हार्मोन्स.
हार्मोन्स का होना या न होना, इनकी बहुतायत या कमी, हमारे शरीर की फिजिकल (और अक्सर मनोवैज्ञानिक) क्षमताओं को एक महत्वपूर्ण सीमा तक तय करती है. महिलाओं में, यह खुद को दो व्यापक फेज में परिभाषित करते हैं: उनके मेंस्ट्रुअल के साल और मेंस्ट्रुअल के बाद के साल.
मेनोपॉज होने की उम्र 46 से शुरू होकर 50 से ज्यादा साल की उम्र तक हो सकती है. मेनोपॉज के लिए भारतीय महिलाओं की औसत आयु 46 साल के आसपास है, लेकिन यूरोपीय देशों में महिलाओं को यह बहुत बाद (51 वर्ष) में होता है.
भले ही यह एक नेचुरल बायोलॉजिकल प्रोसेस है, लेकिन हार्मोन में यह कमी महिला के शरीर में और बेशक उसके मन में बड़े बदलाव ला सकती है.
ऐसे में इसको लेकर पूरी जानकारी बहुत आवश्यक हो जाती है.
फोर्टिस में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक डॉ नूपुर गुप्ता कहती हैं, ''मेनोपॉज एकाएक या अचानक नहीं होता है." मेनोपॉज आने की तुलना में यह बदलाव बहुत पहले शुरू होता है. इसके लक्षण दो से पांच साल पहले दिखाई देने लग जाते हैं. यह ड्यूरेशन हर महिला के आधार पर अलग-अलग हो सकती है.
अच्छी खासी संख्या ऐसी महिलाओं की है जिनमें ये लक्षण, और इनकी वजह से मेनोपॉज 40 साल की उम्र से पहले भी होते हैं. इसे प्रीमैच्योर मेनोपॉज कहते हैं. ऐसा कई कारणों से होता है जैसे ओवेरियन सर्जरी, जेनेटिक डिसऑर्डर, इन्फेक्शन, फैमिली हिस्ट्री या कई बार इसका कारण पता भी नहीं चलता है. इन महिलाओं में, मेनोपॉज से जुड़े रिस्क भी जल्दी नजर आने लगते हैं.
जसलोक हॉस्पिटल में कंसल्टेंट और को-ऑर्डिनेटर प्रसूति एवं स्त्री रोग डॉ सुदेशना रे इन सभी लक्षणों को केवल मेनोपॉज तक ही सीमित नहीं करने के बारे में बात करती हैं. कई महिलाएं छाती पर दबाव या अपने शरीर के कुछ हिस्सों में अस्पष्ट दर्द का अनुभव करती हैं.
स्टडीज से पता चला है कि मेनोपॉज के बाद कई महिलाओं में दिल की बीमारियां, स्ट्रोक और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कैसे बढ़ जाता है. इसे मेनोपॉज तक सीमित करने से पहले किसी भी तरह के कार्डियोवस्कुलर या दूसरी स्वास्थ्य दिक्कतों का पता लगाना महत्वपूर्ण हो जाता है.
एक जरूरी बात ये भी है कि पेरीमेनोपॉज की स्टेज में भी बर्थ कंट्रोल की जरूरत होती है. डॉ सुदेशना कहती हैं, "गर्भनिरोध जरूरी है क्योंकि इस दौरान ओव्यूलेशन यानी अंडों का रिलीज होना पूरी तरह से रुका नहीं होता है. ओव्यूलेशन की संभावना रहती है. इसलिए 40 से ज्यादा उम्र की किसी भी महिला को अपने आखिरी पीरियड के बाद भी कम से कम एक साल तक गर्भनिरोध का इस्तेमाल करना चाहिए."
मेनोपॉज से जुड़े लक्षणों को कुछ महिलाओं में मैनेज किया जा सकता है, वहीं कुछ महिलाओं में इसके लक्षण बहुत गंभीर होते हैं. इन बदलावों को सही तरीके से हैंडल करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने की जरूरत होती है.
