भारत में डेवलप की गई कोरोना की पहली स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ का ट्रायल 1 सप्ताह पहले शुरू हो चुका है. इसकी शुरुआत बिहार की राजधानी पटना के एम्स(AIIMS) से हुई. ट्रायल की प्रक्रिया 13 जुलाई से शुरू की गई.

ट्रायल में ये देखा जा रहा है कि लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बन रही है या नहीं.

काेराेना की ये वैक्सीन हैदराबाद की भारत बायाेटेक कंपनी ने आईसीएमआर(ICMR) और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी(पुणे) के साथ मिलकर बनाई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक वैक्सीन ट्रायल के लिए देशभर के 14 हॉस्पिटल को चुना गया है.

पटना एम्स में बनी एक्सपर्ट की टीम ने एक 30 साल के युवक पर वैक्सीन का ट्रायल किया. 15 जुलाई को इसकी पहली डोज दी गई. डाेज देने के बाद करीब चार घंटे उसे आब्जर्वेशन में रखा गया फिर डिस्चार्ज कर दिया गया.

पटना एम्स के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट डॉ. सीएम सिंह ने फिट को बताया कि ICMR की तरफ से ट्रायल के लिए एम्स को चुना गया और एग्रीमेंट के बाद इसे शुरू किया गया. 19 जुलाई तक 10 लोगों पर ट्रायल किया जा चुका है.

“हमारी कोशिश रहती है कि एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 4-5 लोगों पर ही ट्रायल हो. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें डोज देने के बाद मॉनिटर करना पड़ता है. 2-3 घंटे के लिए एडमिट किया जाता है. इसके बाद कोई साइड इफेक्ट, रिएक्शन नहीं दिखने पर उन्हें छोड़ दिया जाता है.”
सीएम सिंह, मेडिकल सुप्रिटेंडेंट, पटना एम्स

जिन लोगों पर ट्रायल किया जा रहा है उन्हें 7 दिन के बाद दोबारा बुलाया जाएगा. 14 दिन के बाद फिर उन्हें सेकंड डाेज दिया जाएगा.

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अब तक कोई साइड इफेक्ट नहीं

18 से 55 साल के लोगों पर ट्रायल किया जा रहा है. ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट और फिजिकल जांच के बाद जो स्वस्थ मिलते हैं, उन्हें ट्रायल में शामिल कर लिया जाता है. फिलहाल, जितने भी ट्रायल हुए हैं उनमें से किसी में भी साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है.

स्टेज 1 और 2 साथ-साथ चलते रहेंगे. यानी रिजल्ट के आधार पर ट्रायल का एनालिसीस भी साथ-साथ जारी है.

बता दें, ICMR के मुताबिक ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया(DGCI) ने इस वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के फेज 1 और 2 की मंजूरी दी है.

डॉ. सीएम सिंह के मुताबिक पटना एम्स में फेज 2 ट्रायल भी होगा. नवंबर-दिसंबर तक पटना एम्स समेत हर जगह ट्रायल पूरी कर लिए जाने की संभावना है.

ICMR 15 अगस्त तक ‘कोवैक्सीन’ के लॉन्चिंग की बात कर रही थी. ये विवाद का विषय रहा. हालांकि बाद में कहा गया कि 2021 तक ही वैक्सीन आ पाएगी.

क्या वॉलंटियर्स पर फास्ट ट्रैक ट्रायल किया जा रहा है?

इस बारे में सीएम सिंह ने बताया- “हमें कोई टाइमलाइन नहीं दिया गया है कि तय दिनों के अंदर इसे पूरा कर लेना है. लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं जितनी जल्दी हो सके हम ट्रायल पूरा कर लें. काम तेजी से हो रहा है.”

उन्होंने बताया कि ट्रायल के लिए समय तय नहीं किया जा सकता. ये वॉलंटियर की संख्या पर निर्भर करता है.

“हम खुद से किसी को भी वैक्सीनेट नहीं कर सकते. वॉलंटियर आते हैं, वो अपनी इच्छा जताएंगे, इसके बाद उन्हें पंजीकृत किया जाता है, फिटनेस जांच होती है फिर ये प्रक्रिया आगे बढ़ती है. इसमें समय लगता है.”
सीएम सिंह, मेडिकल सुप्रिटेंडेंट, पटना एम्स

एम्स की तैयारियों के बारे में उन्होंने बताया कि ट्रायल के लिए 5 डॉक्टरों की एक्सपर्ट टीम बनाई गई है. एम्स के अंदर एक जगह सेट-अप तैयार किया गया है. वॉलंटियर्स की जानकारी गुप्त रखी जाती है.

पटना में ट्र्रायल शुरू होने के बाद रोजाना कई वॉलंटियर के कॉल आ रहे हैं लेकिन 5-6 लोगों को हर दिन मंजूरी दी जाती है. पहले फेज में कुल 50 लोगों पर ट्रायल होगा.

ट्रायल पूरा होने पर डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग टीम (DSMB) इसका रिव्यू करेगी.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ट्रायल के लिए चुने गए बाकी हॉस्पिटल- एम्स-दिल्ली, किंग जॉर्ज हॉस्पिटल-विशाखापतनम, पीजीआई-रोहतक, जीवन रेखा हॉस्पिटल-बेलगाम, गिलुरकर मल्टीस्पेशिएलिटी हॉस्पिटल-नागपुर, राना हॉस्पिटल-गोरखपुर, एसआरएम हॉस्पिटल-चेन्नई, निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज-हैदराबाद, कलिंगा हॉस्पिटल-भुवनेश्वर, प्रखर हॉस्पिटल-कानपुर और गोवा का एक हॉस्पिटल हैं.

बता दें, भाारत में जाइडस कैडिला भी वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल जल्द शुरू करने वाली है.

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Published: 21 Jul 2020,09:38 AM IST

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