हाल ही में कन्नड़ पावरस्टार पुनीत राजकुमार की मौत ने लोगों को चौंका दिया. 46 साल के फिटनेस आइकन पुनीत की हार्ट अटैक के बाद मौत हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वे जिम में एक्सरसाइज कर रहे थे, जब उन्हें सीने में दर्द हुआ.
कभी-कभी जिम में वर्कआउट के दौरान या उसके बाद, किसी गेम की प्रैक्टिस या मैराथन के दौरान हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट के मामले होते हैं और किसी फिट दिखने वाले युवा शख्स के साथ ऐसा होना हैरान भी करता है, लेकिन इसकी क्या वजह होती है?
इस तरह की दुर्घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है? ये समझते हैं.
बात जब ज्यादा मेहनत वाली तीव्र एक्सरसाइज जैसे तेज दौड़ने की आती है, तो एक्सपर्ट्स पहले उसकी प्रैक्टिस या ट्रेनिंग की सलाह देने के साथ इसकी अति ना करने को कहते हैं.
जैसा कि फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (CTVS) डायरेक्टर और हेड डॉ उदगीथ धीर कहते हैं,
मेयो क्लीनिक के मुताबिक युवाओं में अचानक कार्डियक डेथ की वजह अलग-अलग होती है. ये अधिकतर किसी हार्ट डिफेक्ट या असामान्यता के कारण होती है.
इस तरह के मामलों में हो सकता है कि व्यक्ति को अंतर्निहित हार्ट कंडिशन की जानकारी न हो, उसका पता न चला हो क्योंकि दिल से जुड़ी कई स्थितियों के अक्सर कोई लक्षण सामने नहीं आते.
जैसे ज्यादातर मामलों में किसी कोरोनरी आर्टरी बीमारी का पहला लक्षण हार्ट अटैक के तौर पर सामने आता है.
किसी फिजिकल एक्टिविटी के दौरान हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट आमतौर पर उन्हीं लोगों को होता है, जिन्हें पहले से ही दिल से जुड़ी कोई बीमारी या कंडिशन रही हो. जैसे-
कोई जेनेटिक असामान्यता- जैसे हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी, इस कंडिशन में दिल की मांसपेशियों के एक हिस्से का मोटा होना शामिल है, जिससे ब्लड पंप करने में मुश्किल आती है. इस वजह से ब्लड की डिमांड और सप्लाई में बैलेंस नहीं हो पाता.
फील्ड पर या जिम में जानलेवा हार्ट अटैक के दूसरे दुर्लभ मामलों में किसी वजह से हार्ट में अचानक ब्लड क्लॉट का बनना शामिल है, जिससे ब्लड फ्लो प्रभावित होता है.
इस तरह से ब्लड के फ्लो में अचानक कमी से नुकसान पहुंचता है, खासकर हेल्दी हार्ट के लिए, जिसके लिए कम ब्लड फ्लो में काम करना नया होता है. अगर दिल पहले से कमजोर है, तो वो उस स्थिति से गुजर चुका होता है.
एक और स्थिति है, जब हार्ट में धीरे-धीरे सालों से कोलेस्ट्रॉल वगैरह जमा हो रहा होता है.
दिल की मांसपेशियों को ब्लड सप्लाई करने वाली धमनियों (arteries) में जमा होने वाले फैट, कोलेस्ट्रॉल और दूसरी चीजों को प्लाक कहते हैं. जब दिल की आर्टरी में ये प्लाक किसी वजह से रप्चर होता है, तो वहां ब्लड क्लॉट बनता है. ये ब्लड क्लॉट ब्लड फ्लो को ब्लॉक कर देता है, जिससे हार्ट अटैक हो सकता है.
मुंबई के एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ तिलक सुवर्णा बताते हैं,
जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ निकेश जैन के मुताबिक भले ही इंसान फिट हो, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ प्लाक की मात्रा भी बढ़ती जाती है.
डॉ सुवर्णा कहते हैं कि एक्सरसाइज करते वक्त जिसे भी हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट होता है, उनमें हो सकता है कि हार्ट की आर्टरीज में ब्लॉक हो और उन्हें इसका पता न हो.
इसलिए व्यक्ति को अपनी मेडिकल स्थितियों की जानकारी होनी चाहिए, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल लेवल और दिल की बीमारियों का रिस्क बढ़ाने वाले फैक्टर्स की जानकारी के साथ उन पर कंट्रोल के लिए जरूरी उपाय करने चाहिए.
