वैलेंटाइन डे यानी दुनिया भर में सबसे दमदार और अनोखे एहसास के जश्न का दिन, वो है प्यार.
जी हां, प्यार के ढाई अक्षर किसी की पूरी दुनिया बदल देने का दम रखते हैं और इसीलिए प्यार में कौन नहीं पड़ना चाहता?
आपके पहले-पहले प्यार का एहसास, जब आपको सब कुछ अच्छा सा लगने लगता है, पेट में गुड़गुड़ी सी होती है, हर वक्त खुशी महसूस होती है. अपने प्यार को सामने देख दिल की धड़कन तेज हो जाती है और अपने साथी की हर बात प्यारी लगती है.
लेकिन गीत, कविता, उपन्यास या फिल्मों से इतर आपने कभी मेडिकल साइंस की नजर में इस प्यार और इससे जुड़े जज़्बातों को समझने की कोशिश की है? हालांकि इस पर कोई व्यापक शोध नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी वैज्ञानिकों ने इसे समझने और हमारी सेहत पर प्यार के प्रभाव को समझने की कोशिश की है.
एशियन हार्ट इंस्टिट्यूट, मुंबई में सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ संतोष कुमार डोरा कहते हैं कि प्यार खुशी और सुख का एहसास है, जब आप किसी भी रिलेशन को लेकर सुरक्षित महसूस करते हैं और पूरी तरह से आश्वस्त रहते हैं. यही वजह है कि जो लोग रोजमर्रा की जिंदगी में प्यार का अनुभव करते हैं, उनकी सेहत बेहतर होती है.
जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राहुल छाबड़िया कहते हैं प्यार में पड़ने के दौरान क्या होता है, इसे स्पष्ट करने के लिए बहुज ज्यादा स्टडीज नहीं है, लेकिन साथ ही वो ये बोलते हैं,
एक खुशनुमा और प्यार भरा रिश्ता सेहत पर क्या असर डालता है, इसे लेकर अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल में साल 2017 में छपी एक स्टडी में पाया गया कि हृदय रोग से पीड़ित अविवाहित लोगों को दिल का दौरा पड़ने या दिल की किसी समस्या से मौत की आशंका विवाहित हृदय रोगियों के मुकाबले 52% अधिक थी.
साल 2014 में साइंस डेली पर रिलीज की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक प्यार में पड़ने के दौरान हमारे शरीर में फील-गुड केमिकल की बाढ़ सी आ जाती है, जिसके कारण कुछ खास प्रतिक्रियाएं होती हैं. जैसे गालों का गुलाबी हो जाना, हथेलियों का पसीजना और दिल की धड़कन बढ़ जाना.
वहीं कुछ MRI स्कैन से पता चला है कि प्यार हमारे दिमाग के आनंद केंद्र को एक्टिवेट करता है. जब आपको प्यार होता है, तो इस क्षेत्र में ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है.
डोपामाइन के कारण आप उत्साहित महसूस करते हैं जबकि एड्रेनलिन और नोरेपिनफ्रीन के कारण आप दिल के धक-धक और बेचैनी का एहसास करते हैं.
प्रेम के तीन चरण होते हैं, जिनमें वासना, आकर्षण और लगाव शामिल होता है.
वासना एक हार्मोन-चालित चरण है, जिसमें हम इच्छा का अनुभव करते हैं.
मस्तिष्क के आनंद केंद्र में रक्त का प्रवाह आकर्षण के चरण के दौरान होता है, जब हम अपने साथी के साथ एक भारी जुड़ाव महसूस करते हैं.
ये व्यवहार लगाव के चरण के दौरान ठीक हो जाता है, जब शरीर में खुशी के उत्तेजकों के लिए टॉलरेंस विकसित हो जाता है.
यही वजह है कि कुछ अरसे बाद वो सारे एहसास जो आपने प्यार के शुरुआती दिनों में महसूस किए होते हैं, वो धीरे-धीरे महसूस होना बंद होने लगते हैं. हालांकि किसी के साथ और भरोसे का एहसास बना रहता है, जो आपको हर स्तर पर मजबूती देता है.
लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो स्ट्रिच स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर पैट मुम्बी साइंस डेली की रिपोर्ट में कहती हैं,
इसलिए प्यार में पड़े उन दो लोगों की बजाए उस रिलेशन को लेकर किसी तीसरे का नजरिया अलग हो सकता है.
प्यार के एहसास को लेकर भले ही बहुत ज्यादा रिसर्च और स्टडीज न हुई हों, लेकिन इसकी ताकत का एहसास हम रोजाना करते हैं. ये बातें आपने भी महसूस की होंगी कि प्यार न सिर्फ आपके जीवन को लक्ष्य देता है, हर हालात का सकारात्मक तरीके से सामना करने की क्षमता देता है.
तो इस वैलेंटाइन डे उन सभी लोगों को शुक्रिया कहिए, जिन्होंने आपकी जिंदगी को प्यार के अलग-अलग रंगों से सजाया है.
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Published: 14 Feb 2020,01:47 PM IST