(फिट की #DecodingPain की इस सीरीज में हम दर्द, दर्द के कारण, इस पर अक्सर ध्यान न दिए जाने की प्रवृत्ति और दर्द से राहत पाने के तरीकों के बारे में गहराई से जानेंगे. इस लेख में हम बात कर रहे हैं दर्दनिवारक दवाइयों यानी पेनकिलर की.)
हमें दर्द होता है और हम दर्द से राहत पाने की कोशिश करते हैं. 19वीं शताब्दी में दर्दनिवारक गोली आने से पहले दर्द दूर करने के तरीकों की तलाश का एक लंबा इतिहास रहा है.
हम सभी ने कभी न कभी कोई पेनकिलर दवा जरूर ली होगी. लेकिन असल में हम इन पेनकिलर (Painkiller) के बारे में कितना जानते हैं?
दर्द निवारक दवाइयां कैसे काम करती हैं? कुछ पेनकिलर की लत क्यों लग जाती है. क्या अलग-अलग तरह के दर्द के लिए अलग तरह की पेनकिलर की जरूरत होती है? ये सब कुछ यहां समझते हैं.
दर्द निवारक दवाइयां मोटे तौर पर 3 तरह की होती हैं: ओपियोइड (Opioids), नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लामेटरी ड्रग्स (NSAIDs) और एसिटामिनोफेन (पेरासिटामोल).
Opioids वो पेनकिलर हैं, जिन्हें अफीम (Opium) पाया जाता है - अफीम के पौधों से निकला सत सदियों से दुनिया भर में औषधीय और शौकिया दोनों उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता रहा है.
Opioids में मॉर्फिन नाम का एक पदार्थ होता है, जो एंडोर्फिन की तरह हमारी तंत्रिकाओं के ओपिएट रिसेप्टर्स (opiate receptors) से बंधता है और दर्दनाशक प्रभाव पैदा करता है. एंडोर्फिन पेप्टाइड्स का एक ग्रुप है, जो पिट्यूटरी ग्रंथि और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र द्वारा निर्मित होता है और जो मस्तिष्क में ओपिएट रिसेप्टर्स पर काम करता है. ये न्यूरोट्रांसमीटर (जिन्हें कभी-कभी हार्मोन भी कहा जाता है) आनंद की भावनाओं को बढ़ाने, दर्द और परेशानी को कम करने के लिए भी काम करते हैं.
दूसरी ओर NSAIDs एंटी-इंफ्लामेटरी दर्द निवारक हैं. इसका मतलब है कि ये न केवल दर्द करने में मदद करते हैं बल्कि सूजन और बुखार को भी घटाते हैं.
NSAIDs प्रोस्टाग्लैंडिन (शरीर द्वारा चोट की जगह पर बनने वाले लिपिड जो दर्द और सूजन करता है) के उत्पादन को ब्लॉक करते हैं.
पेरासिटामोल जैसे एसिटामिनोफेन का उपयोग हल्के से मध्यम मामलों में किया जाता है. ये अन्य प्रकार के दर्द निवारक दवाओं की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित माने जाते हैं, यहां तक कि बच्चों और बुजुर्गों में उपयोग के लिए, और बिना डॉक्टरी पर्चे के भी मिल जाते हैं.
कुछ दर्द निवारक दवाएं NSAIDs और एसिटामिनोफेन का कॉम्बिनेशन होती हैं.
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अंशु रोहतगी कहते हैं, "हां, अलग-अलग तरह के दर्द के लिए अलग दर्द निवारक की आवश्यकता होती है और इसकी पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है."
दर्द जो सूजन या चोट जैसे फ्रैक्चर की वजह से होता है या वायरल संक्रमण से शरीर में जो दर्द होता है, उसे NSAIDs की मदद से शांत किया जा सकता है, जबकि पुराने दर्द जैसे न्यूरोपैथिक दर्द के लिए opioids की जरूरत होगी.
डॉ. रोहतगी कहते हैं कि किस तरह का दर्द निवारक मरीज को देना है, ये फैसला इस पर निर्भर करता है कि लक्षणों से क्या पता चला है.
वो कहते हैं, "दर्द निवारक दवाइयां दर्द की वजह या बीमारी ठीक नहीं करती हैं, हमें दर्द के कारण की पहचान करनी होती है और उसका इलाज करना होता है."
सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ ओपियोइड हैं: कोडीन (Codeine), मॉर्फिन (Morphine), ऑक्सीकोडोन (Oxycodone) और फेंटेनल (fentanyl)
डॉ. रोहतगी कहते हैं, "ओपियोड्स सभी तरह के दर्द में काम कर सकते हैं. वे मांसपेशियों और हड्डियों के दर्द, न्यूरोपैथिक (नसों के) दर्द और यहां तक कि आंतों के दर्द को दूर करने में मदद कर सकते हैं."
ये कैंसर के मामले में लगातार होने वाले दर्द, लंबे समय के दर्द से निपटने में विशेष रूप से उपयोगी होते हैं.
1990 के दशक में दवा कंपनियों की आक्रामक मार्केटिंग से ये अंधाधुंध रूप से लिखे जाने लगे.
इन्हें चिकित्सा में अगली बड़ी चीज, और सबसे सुरक्षित दर्द निवारक के रूप में जाना जाता था.
