पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में मारबर्ग वायरस डिजीज ( Marburg Virus Disease) से पहली मौत दर्ज की गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक पश्चिमी अफ्रीका में यह अब तक का पहला मामला है.

पीड़ित शख्स को 25 जुलाई से बुखार, सिर दर्द, थकान, पेट दर्द और मसूड़ों से खून के लक्षण शुरू हुए.

1 अगस्त को ये शख्स इलाज के लिए एक हेल्थ फैसिलिटी पहुंचा. उसका मलेरिया टेस्ट किया गया, जो कि निगेटिव निकला. मरीज के लक्षणों को मैनेज करने के लिए सपोर्टिव केयर दिया गया, हालांकि अगले दिन 2 अगस्त को मरीज की मौत हो गई.

जांच के लिए उसके पोस्ट-मॉर्टम ओरल स्वैब को कलेक्ट किया गया था और RT-PCR टेस्ट में इबोला नहीं मिला, लेकिन मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) का पता चला.

कैसे होता मारबर्ग वायरस (Marburg Virus) का संक्रमण?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह वायरस चमगादड़ों से इंसानों में ट्रांसमिट होता है. ये इबोला वायरस डिजीज करने वाले वायरस से संबंधित है.

Marburg वायरस का इंसानों में इन्फेक्शन शुरू में लंबे समय तक ऐसी गुफाओं या खानों (Mines) के संपर्क में आने से होता है, जहां Rousettus चमगादड़ रहते हैं.

संक्रमित व्यक्तियों के शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क के जरिए ये इंसानों-से-इंसानों में फैल सकता है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मारबर्ग वायरस डिजीज के लक्षण क्या हैं?

मारबर्ग वायरस डिजीज का इन्क्यूबेशन पीरियड यानी संक्रमित होने के बाद लक्षण सामने आने की अवधि 2-21 दिन है.

  • इस बीमारी की शुरुआत तेज बुखार, तेज सिरदर्द और गंभीर रूप से बीमार महसूस होने के साथ होती है.

  • मांसपेशियों में दर्द होता है.

  • तीसरे दिन से पानी जैसा दस्त, पेट में दर्द और ऐंठन, जी मिचलाना और उल्टी शुरू हो सकती है. दस्त एक हफ्ते तक रह सकता है.

  • इसमें रोगी बेहद सुस्त नजर आता है, चेहरा उतर जाता है, आंखें धंस जाती हैं.

  • लक्षण की शुरुआत के 2 से 7 दिन में दाने भी नोट किए गए हैं, जिसमें खुजली नहीं होती.

  • कई रोगियों में सात दिनों के अंदर गंभीर रक्तस्रावी लक्षण विकसित होते हैं.

इसके घातक मामलों में आमतौर पर अक्सर शरीर में कई जगह से ब्लीडिंग होती है. नाक, मसूड़ों और योनि से खून के साथ अक्सर उल्टी और मल में खून आ सकता है.

बीमारी के गंभीर चरण के दौरान, रोगियों को तेज बुखार होता है. केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के शामिल होने से भ्रम, चिड़चिड़ापन और आक्रामकता हो सकती है.

कितना खतरनाक है मारबर्ग वायरस?

वायरस स्ट्रेन और केस मैनेजमेंट के आधार पर पिछले प्रकोपों ​​में केस फैटेलिटी रेट (मृत्यु दर) 24 प्रतिशत से 88 प्रतिशत तक रहा है.

1967 से अब तक इस वायरस के 12 बड़े आउटब्रेक हो चुके हैं और ज्यादातर दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका में हुए थे.

लक्षणों के आधार पर मारबर्ग वायरस डिजीज (MVD) और मलेरिया, टाइफाइड बुखार, शिगेलोसिस और अन्य वायरल रक्तस्रावी बुखार के बीच अंतर कर पाना मुश्किल होता है.

मारबर्ग वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट-

  • ELISA

  • एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट

  • सीरम न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट

  • RT-PCR

  • सेल कल्चर के जरिए वायरस आइसोलेशन

मारबर्ग वायरस डिजीज का ट्रीटमेंट कैसे होता है?

इसके इलाज के लिए कोई वैक्सीन या एंटीवायरल ट्रीटमेंट मंजूर नहीं है, हालांकि सपोर्टिव केयर जैसे रिहाइड्रेशन और विशिष्ट लक्षणों के उपचार से, सर्वाइवल में सुधार होता है.

(इनपुट- IANS, WHO)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 10 Aug 2021,01:29 AM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT