केरल में 8 जुलाई को जीका वायरस (Zika Virus) संक्रमण के मामलों का पता चला था, जिसमें पहला मामला एक गर्भवती महिला का था.

केरल में 26 जुलाई तक जीका वायरस के 51 मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें से पांच एक्टिव मामले थे. हालांकि राज्य में अलर्ट इसकी शुरुआत में ही जारी कर दिया गया था और विशेषज्ञों को संक्रमण के मामलों की निगरानी करने के लिए कहा गया था.

जीका वायरस संक्रमण कैसे होता है?

जीका वायरस एडीज मच्छरों के जरिए इंसानों में आता है.

जीका वायरस रक्त और वीर्य (सीमन) जैसे शारीरिक तरल पदार्थों के जरिए भी ट्रांसमिट हो सकता है.

इससे संक्रमित गर्भवती महिला से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी जीका वायरस संक्रमण हो सकता है.

इसीलिए जिन इलाकों में जीका के मामले रिपोर्ट किए जाते हैं, वहां गर्भवती महिलाओं को खास तौर पर सावधान रहने की सलाह दी जाती है.

गर्भवती महिलाओं के लिए जीका वायरस कितना खतरनाक

हैदराबाद के यशोदा हॉस्पिटल में स्त्री रोग और प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. भाग्य लक्ष्मी एस बताती हैं कि गर्भवती महिला को जीका वायरस संक्रमण किसी भी तिमाही में हो सकता है, हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि गर्भवती महिलाओं को जीका संक्रमण होने का ज्यादा रिस्क हो.

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर गर्भावस्था के दौरान संक्रमण होता है, तो गर्भपात, प्रसूति के दिन पूरे होने के पहले बच्चे का जन्म और कुछ जन्मजात विकृतियों का खतरा हो सकता है, जिन्हें कॉन्जेनिटल जीका सिंड्रोम (Congenital Zika Syndrome) कहा जाता है.

मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अनघा छत्रपति कहती हैं,

अगर गर्भावस्था के पहले 3-6 महीनों में जीका संक्रमण होता है, तो इसका ज्यादा बुरा प्रभाव हो सकता है.

इस तरह के मामले में सबसे ज्यादा माइक्रोसेफली यानी नवजात के छोटे सिर वाली कंडिशन देखी गई है.

माइक्रोसेफली असामान्य मस्तिष्क विकास या मस्तिष्क के ऊतकों के नुकसान के कारण होता है. बच्चे पर कितना असर पड़ेगा, ये मस्तिष्क की क्षति पर निर्भर करता है.
डॉ. अनघा छत्रपति, स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ, ग्लोबल हॉस्पिटल, मुंबई

हालांकि, ऐसा नहीं है कि जीका पॉजिटिव मां से पैदा होने वाला हर बच्चा जीका से संबंधित जटिलताओं से प्रभावित हो. अनुमान के मुताबिक यह लगभग 5-15 प्रतिशत मामलों में रिपोर्ट किया गया है, खासकर अगर जीका संक्रमण पहली तिमाही में हुआ हो.

डॉ. अनघा छत्रपति बताती हैं कि बच्चे में जन्मजात विकृति मां में जीका वायरस के लक्षण और बिना लक्षण वाले दोनों तरह के संक्रमण के मामलों में देखे जा सकते हैं.

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जीका वायरस: गर्भवती महिलाएं क्या एहतियात बरतें?

  • गर्भवती महिलाओं को जीका वाले क्षेत्रों की यात्रा नहीं करनी चाहिए

  • मच्छरों के काटने से बचने के उपायों का सख्ती से पालन करना चाहिए

  • जो महिलाएं गर्भवती हैं या गर्भवती होने की योजना बना रही हैं और उनके सेक्शुअल पार्टनर को जीका फैलाने वाले मच्छरों के काटने से खुद को बचाने के लिए खास ध्यान रखना चाहिए.

पूरी बाजू और पैरों को ढकने वाले कपड़े पहनें. घरों में मच्छर रिपेलेंट का इस्तेमाल करें, जो सुरक्षित हों.
  • यौन संचरण (sexual transmission) को रोकने के लिए कदम उठाएं - कंडोम का सही उपयोग करें

  • रोगी के शरीर से निकले तरल पदार्थ के संपर्क में आने से बचें

  • जीका वायरस संचरण वाले क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को अपनी नियमित प्रसवपूर्व देखभाल के लिए डॉक्टर से जल्द संपर्क शुरू कर देना चाहिए.

गर्भवती महिला को जीका से संक्रमित होने पर इन बातों का ध्यान रखना चाहिए

हैदराबाद के यशोदा हॉस्पिटल में स्त्री रोग और प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. भाग्य लक्ष्मी एस कहती हैं:

  • अगर आप में जीका के लक्षण हैं, तो डॉक्टर से कंसल्ट करने में देरी न करें

  • भ्रूण की शारीरिक रचना और वृद्धि का आकलन करने के लिए डॉक्टर हर 4 हफ्ते में अल्ट्रासाउंड करा सकते हैं

  • क्लीनिकल हालात को देखते हुए गर्भाशय की जांच का निर्णय लिया जा सकता है

  • जन्मजात जीका वायरस सिंड्रोम की विसंगतियों की जांच कराई जा सकती है

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