पू्र्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 11 जून एम्स में भर्ती हुए. एम्स के डाक्टर ने बताया है की उन्हें यूरीन इंफेक्शन की शिकायत है.

(फोटो: Reuters)
एम्स के डॉक्टरों के अनुसार अटल बिहारी वाजपेयी को यूरीन इंफेक्शन की शिकायत है.(फोटो: Reuters)

आइए जानते हैं UTI यानी (यूरेनरी ट्रैक इंफेक्शन) क्या है और इसके क्या कारण हैं.

यूरिनेरी ट्रैक इंफेक्शन क्या है?

यूटीआई पुरुषों और महिलाओं दोनों को होने वाले सबसे आम संक्रमणों में से एक हैं. (फोटो: iStockphoto)

डॉ एन सुब्रमण्यम, सीनियर कंसल्टेंट - यूरोलॉजी, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली, कहते हैं:

यूटीआई पुरुषों और महिलाओं दोनों में होने वाले सबसे आम संक्रमणों में से एक हैं। इस संक्रमण का कारण बैक्टीरिया है, यह बैक्टेरीया बाहर से नहीं आता है बल्कि यह पहले से ही रेक्टम(गूदा) में मौजुद रहता है. लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है. कि ये संक्रमण आखिर क्यों विकसित होता है और क्या इससे कोई दूसरे इंफेक्शन भी होते हैं.
डॉ एन सुब्रमण्यम

यूटीआई होने की वजह क्या है?

यूरिनरी इंफेक्शन तब होता है, जब यूरेनरी ट्रैक में बैकटीरिया के चले जाने के बाद जब ब्लैडर में बैक्टेरीया की संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगती है. यूरेनरी ट्रैक इस बैक्टीरिया को खत्म नहीं कर पाता है तो ये इंफेक्शन का कारण बन जाता है.

यूटीआई से किसे खतरा है?

डॉ सुब्रहमण्यम कहते हैं कि

  • शिशुओ में और छोटे बच्चों को यूरिनेरी ट्रैक में बैकटीरिया के कारण यूटीआई का खतरा हो सकता है या जब यूरीन टिशु ब्लैडर से किडनी के रास्ते पहुंच जाता हैं.
  • युवा महिलाओं के सेक्सुअली सक्रीय रहने की वजह से भी उनमें यूरीन इंफेक्शन का खतरा रहता है.
किडनी में स्टोन हो जाने के दौरान भी यूरिन इंफेक्शन का खतरा होता है.
डॉक्टर सुब्रहमन्यम
  • मोनोपॉज की वजह से इस इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है क्योंकि महिलाओं में उस समय कई तरह के हार्मेनल बदलाव हो रहे होते हैं.
  • पुरुषों में, बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्लैड्स या पेशाब करने में परेशानी से उन्हें यूरिन ट्रैक इंफेक्शन का खतरा हो सकता है.
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यूटीआई के लक्षण

गंभीर मामलों में, तेज बुखार, ठंड और उल्टी का अनुभव हो सकता है. (फोटो: iStockphoto)

डॉ सुब्रमण्यम के अनुसार यूरिन इंफेकशन में इस तरह के लक्षण हो सकते हैं

• लगातार पेशाब आना

• पेशाब के दौरान जलन या दर्द

• भूख में कमी

• जी मिचलाना

• थकान / थकावट जो आम तौर पर लंबे समय तक चलती है

कुछ मामलों में, मूत्र के साथ कुछ ब्लीडिंग भी हो सकती है.
कुछ मामलों में तेज बुखार, ठंड और उल्टी का अनुभव हो सकता है। ऐसे मरीजों को गंभीरता पूर्वक तरीके से इलाज करने की आवश्यकता होती है, फिर भी ब्लड में बैक्टीरिया पहुंचने का खतरा हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप रोगी का ब्लड प्रेशर अचानक कम हो सकता है.
डॉ एन सुब्रमण्यम

इलाज

युवा महिलाओं को आमतौर पर तीन दिन तक एंटीबॉयोटिक पर रखते हैं, जिसके बाद उनकी सेहत में कुछ सुधार होता है.(फोटो: iStockphoto)

डॉक्टर सुब्रहमन्ण्यम का कहना है कि युवा महिलाओं को तीन दिन तक एंटीबायोटिक पर रखने की जरूरत पड़ती है, उसके बाद ही उनकी हालत स्थिर होती है. लेकिन शिशुओँ और बच्चों में इलाज हो जाने के बाद भी इंफेक्शन के खत्म होने की पुष्टी करना आवश्यक है.

वृध्द मरीजों मे इलाज थोड़ा अलग होता है, शुरूआती एंटीबॉयोटिक्स के बाद उन्हें अच्छी तरह मॉनीटर करने की आवश्यकता होती है. जिसके लिए उनका अल्ट्रासाउंड टेस्ट, यूरिन कल्चर करा के देखना पड़ता है, ताकि अगर इंफेकशन बच गया है तो उसे दवाओं से अच्छी तरह खत्म किया जा सके.
डॉ एन सुब्रहमण्यम

यूरिन इंफेक्शन के इलाज का कोई दुष्प्रभाव तो नहीं?

डॉक्टर सुब्रहमण्यम कहते हैं की अगर इलाज का कोई साइड-इफेक्ट होता है तो वह बचे हुए इंफेक्शन की वजह से होगा, ना की एंटीबॉयोटिक्स की वजह से.

कुछ एंटीबायोटिक्स सभी रोगीयों को सूट नहीं करती हैं. वे स्किन पर चकत्ते कर सकती हैं या पेट खराब कर सकती हैं। यही कारण है कि डॉक्टर आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं को लिखने से पहले, मरीज से उस दवा से हुई एलर्जी के बारे में पूछ लेते हैं. गुर्दे या लीवर के स्वास्थ को जानने के बाद ही किसी इलाज को आगे बढ़ाते हैं.
डॉ एन सुब्रहमण्यम

(पीटीआई के इनपुट से )

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