सूक्ष्म जीव और हवा में तैरते बैक्टीरिया हमारे घरों को बाहर जैसा ही टॉक्सिक बनाने में योगदान कर सकते हैं!

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घर के अंदर प्रदूषण से निपटने के टिप्स

यहां सबसे महत्वपूर्ण चीज धूल या जहरीले रसायनों के जमा होने से बचने के लिए अपने घर को नियमित रूप से कूड़ा हटाना और साफ रखना है.

डॉ कुलश्रेष्ठ कहती हैं, “बहुत से प्रदूषक पहले से ही घर के अंदर हैं और समस्या तब होती है जब उन्हें फिर से हवा में सर्कुलेट कर दिया जाता है. भारत में, ऐसा तब होता है जब हम अपने घरों की रोजाना सफाई करते हैं. मैं यह सुनिश्चित करने के लिए कि धूल के कण दोबारा हवा में न फैले, पोछा लगाने की सलाह दूंगी.”

फिट के साथ एक वीडियो में दिल्ली की ‘सबसे हेल्दी इमारतों में से एक’ पहाड़पुर बिजनेस सेंटर के सीईओ और और पर्यावरण एक्टिविस्ट, कमल मेट्टल ने बताया था कि अपने घरों के अंदर ताजी हवा कैसे बढ़ा सकते हैं.

वह कहते हैं, “दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा है कि शायद, हेपा फिल्टर जैसी तकनीक का इस्तेमाल करना बेहतर होगा. लेकिन पेड़ों को वह काम करने दें, जो मशीनें नहीं कर सकती हैं, यानी, फॉर्मलडिहाइड और बेंजीन जैसे वाष्पशील रसायनों को कम करने दें."

तीन बहुत ही आम पौधे हैं जो आपको ऐसा करने में मदद करेंगे: एरिका पाम, मदर-इन-लॉज़ टंग या सेंसिविरिया और मनी प्लांट.

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Published: 26 Oct 2020,12:17 PM IST

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