लेकिन जब तक दुनिया को एहसास हुआ कि यह सच्चाई से बहुत दूर है, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
आज, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, opioid एडिक्शन के बड़े प्रकोप का सामना कर रहा है.
जैसा कि होता है, ओपिएट रिसेप्टर्स पूरे शरीर में पाए जाते हैं, और दवा के लिए यह पहचानने का कोई वास्तविक तरीका नहीं है कि कौन से रिसेप्टर्स से बंधना है.
इसलिए, ओपियोइड न्यूरोट्रांसमीटर पर रिसेप्टर्स के साथ भी जुड़ते हैं जो डोपामाइन (हमारे शरीर का फील गुड हार्मोन) रिलीज को नियंत्रित करते हैं.
यही वह चीज है, जो ओपियइड से मिलने वाली शांति, राहत और उत्साह की ओर ले जाती है.
लेकिन समय के साथ, शरीर इन दवाओं के प्रति सहनशीलता का निर्माण करता है क्योंकि यह स्वाभाविक रूप से डोपामाइन के प्रवाह को रोककर संतुलन बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करता है.
यही कारण है कि लोग इसे बंद करने पर अत्यधिक दर्द, अवसाद और शारीरिक बीमारी जैसे लक्षणों की वापसी का अनुभव करते हैं.
यही कारण है कि ओपियोइड अत्यधिक नियंत्रित दवाएं हैं और केवल डॉक्टरी पर्चे पर ही मिलती हैं.
इसके अलावा, यह भी सुझाव दिया गया है कि महिलाओं को प्रिस्क्रिप्शन ओपियोइड की लत लगने का खतरा अधिक होता है.
इसका एक संभावित कारण यह है कि महिलाओं को पुराने दर्द की समस्या अधिक रहती है, और इसलिए पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक संख्या में ओपियोइड प्रेस्क्राइब किए जाते हैं.
NSAID दुनिया में सबसे अधिक प्रेस्क्राइब की जाने वाली पेनकिलर दवाइयां हैं. इसका एक कारण यह है कि ये ओपियोइड की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित हैं और इनकी लत नहीं लगती.
ये मूल रूप से सूजन-रोधी दवा हैं, डॉ. रोहतगी बताते हैं, "ये सभी इन्फ्लेमेटरी प्रक्रिया के विभिन्न भागों पर काम करती हैं."
लेकिन, वे बताते हैं, "NSAIDs पुराने या न्यूरोपैथिक दर्द के लिए काम नहीं करेंगी."
कुछ NSAIDs, ओपियोइड के विपरीत, बिना प्रिस्क्रिप्शन के खरीदी जा सकती हैं.
NSAIDs के कुछ सबसे सामान्य प्रकार इबुप्रोफेन (ibuprofen), डाइक्लोफेनाक (diclofenac) और नेप्रोक्सन (naproxen) हैं.
हालांकि NSAIDs ओपियोइड की तुलना में कहीं अधिक सुरक्षित होती हैं और इनसे नशा भी नहीं होता, लेकिन इनके अपने साइड इफेक्ट्स हैं, खासकर जब लंबे समय तक इन्हें हाई डोज में लिया जाता है.
दयानंद मेडिकल कॉलेज, लुधियाना में न्यूरोलॉजिस्ट और प्रोफेसर डॉ. गगनदीप सिंह भी 'दवा के अति प्रयोग से सिरदर्द (मेडिकेशन ओवरयूज हेडेक)' की बात करते हैं.
यह विशेष रूप से माइग्रेन और अन्य सिरदर्द विकारों वाले लोगों में होता है, जो दर्द से राहत के लिए अत्यधिक NSAIDs का उपयोग करते हैं.
डॉ. सिंह बताते हैं, "एक दुष्चक्र पैदा हो जाता है."
डॉ. सिंह समझाते हैं, "माइग्रेन जैसे पुराने सिरदर्द के मामले में ऐसा हो सकता है कि समय के साथ NSAID कम प्रभावी होने लगे या दवा का असर कम होने पर दर्द की तीव्रता बढ़ जाए."
यह एक व्यक्ति की गोलियों पर निर्भरता दोगुनी करने का कारण बन सकता है, जो सिरदर्द को और बढ़ा सकता है.
अमेरिकन माइग्रेन फाउंडेशन के अनुसार, मेडिकेशन ओवरयूज हेडेक के साथ मिचली, चिंता, चिड़चिड़ापन, कमजोरी, बेचैनी और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है.
किसी को किस तरह का और कितना तेज दर्द हो रहा है, उस आधार पर किसी पेनकिलर दवा की जरूरत हो सकती है.
सभी पेनकिलर में से, पेरासिटामोल को सबसे सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इससे साइड इफेक्ट और दीर्घकालिक क्षति की संभावना कम होती है.
किसी भी दर्द निवारक दवाओं यानी पेनकिलर का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए. सबसे जरूरी है कि दर्द निवारक दवाइयां हमेशा डॉक्टर की देखरेख में ली जाए.
(क्या दर्द से जुड़ा कोई सवाल है, जिसका जवाब आप एक्सपर्ट से जानना चाहते हैं? आप अपने सवाल और अनुभव fit@thequint.com पर भेज सकते हैं.)
(ये लेख आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी तरह के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है, सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए और कोई भी उपाय करने से पहले फिट आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह देता है.)
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