हाल के दिनों में हमने कई ऐसे मामले देखे हैं, जिनमें 40 के आसपास की उम्र के नौजवान लोगों को कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक की वजह से अपनी जान गंवानी पड़ी. लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर बार कार्डियक अरेस्ट या हार्ट अटैक (Heart Attack) की वजह से व्यक्ति की मौत ही हो जाए.
कई मामलों में, मरीज की सेहत, उसकी जीवनशैली, उसके द्वारा ली जा रही दवाओं और अटैक के बाद उसे कितनी जल्दी इलाज मिलता है, इसके आधार पर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है.
बीमारियों के बढ़ते बोझ को देखते हुए, हर व्यक्ति को किसी भी दूसरी चीज के मुकाबले अपनी सेहत का ख्याल रखने की जरूरत है. हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि सिर्फ फिट दिखाई देने का यह मतलब नहीं है कि हम सच में फिट हैं- ऐसे में यह जरूरी है कि हम प्रतिक्रिया की बजाए बचाव की मानसिकता अपनाएं.
बहुत सारे लोगों को इस बात को लेकर संदेह होता है कि हार्ट अटैक के बाद एक्सरसाइज (व्यायाम) करना कितना सुरक्षित है. लोगों का मानना है कि हार्ट अटैक के बाद व्यायम करने से दिल पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि निष्क्रियता हमारे हृदय के लिए और भी बुरी है और इसकी वजह से समय से पहले मौत भी हो सकती है.
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, हार्ट अटैक के बाद हृदय की सेहत को बेहतर बनाने के लिए किए जाने वाले खास व्यायामों के साथ नियमित व्यायाम जारी रखने से लंबी और बेहतर जिंदगी सुनिश्चित होती है.
ताकत से जुड़े व्यायाम करने से लंबे समय तक काम करते रहने की क्षमता बढ़ती है, जबकि स्ट्रेचिंग से शरीर में लचीलापन आता है.
लेकिन हमें इस बात का ध्यान देना चाहिए कि सभी तरह के व्यायाम हर व्यक्ति के लिए ठीक नहीं होते हैं. हार्ट अटैक के बाद, उपचार में कार्डियक रीहैबिलिटेशन को शामिल करने से सुधार की प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद मिलती है.
आम तौर पर हार्ट अटैक से उबरने के बाद डॉक्टर भारी-भरकम व्यायाम करने की सलाह नहीं देते हैं.
हार्ट अटैक के बाद शुरुआत में व्यक्ति को बहुत धीरे-धीरे व्यायाम करना शुरू करना चाहिए और बीच-बीच में ब्रेक लेना चाहिए.
हार्ट अटैक के बाद व्यक्ति को कितना और किस तरह का व्यायाम करना चाहिए, यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके दिल को कितना नुकसान पहुंचा है.
अटैक के बाद समय-समय पर हृदय के सेहत की जांच कराते रहना चाहिए.
यह पूरी तरह झूठ ही है कि हार्ट अटैक के बाद सक्रिय जीवन में वापस लौटना असंभव है.
कुछ समय के लिए व्यक्ति को धीरे-धीरे टहलने की प्रक्रिया को जारी रखना चाहिए, जब तक कि यह अच्छा और आसान न लगने लगे.
इसके बाद टहलने का समय बढ़ाना चाहिए और बाद में टहलने की गति.
पहले चार से छह हफ्तों में व्यक्ति को एक बार में 15 से 20 मिनट तक व्यायाम करने का लक्ष्य रखना चाहिए.
व्यायाम के दौरान शरीर के तापमान में जरूरी संतुलन बनाए रखने के लिए डॉक्टर अच्छे मौसम में या घर के भीतर ही व्यायाम करने की सलाह देते हैं.
ऐसे कई कारण हैं, जिनकी वजह से हार्ट अटैक के बाद व्यायाम को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना बेहद जरूरी हो जाता है.
नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करने से न सिर्फ कार्डियोवैस्क्यूलर बीमारियों के कारण समय से पहले मृत्यु का खतरा कम हो जाता है, बल्कि इससे गैर-कार्डियक बीमारियों के कारण होने वाली मौत का खतरा भी कम होता है.
चूंकि व्यायाम को शरीर के लिए सेहतमंद वजन बनाए रखने के लिए जरूरी माना जाता है, इसलिए इससे टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को ठीक रखने में भी मदद मिलती है- ये सभी हमारे दिल की सेहत के लिए खतरा हैं.
कुल मिलाकर शारीरिक व्यायाम तनाव और परेशानी को कम करने में मददगार होते हैं और इससे जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है.
इसलिए, डॉक्टर की सलाह से हर किसी को सेहतमंद खानपान और नियमित व्यायाम का पालन करना चाहिए, ताकि हार्ट अटैक के बाद भी सक्रिय जीवन जिया जा सके.
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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Published: 24 Sep 2021,01:11 PM IST