हम जो कई नामी कंपनियों के शहद का सेवन कर रहे हैं, उनमें से ज्यादातर नैचुरल शहद है ही नहीं. उनमें शुगर सिरप की मिलावट है.
जी हां, हम जिस वजह से चीनी के मुकाबले शहद लेना पसंद करते हैं, असल में हम चीनी ही ले रहे हैं.
इस बात की पुष्टि हुई है, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की एक पड़ताल में, जिसमें देश के टॉप शहद ब्रांड्स फेल हो गए हैं.
CSE के मुताबिक कई कंपनियों के शहद में शुगर सिरप की मिलावट की जा रही है और शहद की शुद्धता की जांच के लिए भारतीय मानकों के जरिए इस मिलावट को पकड़ा भी नहीं जा सकता है.
शहद भी शुगर है, लेकिन ये खास है. चीनी और शहद दोनों में ही ग्लूकोज और फ्रक्टोज शुगर होते हैं.
जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की सीनियर डाइटीशियन डॉ ज्योति भट्ट बताती हैं कि शहद में कई न्यूट्रिशनल गुण होते हैं और कई पारंपरिक चिकित्सा में इसका इस्तेमाल होता आया है.
कई स्टडीज में शहद के एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीवायरल, एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव के बारे में बताया गया है.
यही वजह है कि शहद लंबे समय से गले में खराश और खांसी शांत करने के लिए एक घरेलू उपाय रहा है.
BMJ एविडेंस-बेस्ड मेडिसिन नाम के जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च रिव्यू के मुताबिक शहद ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाइयों के मुकाबले गले में खराश, खांसी और सर्दी में राहत देने में ज्यादा बेहतर हो सकता है.
इसका सीधा जवाब है शुगर सिरप की मिलावट यानी हमें शहद मिल ही नहीं रहा. जिन फायदों के लिए हम शहद का सेवन बढ़ा रहे हैं, चीनी की मिलावट के कारण वो फायदा हमें नहीं मिल रहा.
CSE की सुनीता नारायण के मुताबिक कोरोना काल में शहद का सेवन बढ़ा है. मार्च में शहद की बिक्री में 35% का इजाफा हुआ था, जो कि अब और ज्यादा हो गया होगा.
उन्होंने अमेरिकी सेंट्रर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का हवाला देते हुए कहा कि ज्यादा वजन गंभीर कोविड इन्फेक्शन बढ़ा सकता है. वहीं बढ़े वजन और डायबिटीज के बीच का लिंक पहले ही स्पष्ट हो चुका है.
लंबे समय तक अधिक चीनी हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है और यह नुकसान बड़े पैमान पर साबित हो चुके शारीरिक समस्याओं जैसे कि वजन बढ़ने या डायबिटीज और हृदय रोगों जैसी बीमारियों के रिस्क तक सीमित नहीं है. बहुत ज्यादा चीनी खाना हमारी मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा सकती है.
शहद में शुगर सिरप की मिलावट पर बी.एल.के सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ मेघा जैन कहती हैं कि अगर आप किसी चीज का सेवन बिना ये जाने कर रहे हैं कि उसमें चीनी है, तो ये सीधे चीनी खाने के मुकाबले ज्यादा खतरनाक है.
शहद की तुलना में ज्यादा फ्रक्टोज होने के नाते चीनी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है. इसका मतलब है कि चीनी ब्लड शुगर लेवल को तेजी से बढ़ाता है, जबकि शहद ब्लड में ग्लूकोज को धीमी गति से रिलीज करता है.
इसी गुण के कारण डायबिटिक लोगों के लिए और जिन्हें डायबिटीज होने का रिस्क है, उनके लिए शहद चीनी की अपेक्षा थोड़ा बेहतर विकल्प माना जाता है.
क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ मेघा जैन कहती हैं कि शुगर सिरप की मिलावट वाले शहद से उन लोगों पर ज्यादा असर होगा, जिन्हें डायबिटीज है, जो प्री-डायबिटिक हैं या जिनमें हार्मोनल असंतुलन है.
जैसा कि CSE ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि शहद में मिलावट का स्तर जांचने में भारतीय लैब्स नाकाम रही थीं. ऐसे में हम ये कैसे तय कर सकते हैं कि हमें शुद्ध शहद मिले.
मिलावटी शहद से बचने के लिए न्यूट्रिशनिस्ट रुपाली दत्ता ने इससे पहले फिट से बातचीत में सलाह दी थी कि अगर आप शहद के फायदे लेना चाहते हैं, तो किसी विश्वसनीय सोर्स से नैचुरल शहद लें, जिसकी प्रोसेसिंग न की गई हो. साथ ही कुल कैलोरी इनटेक का भी ध्यान रखना जरूरी है.
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