भारत में 50 से कम उम्र की लगभग 75 फीसद आबादी हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट जैसी दिल से जुड़ी जटिलताओं के जोखिम में है. वर्ल्ड हार्ट डे पर डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे में दिल से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते मामलों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
डॉक्टरों का मानना है कि भारत में युवाओं और अधेड़ आयु की आबादी के बीच स्वस्थ भोजन और सक्रिय जीवन को प्रोत्साहित करना चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए कि हार्ट अटैक के मामलों को बढ़ने से रोका जाए.
रोजमर्रा के बढ़ते तनाव और अनुचित जीवनशैली दिल की बीमारियों के बढ़ने के दो प्रमुख रिस्क फैक्टर हैं.
ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल में चीफ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट एम. साई सुधाकर कहते हैं कि कई सामाजिक मानकों पर भारत की रेटिंग खराब है और यह हर गुजरते साल के साथ अधिक से अधिक लोगों को तनावपूर्ण स्थितियों में और अधिक गहराई तक धकेलने का एक प्रमुख कारण है.
SLG हॉस्पिटल्स सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट वी. हरिराम ने बताया कि भारत में ट्रांस फैट का सेवन अधिक है और यह खराब जीवनशैली, अनियमित कामकाजी समय, शराब, धूम्रपान, तंबाकू के साथ-साथ हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है.
अवेयर ग्लेनीगल्स ग्लोबल हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट राजीव गर्ग का मानना है कि कुछ आसान और प्रभावी कदम युवा भारतीयों में दिल के दौरे के जोखिम को कम कर सकते हैं.
यह महत्वपूर्ण है कि लोग संभावित हृदय समस्या के किसी भी प्रारंभिक चेतावनी संकेतों को अनदेखा न करें और समय पर डॉक्टर की सलाह लें.
डॉक्टर सलाह देते हैं कि लोगों को शुरुआती चेतावनी संकेतों जैसे सांस फूलना, सीने में दर्द, अत्यधिक पसीना, चक्कर आना आदि को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और समय पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. यह भी महत्वपूर्ण है कि मोटापा और पहले से मौजूद स्वास्थ्य जटिलताओं वाले लोग धूम्रपान छोड़ दें और शराब का सेवन बंद कर दें.
यह भी सलाह दी जाती है कि जिन लोगों के यहां हृदय रोगों का पारिवारिक इतिहास है, वो नियमित रूप से अपना मेडिकल चेकअप कराते रहें.
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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