डॉ. तिलक सुवर्णा कहते हैं कि अगर आप तीव्र और शरीर पर ज्यादा तनाव डालने वाले एक्सरसाइज करना चाहते हैं, तो बेहतर है कि पहले अपना चेकअप करा लें, हालांकि रोजाना किए जाने वाले हल्के-फुल्के व्यायाम के लिए इसकी आवश्यकता नहीं है.
डॉ उदगीथ धीर के मुताबिक एक्सरसाइज की अति के अलावा बॉडी बिल्डिंग के लिए प्रोटीन शेक और स्टेरॉयड वगैरह हार्ट के मसल्स को कमजोर कर सकते हैं.
बॉडी बिल्डिंग सप्लीमेंट से दिल की बीमारियों के रिस्क पर डॉ सुवर्णा कहते हैं कि इसे लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है, लेकिन बेहतर है कि आमतौर इन चीजों से बचा जाए क्योंकि ये शरीर पर असर डालते ही हैं और फिर जरूरत से ज्यादा तीव्र एक्सरसाइज हार्ट पर लोड डालती है और एक समय के बाद हार्ट उस लोड को नहीं ले पाता, तो समस्याएं होती हैं. कुल मिलाकर वो हर चीज में संतुलन की बात करते हैं.
डॉ सुवर्णा कहते हैं कि अगर एक्सरसाइज के दौरान छाती में दर्द, सांस फूलना, सामान्य से ज्यादा थकान हो, चक्कर आए, तो तुरंत एक्सरसाइज रोक देनी चाहिए और चेकअप कराना चाहिए. ये दिक्कतें पहले से हो रही हों, तो एक्सरसाइज ना करें, पहले अपना चेकअप करा लें.
डॉ. सुवर्णा कहते हैं, "यूं तो दिल की बीमारियों से जुड़े मेडिकल टेस्ट 40 साल से कराने की सलाह दी जाती है, लेकिन भारत में इसे 30 साल की उम्र से ही शुरू कर देना चाहिए, खासकर अगर फैमिली हिस्ट्री, कोलेस्ट्रॉल, बीपी, डायबिटीज, स्मोकिंग, ओवर-वेट, स्ट्रेस, गतिहीन लाइफस्टाइल जैसे रिस्क फैक्टर हों."
एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट के ही सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ संतोष डोरा कहते हैं कि फिटनेस और स्टैमिना के उत्साह के बीच सावधानी और सतर्कता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए.
आपकी सेहत के लिए रेगुलर एक्सरसाइज बहुत जरूरी है और एक्सरसाइज के फायदे गिनाने की जरूरत नहीं है.
बस याद रखें हर इंसान का शरीर अलग होता है और हर एक्सरसाइज के प्रति अलग प्रतिक्रिया करता है. एक्सरसाइज करते समय जरूरी है कि हम अपने शरीर की सीमाओं को जानें, हाइड्रेटेड रहें और कोई खास तरह की एक्सरसाइज रूटीन प्रोफेशनल गाइडेंस में फॉलो करें.
अगर आप अब तक ज्यादा एक्टिव नहीं रहे हैं, तो अचानक से एक्सरसाइज वगैरह की कठिन प्रैक्टिस ना करें. अपना फिटनेस लक्ष्य तय करें, लेकिन उसे धीरे-धीरे पाने का प्रयास करें.
कोई हाई इन्टेन्सिटी एक्सरसाइज शुरू करने से पहले डॉक्टर से जरूरी कार्डियक चेकअप या स्क्रीनिंग करा लें खासकर कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, हार्ट डिजीज की फैमिली हिस्ट्री, ओवर वेट लोगों को किसी एक्सरसाइज प्रोग्राम या स्पोर्ट्स में जाने से पहले कार्डियक टेस्ट जरूर करा लेने चाहिए.
एक्सरसाइज करने वालों को उन लक्षणों और संकेतों की जानकारी होनी चाहिए, जो खतरनाक साबित हो सकती हैं.
एक ग्रैजुअल वार्म-अप और कूल-डाउन पीरियड वर्कआउट में अहम है.
ऐसा कुछ न करें जो शरीर सहन न कर पाए. शरीर को आराम से किसी एक्सरसाइज प्रोग्राम के लिए तैयार करें.
डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह के मामलों में CPR और मसाज के साथ डेफिब्रिलेटर का इस्तेमाल जान बचाने में मददगार हो सकता है. इसीलिए स्कूल, ऑफिस, कॉलेज और जिम में बेसिक CPR ट्रेनिंग देना महत्वपूर्ण हो जाता है. वहीं एक्सपर्ट्स जिम जैसी जगहों पर आपात स्थिति के लिए प्रशिक्षित लोगों की नियुक्ति पर भी जोर देते हैं.
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Published: 02 Nov 2021,01:07 PM IST