(चेतावनी: इस लेख में खुद को नुकसान, सुसाइड, अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य विकारों का जिक्र है. अगर आपको सुसाइड के ख्याल आते हैं या जानते हैं कि कोई मुश्किल में है, तो कृपया उनके साथ रहमदिली से पेश आएं और स्थानीय आपातकालीन सेवाओं, हेल्पलाइन और मेंटल हेल्थ एनजीओ को इन नंबरों पर कॉल करें.)

अक्टूबर 2016 में, मुझे क्रॉनिक डिप्रेशन (गंभीर अवसाद) का पता चला था, जो अंततः बाईपोलर (मैनियाक डिप्रेशन, जिसमें मूड में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव आता है) में बदल गया. तब से, मुझे इस बात पर काफी गहरी जानकारी मिल चुकी है कि इन समस्याओं के प्रति समाज के विचार और बर्ताव कैसे होते हैं.

मुझे यह भी पता चला कि मेरे लफ्ज किस तरह लोगों के मेरे साथ बातचीत के तरीके पर असर डालते हैं और वे मुझे एक इंसान के तौर पर किस तरह देखते हैं. कुछ लोग इसे समझते हैं, कुछ लोग इसे ध्यान खींचने का तरीका मानते हैं. मेरी जिंदगी ने एक मोड़ लिया और तब से, मैं लगातार दवाओं और इलाज पर हूं.

डिप्रेशन एक चरम स्थिति से दूसरी चरम स्थिति पर जाना है. आप या तो बहुत ज्यादा खुश होते हैं या फिर इतने निराश हो जाते हैं कि आपको शक होता है कि क्या दुनिया में फिर रंग आएंगे.

हर कोई आपसे कहेगा कि सब बेहतर हो जाएगा और आप सोचते हैं कि यह कब होगा. कसम से बताती हूं कई बार मुझे लगता था सूरज मेरे शरीर पर खुशियां की बारिश कर रहा है, और फिर किसी दिन मुझे एकदम से कुछ भी नहीं महसूस होता. डिप्रेशन आसान नहीं है और न ही इसका कोई फटाफट इलाज है.

ऐसा नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं की. मैंने कोशिश की लेकिन जागरुकता और समझ की कमी की वजह से मुझे दुनिया से मिली सभी चीजें बनावटी लगीं या फिर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं.

मैंने इसे मन में इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जिससे सब कुछ और खराब होता गया. मैंने हर जगह अनुपयुक्त और अलग-थलग महसूस किया. मेरा आत्मसम्मान एकदम गिर चुका था. मुझे लगा कि लोग मेरा मजाक उड़ा रहे हैं या आपस में मेरी हंसी उड़ा रहे हैं. मैं कहीं छिप जाना चाहती थी या गायब हो जाना चाहती थी.

चंद चीजें जिन्होंने मुझे जिंदा रखा, वह था डायरी लिखना और संगीत. मुझे उन गानों को सुनना बहुत पसंद था, जिन्हें मैं अपनी निराशा से जोड़ सकती थी. मैं ऐसे लोगों को चुनने की कोशिश करती जो सादे स्लेट जैसे हों ताकि मुझ पर नुक्ताचीनी न करें. उनसे बात करके या उनकी मदद लेकर मुझे उपलब्धि का एहसास होता था जो मुझे उबारती थीं.

महीने में ऐसे अनगिनत दिन होते थे, जब मैं जागने से इनकार करते हुए अपने बिस्तर में पड़ी रहना चाहती थी. मैंने अपनी दवाएं लीं और पूरे दिन बिस्तर पर पड़े रहना पसंद करती.

हालांकि, मुझे अभी भी उम्मीद थी और उन दिनों का इंतजार कर रही थी जब दिन खुशुनमा और मजेदार होंगे. मैं अधूरी जिंदगी जी रही थी, लेकिन मुझे अभी भी यकीन था कि सब कुछ बदलकर बेहतर हो जाने वाला था और आखिर में काले बादल छंटेंगे और बादलों के पीछे से सूरज चमकेगा.

पैनिक अटैक से लेकर अचानक ब्लैकआउट, सुसाइड की कोशिशों तक, मैं हर चीज से गुजरी. मेरा मूड स्विंग हर किसी के लिए तबाही भरा और सच में नाकाबिले बर्दाश्त था— एक घंटे के लिए सबसे खुशहाल लड़की से लेकर अगले पल एक बुरी तरह रोने वाली लड़की बनने तक.

