जायडस कैडिला (Zydus Cadila) ने अपनी कोरोना वैक्सीन ZyCoV-D के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मांगी है. ये वैक्सीन 12 साल और इससे अधिक की उम्र के लोगों के लिए है.

ऐसे में जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन (COVID-19 Vaccine) को 12 से 18 साल की एजग्रुप के वैक्सीनेशन के लिए भी जल्द मंजूरी मिल सकती है.

Livemint की इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र की कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एन.के अरोड़ा ने रविवार 27 जून को बताया था कि जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल लगभग पूरा हो चुका है. जुलाई के आखिर तक या अगस्त में 12 से 18 साल उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है.

जायडस कैडिला की ZyCoV-D किस तरह की वैक्सीन है?

ZyCoV-D, अहमदाबाद स्थित भारतीय दवा कंपनी जायडस कैडिला (Zydus Cadila) ने विकसित की है.

ZyCoV-D एक प्लास्मिड डीएनए वैक्सीन है. डीएनए (और आरएनए) वैक्सीन— 1990 के दशक में पहली बार विकसित अपेक्षाकृत एक नई टेक्नोलॉजी है, जिसमें पारंपरिक वैक्सीन की तरह पैथोजन के एक कमजोर रूप का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

इसके बजाए इस तरह की वैक्सीन वायरस के जेनेटिक कोड का इस्तेमाल कर काम करती है. प्लास्मिड वेक्टर को कोशिकाओं में डाला जाता है और फिर इसे न्यूक्लियस में रोपित कर दिया जाता है. इसे दूसरे मैसेंजर आरएनए (mRNA) मॉलीक्यूल में ट्रांसफर कर दिया जाता है, जो कोशिका के माध्यम से इम्यून प्रतिक्रिया करता है.

सैद्धांतिक रूप से डीएनए वैक्सीन एमआरएनए वैक्सीन जैसे ही नतीजे देती हैं, और इसलिए जायडस वैक्सीन का असर भी मॉडर्ना (Moderna), फाइजर (Pfizer) और जॉनसन एंड जॉनसन सहित बाजार में पहले से मौजूद दूसरी mRNA वैक्सीन जैसा ही होने की संभावना है.

एक फायदा यह है कि डीएनए वैक्सीन अपनी mRNA समकक्षों के मुकाबले ऊंचे तापमान में भी अधिक टिकाऊ हैं, जिससे वे भारत जैसे गर्म देशों में इस्तेमाल के लिए ज्यादा कारगर हैं.

“इसके अलावा, अगर वायरस म्यूटेशन (रूप परिवर्तन) करता है, तो इस प्लेटफॉर्म (डीएनए वैक्सीन) का इस्तेमाल कर कुछ हफ्तों में ही वैक्सीन को तेजी से दुरुस्त किया जा सकता है, और सुनिश्चित किया जा सकता है कि वैक्सीन आगे भी सुरक्षा देती रहे.”
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जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल

जुलाई 2020 में, कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने घोषणा करी कि कोविड-19 के लिए उनकी ZYCoV-D नाम की वैक्सीन ने प्री-क्लीनिकल डेवलपमेंट कामयाबी से पूरा कर लिया है और इंसानी क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने की इजाजत हासिल कर ली है.

24 दिसंबर को, कंपनी ने 1000 से अधिक स्वस्थ वयस्क स्वयंसेवकों के क्लीनिकल ट्रायल के पहले/दूसरे चरण के नतीजे जारी किए.

3 जनवरी को, उन्होंने घोषणा की कि उनकी वैक्सीन ZyCoV-D का तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मिल गई है.

इसके बाद 60 जगहों पर 30,000 स्वस्थ वयस्क वालंटियर्स पर तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए डोज देना शुरू कर दिया गया.

वहीं बच्चों पर इसके ट्रायल की बात करें, तो केंद्र ने हाल में एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि 12-18 साल की एजग्रुप पर Zydus Cadila की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल हो गया है. ये वैक्सीन जल्द उपलब्ध हो सकती है.

जायडस कैडिला की कोविड वैक्सीन Covaxin और Covishield से किस तरह अलग है?

कोवैक्सीन पूरी तरह इनएक्टिव वायरस टाइप की वैक्सीन है और कोविशील्ड नॉन-रेप्लिकेटिंग वायरल वेक्टर टाइप की वैक्सीन है.

दोनों ही अपेक्षाकृत पारंपरिक, अच्छी तरह आजमाई जा चुकी वैक्सीन टेक्नोलॉजी हैं, जो वायरस के एक हिस्से (ऑक्सफोर्ड वैक्सीन में यह वायरस की सतह पर पाया जाने वाला जीन प्रोटीन स्पाइक्स है) या पूरे वायरस को ‘हानिरहित’ रूप में परिवर्तित करके काम करती हैं, जो वास्तविक वायरस से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है.

जाइडस वैक्सीन के बारे में जैसा कि बताया गया है, यह एक डीएनए वैक्सीन है, जो हमारी कोशिकाओं को कुछ खास निर्देश देती है, जो वायरस की पहचान करने और प्रतिक्रिया करने के लिए हमारे इम्यून सिस्टम को तैयार करता है.

कोविशील्ड और कोवैक्सीन के उलट, ZyCoV-D को तीन डोज वाली वैक्सीन के रूप में टेस्ट किया जा रहा है.

कोविशील्ड और कोवैक्सीन को जबकि 2-8 डिग्री सेल्यियस के आम रेफ्रिजरेटर तापमान में स्टोर करना होता है, कंपनी का दावा है कि ZyCoV-D वैक्सीन 25 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में रखी जा सकती है.

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Published: 28 Jun 2021,03:51 PM IST

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