इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च- नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (ICMR-NIN) ने अपनी एक हालिया स्टडी में लेड एक्सपोजर और अल्जाइमर रोग के बीच संभावित लिंक की बात साबित की है.

लेड एक आम प्रदूषक है, जो पेंट, कॉस्मेटिक्स, बैटरी, ग्लास और कई खिलौनों के जरिए पर्यावरण में प्रवेश कर जाता है.

नर्वस सिस्टम से जुड़ें विकारों के लिए रिस्क फैक्टर के तौर पर इसकी पहचान पहले ही हो चुकी है. पर्यावरण में इस भारी धातु से संपर्क तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ियों से जुड़ा है.

लेड और बीटा एम्लॉयड पेपटाइड से होने वाली टॉक्सिसिटी पर काम कर रहे ICMR-NIN के सीनियर साइंटिस्ट डॉ सुरेश कहते हैं, "अल्जाइमर रोग की पैथोफिजियोलॉजी काफी जटिल है. दिमाग में बीटा एम्लॉयड प्लैक और टैंगल का निर्माण होने के अलावा ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और इंफ्लेमेशन भी इस रोग के बढ़ने में शामिल होता है. इसके साथ याददाश्त खोना और न्यूरॉन की क्षति भी होती है. हमारी स्टडी में अल्जाइमर रोग और लेड के संबंध की जांच की गई है."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
वैज्ञानिकों ने ब्रेन सेल्स, बीटा एम्लॉयड पेप्टाइड के साथ लेड के प्रभाव का अध्ययन किया. इसमें कोशिकाओं की क्षति में वृद्धि देखी गई और न्यूरोडेवलपमेंट व रिजनरेशन में शामिल प्रोटीन को कम होते पाया गया. इस तरह के प्रभाव से अंततः याददाश्त जाती है, जैसा कि अल्जाइमर रोग में होता है.

ICMR-NIN की डायरेक्टर डॉ आर हेमलता कहती हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान मां का लेड के संपर्क में आना पैदा होने वाले बच्चे के लिए भी खतरनाक है. इससे उस बच्चे को अपने जीवन में अल्जाइमर रोग जल्दी होने का रिस्क बढ़ सकता है. उनके मुताबिक इस तरह की स्टडीज से इस रोग से बचाव और मैनेजमेंट की नीति तैयार करने में मदद मिलेगी.

वहीं इस स्टडी के मुताबिक ग्रीन टी, अमरूद के पत्ते, सेब, चेरी, नाशपाती, ब्लैक बेरी जैसी खाने की चीजें लेड इंड्यूस्ड अल्जाइमर रोग से सुरक्षा देने में मददगार साबित हो सकती हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT