राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (National Nutrition Week) हर साल 1-7 सितंबर यानी सितंबर के पहले हफ्ते मनाया जाता है. इसका उद्देशय है, लोगों में पोषण के प्रति जागरुकता बढ़ाना.
जन्म के पहले छह महीने शिशु के पौष्टिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए मां का दूध ही काफी होता है. 6 महीने पूरा होने पर स्तनपान के साथ-साथ घर का खाना भी शुरू कर देना चाहिए ताकि तेजी से बढ़ते शरीर को बराबर पोषण मिलता रहे.
इस उम्र में बच्चे का सही पोषण पूरे जीवन उसकी सहायता करेगा. इसके बाद भी इंसान को शरीर की बढ़ती आवश्यकता के अनुसार संतुलित पोषण मिलना चाहिए.
पोषण स्वास्थ्य की नींव है. हमारे खाने की थाली हमें न केवल शक्ति देती है ब्लकि ये आजीवन कई बीमारियों से बचाती है.
आइए देखते हैं कि ऐसी सेहत की थाली में क्या होता है.
क्या है भई इस थाली में?
इस लाली में, हरियाली में?
इस थाली में सेहत है
बनाने वाली की मेहनत है.
इस थाली में तरकारी है
साग, टमाटर सारी है
रंग-बिरंगे सब्जी फल
देते विटामिन मिनरल.
फिर होता है रोटी भात
एक चौथाई इसका हाथ
दोसा, ब्रेड हो या भुट्टा
ये दे ताकत और दे ऊर्जा.
और जो ये मछली, अंडा है
सोया, मशरूम - ये फंडा है
कि चौथाई इसका हिस्सा भी
खत्म नहीं ये किस्सा अभी.
नमक, चीनी बिल्कुल जरा
स्वाद भी हो तो सेहत भरा.
थोड़ा तेल भी है इसमें
वेजिटेबल ऑइल, ना ट्रांस फैट जिसमें
जैसे जैतून, मूंगफली, सोया या सरसों
ये थाल है ढाल- आज, कल, परसों.
और पानी साथ में 8 गिलास
रखे स्वस्थ मिटाए प्यास.
इस थाली में है सेहत
इसके फायदे हैं बेहद.
जो घुमा फिरा कर ये थाली
कर दें हम हर दिन खाली.
हम बच सकेंगे रोग से
इस नियमित, संतुलित भोग से.
मधुमेह, बीपी, कर्क की बीमारी
या हो किडनी या दिल की ही बारी
यह थाली ही तो करेगी तैयार
कि न आए देह पर रोग का भार.
और जो थाली में न हो पोषण
करते रहें पेट का शोषण
तो बीमारियों से कौन बचाएगा?
अस्पताल में पछताएगा.
सही मात्रा में हो सही खाद्य
तो सुर में हो सेहत का वाद्य.
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Published: 06 Sep 2021,03:58 PM IST