अगर आप इस घातक महामारी के दौरान पूरी फिट रहना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे अच्छे तेल का चुनाव करना बहुत जरूरी है. चूंकि कोविड-19 एक इन्फ्लेमेट्री डिजीज है और ऐसे में विशेषज्ञों का कहना है कि हमें एंटी-इन्फ्लेमेट्री डाइट लेनी चाहिए और खाना पकाने में सही तेल का इस्तेमाल करना चाहिए.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और मशहूर फिजीशियन- कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि ऐसे समय में सरसों के तेल का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा है.
पुरी ऑयल मिल्स लिमिटेड (पी मार्क मस्टर्ड ऑयल के निर्माता) की रिसर्च एंड डेवलपमेंट विंग मस्टर्ड रिसर्च प्रमोशन कंसोर्टियम की डायरेक्ट डॉ. प्रज्ञा गुप्ता कहती हैं, "सरसों के तेल की जो कंपोजिशन है, वह कार्डियोलॉजी की नजर से बहुत ही अच्छी है. यही वजह है कि सारे डॉक्टर्स दिल की बीमारियों, हाई ब्लड प्रेशर और दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचने के लिए सरसों के तेल से भोजन पकाने की सलाह देते हैं. कच्ची घानी सरसों का तेल अपनी शुद्धता, प्राकृतिक तत्वों से भरपूर होने, एक्स्ट्रा-वर्जिन, कोल्ड-प्रेस्ड होने के कारण स्वास्थ्य के लिए कई फायदे देता है."
फोर्टिस हार्ट एंड वैस्कुलर इंस्टीट्यूट गुरुग्राम, फोर्टिस हॉस्पिटल वसंत कुंज के चेयरमैन और हार्ट डिजीज एक्सपर्ट डॉ.टी.एस. क्लेर के मुताबिक सरसों के तेल के कई ऐसे फायदे हैं, जो दूसरे तेलों से नहीं मिलते हैं.
वह कहते हैं,
सरसों के तेल में एक फाइटोकेमिकल कंपाउंड होता है, जिसे एलिल आइसोथियोसाइनेट के रूप में जाना जाता है जो एंटी-इन्फ्लेमेट्री होता है. सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि यह इन्फ्लेशन को कम करने और उसे घटाने में मदद करता है. जठरांत्र के रास्ते (गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक्ट) में होने वाली सूजन से लड़ने और उसे कम करने में सरसों का तेल बहुत लाभकारी है.
एशियन जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि सरसों के तेल का नियमित सेवन करने से शरीर का वजन कम हो सकता है क्योंकि इससे आंतों में वसा कम इकट्ठा होती है और यह ग्लूकोज और लिपिड होमियोस्टेसिस में सुधार करता है.
नई दिल्ली के धर्मशाला नारायण सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अमरेंद्र कुमार पांडेय कहते हैं,
तेल के मामले में सबसे अहम बात है, उसका ट्रांस फैट जिसे डॉ. अग्रवाल किलर फैट कहते हैं. इसके कारण ही दिल की बीमारियां और स्ट्रोक होते हैं. सरसों के तेल में ट्रांस फैट नहीं होता है. ट्रांस फैट का ज्यादा सेवन करने से शरीर में अनहेल्दी एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है और हेल्दी एचडीएल कोलेस्ट्रॉल घट सकता है. इस असंतुलन से हाई ब्लड प्रेशर उच्च रक्तचाप, धमनियों के सख्त होने (एथेरोस्क्लेरोसिस), दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक का रिस्क बढ़ सकता है.
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए फिट आपको डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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Published: 04 Mar 2021,05:56 PM IST