हमारे देश में हार्ट फेलियर, दिल की उन बीमारियों में से है, जिसकी पहचान सबसे कम हो पाती है और जिसकी वजह से इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या भी ज्यादा होती है.
नेशनल हार्ट फेलियर रजिस्ट्री ने हाल ही में एक साल के आंकड़ों का खुलासा किया, जिससे पता चलता है कि हार्ट फेलियर का पता लगने के 90 दिनों के अंदर तकरीबन 17 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है.
ये ऊंची मौत की दर ब्रेस्ट और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से जुड़ी मृत्यु दर के बराबर है.
हार्ट फेलियर को समझने के मामले में काफी अस्पष्टता है. इस बीमारी को भ्रमवश अक्सर दिल का दौरा मान लिया जाता है या फिर इसके लक्षणों को बुढ़ापे या दूसरी बीमारियों के संकेत के रूप में अनदेखा किया जाता है.
वर्तमान में, यह भारत में 10 मिलियन से अधिक रोगियों के साथ सभी सीवीडी (कार्डियोवैस्कुलर डिजीज) के बीच बढ़ी हुई मृत्यु दर और बार-बार अस्पताल में भर्ती किए जाने का प्रमुख कारण है.
हार्ट फेलियर एक क्रॉनिक और लगातार बढ़ने वाली बीमारी है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां समय के साथ कमजोर या कड़ी हो जाती हैं, जिससे हृदय का सामान्य रूप से पंप करना मुश्किल हो जाता है.
कई सामान्य लक्षण और जोखिम हार्ट फेलियर का कारण बन सकते हैं. अगर पहले दिल का दौरा पड़ चुका हो, तो यह भी हार्ट फेलियर के प्रमुख कारणों में से एक है.
सुस्त जीवन शैली, व्यायाम की कमी, तनाव, धूम्रपान, शराब का अत्यधिक सेवन, नशीली दवाओं के उपयोग आदि से जीवन शैली से संबंधित बीमारियों की आशंका बढ़ती है और यह भविष्य में हार्ट फेलियर के जोखिम को बढ़ाता है.
हाई ब्लड प्रेशर हृदय के काम को मुश्किल बना देता है. समय के साथ, यह पंपिंग के लिए जिम्मेदार हृदय की मांसपेशियों पर दबाव डालने लगता है.
संकीर्ण धमनियां ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति में कमी लाती हैं. इस सीमित रक्त प्रवाह की जरूरत को पूरा करने के लिए हृदय ज्यादा तेजी से पंप करता है, जिसके परिणामस्वरूप हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं.
दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर समान नहीं हैं. हार्ट अटैक एक अचानक होने वाली हृदय संबंधी घटना है, जिसका सीधा असर हृदय की बुनियादी कार्यप्रणाली पर पड़ता है.
इन मामलों में हार्ट फेलियर की आशंकाएं बढ़ जाती हैं.
डायबिटीज जैसी गंभीर स्थिति में हाई ब्लड प्रेशर और कोरोनरी धमनी की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप हार्ट फेलियर की आशंका भी बढ़ जाती है.
कार्डियोमायोपैथी हृदय की मांसपेशियों की एक बीमारी है, जो शराब के सेवन और / या धूम्रपान या नशीली दवाओं के दुरुपयोग या कुछ अन्य वजहों से होता है, जिन्हें अभी खोजा जाना बाकी है.
अधिक वजन होना असामान्य हृदय क्रिया के लिए जोखिम बढ़ाता है और हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज आदि के खतरे को भी बढ़ाता है.
लंबे समय तक वसा का ज्यादा जमाव हृदय की मांसपेशियों के माध्यम से रक्त के प्रवाह को प्रभावित कर सकता है, जिससे हार्ट फेल होने की आशंका बढ़ती है.
इस रोग में हृदय का एक या अधिक वॉल्व सही काम नहीं करता है. इससे हृदय से शरीर में जाने वाला खून अवरुद्ध हो सकता है और कई जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो हार्ट फेलियर का कारण बन सकती हैं.
हृदय की असामान्य लय, खासकर अगर वह लगातार और तेज होती है, तो इससे हृदय की मांसपेशियां कमजोर होती हैं और हार्ट फेलियर की आशंका बढ़ सकती है.
इस मामले में यही सलाह दी जा सकती है कि समग्र रूप से स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाए.
(डॉ. संदीप सेठ एम्स, नई दिल्ली में प्रोफेसर ऑफ कार्डियोलॉजी हैं.)
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