उन्नाव जीका वायरस के मामले की रिपोर्ट करने वाला उत्तर प्रदेश का चौथा जिला बन गया है. कानपुर, कन्नौज और लखनऊ के बाद मंगलवार 16 नवंबर को उन्नाव में जीका वायरस का पहला मामला सामने आया.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 35 वर्षीय संक्रमित मरीज शुक्लागंज के मिश्रा कॉलोनी का रहने वाला है और रोजाना कानपुर जाता है, जहां वो लाल बंगला क्षेत्र के जाजमऊ में एक धागे की फैक्ट्री में काम करता है.

कानपुर में अब तक जीका वायरस के कुल 130 मामले सामने आए हैं.

उन्नाव जिले में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. डॉक्टरों की एक टीम संक्रमित व्यक्ति के घर पहुंची और सभी तरह के बचाव के उपाय सुनिश्चित किए.

उन्नाव के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. सत्य प्रकाश ने शुक्लागंज में जीका की जांच के लिए सैंपलिंग बढ़ाने का आदेश जारी किया है.

जीका संक्रमित को उन्नाव जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में भेजा गया है.

जीका वायरस कैसे फैलता है

(कार्ड: फिट)

संक्रामक रोग नियंत्रण इकाई के नोडल अधिकारी डॉ. वी.के गुप्ता ने बताया कि 13 नवंबर को कानपुर में संक्रमित का सैंपल लिया गया और वहां ही उसकी जांच की गई. मंगलवार 16 नवंबर को आई रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि वह जीका से संक्रमित है.

उन्नाव नगर निगम की टीम ने संक्रमित व्यक्ति के घर और उसके आसपास बड़े पैमाने पर फॉगिंग की और मलेरिया विभाग एंटी लार्वा केमिकल का छिड़काव कर रहा है.

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जीका वायरस के प्रसार को खत्म करने के लिए निवारक उपायों को बढ़ाते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यापक निगरानी तेज कर दी है और संचरण के स्तर को कम करने के लिए पूरे राज्य में घर-घर सर्वे शुरू किया है.

जीका वायरस संक्रमण के लक्षण

(कार्ड: फिट)

जीका को फैलने से रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा लागू किए गए कड़े नियंत्रण तंत्र के तहत, स्वास्थ्य कार्यकर्ता बड़े पैमाने पर स्वच्छता, राज्यव्यापी निगरानी अभियान, लार्वा विरोधी रसायनों के छिड़काव, फॉगिंग और सफाई अभियान कर रहे हैं.

22 अक्टूबर को जीका वायरस के राज्य के पहले मामले की पुष्टि के बाद से, उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में इसके आगे फैलने के जोखिम को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर सैंपलों की सख्त टेस्टिंग करने को कहा है.

जीका का इलाज

(कार्ड: फिट)

सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर वायरल फीवर, वेक्टर जनित बीमारियों और अन्य लक्षणों वाले संक्रमितों की पहचान कर रहे हैं.

अधिकारी पोस्टरों की मदद से जीका को रोकने के लिए निवारक उपायों पर जागरुकता पैदा करने के लिए भी काम कर रहे हैं.

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