वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) का अनुमान है कि दुनिया भर में करीब 3 करोड़ 79 लाख लोग HIV के साथ जी रहे हैं.
आज पहले के मुकाबले कहीं अधिक एचआईवी संक्रमित लोग ट्रीटमेंट करा रहे हैं, लेकिन अभी भी बहुत से लोगों तक जरूरी मदद नहीं पहुंच पाई है क्योंकि वे HIV संक्रमित होने से अनजान हैं.
एड्स के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. आइए, आपको बताते हैं HIV/AIDS से जुड़ी कुछ अहम बातें.
ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) इम्यून सिस्टम की CD4 कोशिकाओं को टारगेट करता है, जो इंफेक्शन से लड़ने में शरीर की मदद करती हैं. ये कोशिकाओं में अपनी प्रतिकृति बनाकर उन्हें नष्ट करता है.
अगर इससे निपटने के लिए प्रभावी उपचार ना किया जाए तो इम्यून सिस्टम इस हद तक कमजोर हो जाता है कि संक्रमण और बीमारी से लड़ नहीं पाता.
HIV संक्रमित शख्स के शरीर के कुछ फ्लूइड में पाया जाता है, जैसे खून, सीमन, वजाइनल फ्लूइड, रेक्टल फ्लूइड और ब्रेस्ट मिल्क.
ऐसे हो सकता है HIV का संक्रमण:
HIV संक्रमित शख्स के साथ असुरक्षित वजाइनल या एनल सेक्स और कुछ दुर्लभ मामलों में ओरल सेक्स के जरिए
HIV संक्रमित खून चढ़ाए जाने से
संक्रमित सूई, सीरिंज, सर्जिकल उपकरण, संक्रमित रेजर, ब्लेड, चाकू या त्वचा को काटने या छीलने वाली दूसरे नुकीली चीजें साझा करने से
संक्रमित मां से उसके बच्चे को प्रेग्नेंसी, जन्म या ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान
HIV संक्रमण को ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन एंटीरेट्रोवायरल ड्रग्स के जरिए वायरस का रिप्लिकेशन रोका जा सकता है.
एचआईवी के मामले में डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेना जरूरी है, अगर आप कुछ खुराकें छोड़ देते हैं तो इलाज में रुकावट आ सकती है, इसलिए पूरी खुराक लें.
एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान मां से शिशु तक और यौन संबंधों के माध्यम से एचआईवी संचरण को कम करने या रोकने के लिए जल्द से जल्द शुरू की जानी चाहिए.
एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम यानी एड्स (AIDS) ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) के संक्रमण से होता है. दरअसल जब HIV इंफेक्शन बहुत एडवांस स्टेज पर पहुंच जाता है, तो इस कंडिशन को एड्स कहते हैं.
हालांकि अब एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी उपलब्ध होने के नाते ये जरूरी नहीं है कि एचआईवी संक्रमित लोगों को एड्स हो जाए.
डॉक्टरों का कहना है कि कुछ सरल उपाय अपनाकर इस बीमारी पर लगाम लगाई जा सकती है:
बॉडी फ्लूइड से बचें: किसी भी दूसरे व्यक्ति के खून या अन्य बॉडी फ्लूइड से दूर रहें, अगर आप इसके संपर्क में आते हैं तो त्वचा को तुरंत अच्छी तरह धोएं. इससे संक्रमण की आशंका कम हो जाती है.
ड्रग के इंजेक्शन और नीडल शेयर ना करें: कई देशों में ड्रग्स के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सीरिंज को शेयर करना एचआईवी फैलने का मुख्य कारण है. यह एचआईवी के अलावा हेपेटाईटिस का भी कारण हैं. हमेशा साफ, नई नीडल इस्तेमाल करें.
असुरक्षित यौन संबंध ना बनाएं: दुनिया भर में एचआईवी मुख्य रूप से असुरक्षित वजाइनल और एनल सेक्स से ट्रांसमिट होता है. ऐसे में हमेशा कंडोम का सही इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. डॉक्टर्स के मुताबिक कंडोम एचआईवी/एड्स की रोकथाम के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है.
प्रेग्नेंसी के दौरान HIV टेस्ट कराएं: एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला से उसके बच्चे में एचआईवी का संक्रमण हो सकता है. इसके अलावा स्तनपान कराने से भी एचआईवी का वायरस बच्चे में जा सकता है. हालांकि अगर मां उचित दवाएं ले रही है तो यह आशंका कम हो जाती है.
खून चढ़ाने के दौरान सुरक्षा बरतें: स्वयंसेवी रक्तदाताओं के खून की जांच के बाद किसी को खून देना एचआईवी को फैलने से रोकने का सुरक्षित तरीका है.
(इनपुट: WHO, आईएएनएस)
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Published: 01 Dec 2019,09:33 AM IST