इंस्टैंट नूडल्स, पिज्जा, बर्गर और बहुत से जंक फूड आज हमारे डाइट में शामिल हो चुके हैं, जिन्हें हेल्दी नहीं माना जाता. डॉक्टर से लेकर घर के बड़े भी इनका कम से कम सेवन करने की सलाह देते हैं. आपने इससे जुड़े कई संदेश सोशल मीडिया पर भी देखे होंगे.

हमारे पास भी वॉट्सएप पर वीडियो के साथ एक मैसेज आया, जिसे आगे फॉरवर्ड करने की गुजारिश की गई थी. गुजारिश ही नहीं, मानव धर्म निभाते हुए शेयर करने के लिए कहा गया था. मैसेज में लिखा था,

'इस वीडियो को अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर हरीश शुक्ला ने ऑपरेशन के वक्त बनाया है. हमारा डाइजेशन सिस्टम नूडल्स को पचा नहीं पाता है. इसीलिए एक मरीज़ का ऑपरेशन करके नूडल्स को निकाला गया. अपने बच्चों को नूडल्स, पिज्जा, पास्ता से बचाइये. कृपया वीडियो देखें और मानव धर्म निभाते हुए इसे शेयर भी करें.'

ऑपरेशन का ये वीडियो साल 2015 से सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है(स्क्रीनशॉट)

क्या ये वीडियो अपोलो हॉस्पिटल का है?

इस मैसेज में भले ही अपोलो हॉस्पिटल का नाम लिया गया है. लेकिन दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल की पीआरओ ने बताया कि अपोलो के किसी डॉक्टर ने ऐसा कोई वीडियो नहीं बनाया. और हरीश शुक्ला नाम के कोई डॉक्टर उनके हॉस्पिटल में है ही नहीं.

वीडियो में मरीज की आंतों से क्या नूडल्स निकाला गया?

ये नूडल्स नहीं, worms हैं(वीडियो का स्क्रीनशॉट)

मैक्स हेल्थकेयर के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर अश्विनी सेत्या ने वीडियो देखकर बताया कि आंतों से नूडल्स नहीं, बल्कि worms निकाले जा रहे थे. उन्होंने कहा कि ध्यान से देखने पर आपको उनमें हलचल भी दिखाई देगी.

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इंटरनेट पर सर्च करने से पता चला कि इस वीडियो को साल 2015 से फेसबुक, यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्म पर शेयर किया जा रहा है. यहां तक इस पर कई स्टोरीज भी की गईं. ये कहते हुए कि हमारा पाचन तंत्र नूडल्स को नहीं पचा पाता है. इनसे आंतों में ब्लॉकेज हो जाती है. इसीलिए अपोलो के डॉक्टर हरीश शुक्ला को सर्जरी करके एक मरीज से पेट से अनपचे नूडल्स निकालने पड़े.

कोई भी पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड आइटम हेल्दी नहीं होता और इनका सेवन कभी-कभार ही किया जाना चाहिए. जहां तक किसी भी खाद्य पदार्थ को पचाने की बात है, तो मुंह में पहला निवाला डालने के साथ ही पाचन क्रिया शुरू हो जाती है.

आप खाना चबाते हैं, लार के साथ उसके पाचन की प्रक्रिया होने लगती है और खाद्य पदार्थ मुंह से होते हुए आहार नाल और अमाशय के बाद छोटी आंत और बड़ी आंत तक पहुंचता है. इस दौरान कई तरह के पाचक रस खाद्य पदार्थ को उसके घटकों में तोड़ देते हैं.

डॉक्टर अश्विनी सेत्या कहते हैं कि नूडल्स भी मैदे, गेंहू या चावल के आटे का बना होता है. ऐसा नहीं कहा जा सकता कि हमारा पाचन तंत्र नूडल्स को पचा नहीं सकता.

किसी भी चीज़ की अधिकता नुकसानदायक है. अति सर्वत्र वर्जयेत. नूडल्स को लेकर समस्या होती है, उसमें मौजूद प्रिजर्वेटिव्स के कारण. इनमें फाइबर नहीं होते. इसीलिए हम इसे हेल्दी खाने में शुमार नहीं करते हैं. लंबे समय तक इनकी उपयोगिता के लिए जिस तरह इन फूड आइटम की प्रोसेसिंग की जाती है, उस वजह से इनको पचाने में दिक्कत आती है. 
डॉक्टर अश्विनी सेत्या, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट, मैक्स हेल्थकेयर 

हम इंस्टैंट नूडल्स खाने की सलाह नहीं दे रहे

नूडल्स का स्वाद बढ़ाने के लिए और लंबे समय तक बचाने के लिए मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) और टर्शियरी-ब्यूटाइल हाइड्रोक्यूनोन (TBHQ) जैसे कैमिकल भी मौजूद हो सकते हैं. डॉक्टरों के मुताबिक इन तत्वों को सीमित मात्रा में लिया जा सकता है, लेकिन इनका रोजाना इस्तेमाल स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है.

वाशिंगटन पोस्ट ने 2016 में एक साउथ कोरियन स्टडी पर रिपोर्ट की थी. इसमें इंस्टैंट नूडल्स के स्वास्थ्य के प्रभाव के बारे में बात की गई थी. इसके मुताबिक इंस्टैंट नूडल्स को बनाना आसान होता है और स्वाद में भी ये अच्छे लगते हैं. लेकिन इनमें मौजूद हाई सोडियम, सैचुरेटेड फैट से नुकसान पहुंचता है. इस स्टडी में बताया गया कि इंस्टैंट नूडल्स का ज्यादा सेवन से न सिर्फ मोटापा बल्कि डायबिटीज, हाई बीपी, हाइपर टेंशन और दिल की बीमारियों का भी कारण बन सकता है.

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