डॉ गुप्ता कहती हैं कि हमें हर चीज के लिए मेनोपॉज को दोष नहीं देना चाहिए. बाद के साल में दिखाई देने वाले बहुत से लक्षण की वजह एक सुस्त और अनहेल्दी लाइफस्टाइल हो सकती है.
हालांकि, बहुत सारे मामलों में, इसके लक्षण असहनीय हो सकते हैं, जो महिलाओं के दिन-प्रतिदिन के जीवन को प्रभावित करते हैं. इन मामलों में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT), या मेनोपॉजल हार्मोनल थेरेपी (MHT) ऐसे मेडिकल उपाय हैं, जिनकी मदद ली जाती है.
सरल शब्दों में, "हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी महिलाओं में मेनोपॉजल ट्रांजिशन के दौरान खत्म हो जाने वाले हार्मोन का सप्लीमेंट है." इस तरह, यह इन हार्मोनों की कमी से जुड़े लक्षणों से राहत प्रदान करने में मदद कर सकता है.
डॉ गुप्ता बताती हैं कि यह थेरेपी अधिकतर महिलाओं के लिए फर्स्ट ट्रीटमेंट नहीं है.
हालांकि HRT या MHT उन महिलाओं के लिए सबसे प्रभावी इलाज रहा है, जिनमें गंभीर बेचैनी और अन्य संकेत दिखाई देते हैं. लेकिन वूमन हेल्थ इनिशिएटिव (WHI) की स्टडी में एचआरटी या एमएचटी से जुड़े खतरे सामने आए. स्टडी में सामने आया कि इस थेरेपी के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ गया. इसके बाद, दुनिया भर में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराने वाली महिलाओं की संख्या में काफी कमी देखी गई.
डॉ सुदेशना रे ने जोर देकर कहा कि डब्ल्यूएचआई के निष्कर्ष विवादास्पद हो सकते हैं और स्टडी जरूरी नहीं कि आदर्श हो. रिसर्चर्स अभी तक उचित और अधिक उम्र से जुड़े बड़े पैमाने पर रिस्क एनालिसिस नहीं कर सके हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह इलाज कितना सुरक्षित या असुरक्षित है.
यहां अन्य विकल्प भी हैं, जैसे कि फाइटोएस्ट्रोजेन और सेलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलेटर (SERM) जो अधिक सुरक्षित हो सकते हैं. लेकिन एचआरटी अभी भी उन महिलाओं के लिए सबसे कारगर विकल्प है, जो इसके लक्षणों से निपटने में असमर्थ हैं.
उदाहरण के लिए, समय से पहले या प्रीमैच्योर मेनोपॉज के मामलों में, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, हार्मोन की कमी से जुड़े रिस्क को रोकने के लिए सबसे अच्छे तरीकों में से एक है.
फिट के पहले के एक आर्टिकल में, सेंटर फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन एंड वीमेन हेल्थ में गायनेकवर्ल्ड (Gynaecworld) के डायरेक्टर, डॉ दुरू शाह ने लिखा, “उन महिलाओं के लिए हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी महत्वपूर्ण है, जो समय से पहले मेनोपॉज की स्थिति में पहुंच गई हैं. नेचुरल रूप से मेनोपॉज की स्थिति में पहुंचने वाली महिलाओं के लिए यह ऑप्शनल है. याद रखना चाहिए कि प्रीमैच्योर मेनोपॉज के मामलों में हार्मोन थेरेपी के लाभ निश्चित रूप से रिस्क को कम करते हैं."
लेकिन बात जब अल्टरनेटिव ट्रीटमेंट की होती है तो डॉ नूपुर एक विकल्प के रूप में कॉग्निटिव (संज्ञानात्मक) बिहेवियरल थेरेपी के बारे में भी बताती हैं.
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Published: 09 Jan 2020,01:49 PM IST