विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार, 22 सितंबर को संशोधित वायु गुणवत्ता गाइडलाइंस (Air Quality Guidelines या AQG) जारी की, जिसका मकसद वायु प्रदूषकों के स्तर को कम करना और दुनिया भर में वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से होने वाली बीमारियों के खतरे को कम करना है.
वायु प्रदूषण (Air Pollution) जलवायु परिवर्तन के साथ ही लोगों की सेहत के लिए सबसे बड़े पर्यावरणीय खतरों में से एक है.
WHO का आकलन है कि वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 70 लाख लोगों की समय से पहले मौत हो जाती है.
वायु प्रदूषण से होने वाली 91 प्रतिशत मौतें निम्न-आय और मध्यम-आय वाले देशों में होती हैं.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक दूसरे अध्ययन से पता चला है कि जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) से होने वाला वायु प्रदूषण दुनिया भर में हर 5 में से 1 मौत के लिए जिम्मेदार है.
नई गाइडलाइंस वायु प्रदूषण से इंसानी सेहत के लिए खतरे को उजागर करती है, इससे नुकसान का सबूत पेश करती है और खतरे के प्रति हमें जागरूक करती है.
हम घर के अंदर या बाहर जिस हवा में सांस लेते हैं, उसे किसी केमिकल, फिजिकल या बायोलॉजिकल कारक द्वारा जहरीला बनाना वायु प्रदूषण है, जिससे इंसान और इको-सिस्टम को खतरा पैदा हो सकता है.
वायु प्रदूषक कई स्रोतों से पैदा होते हैं. इनमें से कुछ हैं:
ऊर्जा क्षेत्र
परिवहन क्षेत्र
घरों में खाना बनाना और गर्म करना
कचरा डंपिंग साइट
औद्योगिक गतिविधियां
कृषि
साल 2005 के पिछले वैश्विक अपडेट के बाद से क्वालिटी और साक्ष्य की मात्रा में काफी बढ़ोतरी हुई है, जो दर्शाती है कि वायु प्रदूषण सेहत के तमाम पहलुओं पर किस तरह असर डालता है.
अपडेट किए गए कई AQG की वैल्यू 15 साल पहले के मुकाबले कम हैं. WHO का कहना है कि अब उत्सर्जन के स्रोतों और दुनिया पर बीमारी की मार में वायु प्रदूषकों (air pollutant) की हिस्सेदारी के बारे में बेहतर समझ भी बनी है.
WHO की पिछली गाइडलाइंस की तुलना में नए AQG सबूतों के विश्लेषण और गाइडलाइंस तय करने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल किया गया है, जो स्वास्थ्य प्रभावों पर मजबूत सबूत सामने रखते हैं और दूसरी चीजों के साथ कुछ नए AQG स्तर पेश करते हैं.
दुनिया की 90 फीसद से ज्यादा आबादी ऐसे इलाकों में रहती है, जहां WHO के तय प्रमुख वायु प्रदूषक सीमा से अधिक हैं.
IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में दुनिया के 100 सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में से कम से कम 79 में सालाना औसत PM 2.5 वायु प्रदूषण का स्तर 2005 के WHO एयर क्वालिटी गाइडलाइन से ऊपर था.
दुनिया भर में 100 सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में से 8 में PM 2.5 वायु प्रदूषण का कोई डाटा मौजूद नहीं है, जो ग्राउंड सेंसर लगाए जाने की जरूरत को उजागर करता है.
प्रदूषण का स्तर दक्षिण एशिया में लगातार ऊंचा बना हुआ है और यह स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है.
भारत ने पिछली बार साल 2009 में अपने वायु प्रदूषण मानकों में बदलाव किया था, जो WHO की तय गाइडलाइंस और अन्य एशियाई देशों की तुलना में काफी लचीलेपन से किया गया है.
शहर- 2021 की गाइडलाइंस से तुलना
दिल्ली- 16.8 गुना ज्यादा
कोलकाता- 9.4 गुना ज्यादा
चेन्नई- 5.4 गुना ज्यादा
अहमदाबाद- 9.8 गुना ज्यादा
ग्रीनपीस इंडिया के एक विश्लेषण के अनुसार साल 2020 में दुनिया के 100 शहरों में दिल्ली का सालाना PM 2.5 रुझान WHO की संशोधित एयर क्वालिटी गाइडलाइंस के 5 ug/m3 से 16.8 गुना ज्यादा था.
जबकि मुंबई का 8 गुना, कोलकाता का 9.4, चेन्नई का 5.4, हैदराबाद का 7 गुना और अहमदाबाद का 9.8 गुना से ज्यादा रहा.
दुनिया भर के 10 शहरों में वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले होने वाली मौतों और आर्थिक नुकसान की गणना करते हुए पाया गया कि दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतें हुईं. साल 2020 में यहां वायु प्रदूषण की वजह से 57,000 मौतें हुईं और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 14 फीसद नुकसान हुआ.
हालांकि GDP फीसद हिस्सा शहरों में सबसे अधिक था, मगर प्रति व्यक्ति लागत दूसरे शहरों की तुलना में कम थी, जिनकी प्रति व्यक्ति आय और कुल आकलित घाटा अधिक था.
वायु प्रदूषण से असमय मौत और कई बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है, जिनमें शामिल हैं:
दमा
बच्चे का समय से पहले जन्म
जन्म के वक्त शिशु का वजन कम होना
डिप्रेशन
सीजोफ्रेनिया
डायबिटीज
स्ट्रोक
लंग कैंसर
यह हालत उन जगहों पर भी है, जहां वायु प्रदूषण का स्तर 2005 के WHO एयर क्वालिटी गाइडलाइंस की सीमा के अंदर है.
सेहत पर असर आर्थिक कीमत भी वसूलता है. बीमारी में काम से गैरहाजिरी और समय से पहले मौत के चलते जिंदगी के सालों के साथ-साथ समाज को काफी आर्थिक नुकसान भी होता है, जो कुछ जगहों पर GDP का 14 फीसद तक है.
WHO की संशोधित एयर क्वालिटी गाइडलाइन वायु प्रदूषण संकट की गंभीरता के बारे में साफ चेतावनी है.
गाइडलाइंस का मकसद सभी देशों के लिए तयशुदा एयर क्वालिटी स्तर हासिल करना है.
इस संकट से निपटने के लिए यहां ग्रीनपीस की कुछ सिफारिशें दी गई हैं:
सरकारों को WHO की AQG को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें.
बिजली, परिवहन और उद्योग के लिए जीवाश्म ईंधन के विकल्प अपनाने के लिए सरकारों को प्रोत्साहित करें.
सरकारों को परिवहन के बुनियादी ढांचे की व्यवस्था पर प्राथमिकता से ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करें, जिसमें पैदल चलने और साइकिल से चलने– या लंबी दूरी के लिए और दूसरी जरूरतों वाले लोगों के लिए, इलेक्ट्रिक बसों और ट्रेनों के– इस्तेमाल पर जोर हो और परिवहन के जीवाश्म ईंधन वाले साधनों का इस्तेमाल करना बंद कर दें.
शहरी इलाकों में प्राइवेट वाहन-मुक्त दिन या इलाके बनाए जाएं.
शहरी इलाकों में ग्रीन स्पेस बनाएं और पेड़ लगाकर जैव विविधता (biodiversity) को प्रोत्साहित करें.
स्थानीय लोगों के साथ संवाद करें: अपने क्षेत्र में वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य और वित्तीय समस्याओं पर बात करें और समाधान सुझाएं.
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