(Holi 2021: इस साल 28 मार्च को होलिका दहन और 29 मार्च को होली मनाई जाएगी. इस मौके पर ये स्टोरी फिर पब्लिश की जा रही है.)
इस बार होली में कितनी मस्ती करनी है, इसकी प्लानिंग आपने शुरू कर दी होगी. किसे, कितना और कौन सा रंग लगाना है, ये भी तय कर लिया होगा और होली पर बनने वाले पकवान...उनके बारे में तो सोचकर ही मुंह में पानी आ रहा होगा. वैसे क्या आप जानते हैं कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी होली खेलने का अपना महत्व है, लेकिन तभी जब आप उसी तरीके से रंगों का ये त्योहार मनाएं.
होली और आयुर्वेद के संबंध की चर्चा करते हुए जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर और आयुर्वेदाचार्य डॉ प्रताप चौहान बताते हैं, "मानव शरीर भूमि, आकाश, वायु, जल और अग्नि से मिल कर बना है. शरीर में इन पांचों तत्वों की गड़बड़ी से बीमारियां होती हैं, तीन दोषों वात, पित्त और कफ में असंतुलन पैदा होता है. हमारे शरीर में गड़बड़ी या असंतुलन के कई कारकों में एक बदलता मौसम भी है. इसीलिए आयुर्वेद में हर मौसम के अनुसार रहन-सहन और आहार संबंधी नियम बताए गए हैं, जिसे ऋतुचर्या कहते हैं."
वो कहते हैं कि होली का त्योहार वसंत ऋतु के लिए रहन-सहन और आहार संबंधी नियमों का एक हिस्सा है. वसंत ऋतु गर्म दिनों की शुरुआत होती है, ठंड के बाद अचानक तापमान और आर्द्रता में हुई बढ़ोतरी के कारण शरीर में जमा कफ पिघलने लगता है और कफ से जुड़ी कई बीमारियां होने लगती हैं.
मूल रूप से होली का त्योहार इसी कफ से निजात दिलाने और तीनों दोषों को उनके प्राकृतिक अवस्था में लाने के लिए मनाया जाता है.
रंगों के बगैर होली की कल्पना नहीं की जा सकती है. हालांकि पारंपरिक रूप से होली खेलने के लिए रंग आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से तैयार किए जाते थे.
डॉ चौहान के अनुसार इस तरह प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए रंगों में कफनाशक गुण होते हैं. इन्हें स्किन पर लगाने से फायदा होता है, नई त्वचा कोशिकाओं के निर्माण में मदद मिलती है और स्किन डिटॉक्स भी होती है.
हालांकि वो इस बात पर जोर देते हैं कि अगर हम होली के रंगों का फायदा चाहते हैं, तो हमें सिर्फ ऑर्गेनिक, हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल करना होगा.
बाजार से केमिकल वाले कलर खरीदने की बजाए आप घर पर खुद कुछ रंग तैयार कर सकते हैं.
जैसे पीले रंग के लिए हल्दी है, मैदे में हल्दी मिला दीजिए, पीला रंग तैयार हो गया
मैदे में मेंहदी मिला कर हरा रंग बनाया जा सकता है
गेंदे के फूल सूखाकर पीसे जा सकते हैं
टेसू के फूल को पानी घोलकर होली खेली जा सकती है
होली के त्योहार को रंगों के साथ और जिस चीज के लिए जाना जाता है, उसमें ढेर सारे पकवान भी शामिल हैं- गुझिया, मालपुआ, कई तरह के नमकीन, गुलाबजामुन, दही-बड़े. यही वजह है कि होली के दिन आप जितनी कोशिश कीजिए तली-भुनी चीजें और मिठाइयों से ज्यादा दूर आप रह नहीं पाते हैं. इससे कब्ज या पेट की दूसरी दिक्कतें हो सकती हैं. इसलिए स्किन के साथ-साथ आपको अपने पेट का भी ख्याल रखना चाहिए.
और अंत में डॉ चौहान अपील करते हैं कि होली पर नशा करने से बचें. इस त्योहार पर प्यार का नशा होना चाहिए और किसी चीज का नहीं.
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Published: 06 Mar 2020,07:24 PM IST