यह सिर्फ सवालों की शुरुआत थी, जो मेरे चारों ओर मंडराते थे और मेरी ओर उंगली से इशारा करते थे– मुझ पर कायर होने का आरोप लगाते हुए, जिसने मामूली समस्याओं के लिए डिप्रेशन का ठप्पा लगा लिया है और ऐसी ही तमाम बातें.

मैं हर किसी को जवाब नहीं दे सकती थी, लेकिन मैंने अपने मां-बाप से बात की और उनसे थोड़ा समर्थन जुटाने में कामयाब रही. कुछ दोस्त ऐसे भी थे जिन्होंने इस दौर में मेरे साथ बने रहने का फैसला किया, लेकिन मुझे यकीन नहीं था कि वे कितने समय तक रहेंगे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मैंने अपनी पूरी जिंदगी दूसरों के लिए जी है और मुझे अभी भी नहीं पता कि मुझे अपने लिए कैसे जीना है. मुझे यह सोचने से नफरत है कि इस दुनिया में ऐसे लोग भी हैं, जो महसूस करते हैं कि उनका अस्तित्व एक खाली गड्ढा है, जिसमें उन्हें एक दिन दफना दिया जाएगा. मुझे ऐसा ही लगा. फिर भी मैं अपना काम कर रही हूं. कभी-कभी, मैं इतना डरावना महसूस करती थी कि मैं खुद को मारने, अपने बालों को नोचने और चीखने लगती.

लेकिन मैं जूझती रही. मैंने कोशिश की, मैंने अपने पसंदीदा टीवी शो देखे, मेरे पास जब पैसे हुए तो बाहर गई, लोगों से मिली जब उनके पास फुर्सत हुई. यह डरावने अस्तित्व की तरह लगता है, लेकिन मैं अपनी जिंदगी से ज्यादा मानसिक बीमारी से नफरत करती हूं और मैं मजबूती से डटी थी कि बीमारी मेरी जिंदगी का अंत नहीं कर सकती.

अवसाद ने मेरी जिंदगी को चीर कर रख दिया था, इसने मुझे उस तरह बदल दिया है जैसा मैंने कभी सोचा भी नहीं था. डिप्रेशन एक ऐसी चीज है जो मेरा हिस्सा है और मैं जिसका हिस्सा हूं, इसने मुझे मेरी जिंदगी के सबसे अंधेरे लम्हे दिए लेकिन मैं इससे वापस निकल आई.

और मैंने इस संघर्ष के साथ इतना कुछ सीखा है, जितना आप कभी किसी किताब से भी नहीं सीख सकते. इस बीमारी के साथ रहकर मैंने हर दिन कुछ पाया. मैंने इस बीमारी के बावजूद पढ़ाई की और एक प्रोडक्टिव जिंदगी जी और यह एक उपलब्धि है.

अब, चार साल से ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद, मुझे लगता है कि मैं ठीक हूं और मुझे सलाह दी गई है कि मैं कल से दवाएं न लूं. अब, चार साल के लंबे दौर के बाद, मुझे अपनी दवाएं खाना याद रखने की जरूरत नहीं होगी. यह बहुत अच्छे से भी कुछ ज्यादा है.

अपनी मानसिक बीमारी को स्वीकार करने का मतलब है, अपनी जिंदगी का नियंत्रण अपने हाथ में लेना और आगे बढ़ना. इसने मेरी रिकवरी में बड़ी भूमिका निभाई है.

मैंने अपनी ताकत और कमजोरियों का श्रेय खुद को देने और अपनी सीमाओं को समझने के बाद अपनी मानसिक बीमारी को स्वीकार करना शुरू कर दिया. साथ ही, यह भरोसा किया कि मेरे पास समाज के लिए कुछ करने और अपनी जिंदगी में सकारात्मक, स्वस्थ चीजें करने के लिए कुछ है. मैं सुंदर से कुछ ज्यादा हूं, मैं मजबूत हूं.

मैं ऐसी चीज का सामना कर रही हूं, जो लोगों को मार डालती है और जिसने मुझे भी लगभग मार ही डाला था. लेकिन मैं ठीक हूं और मुझे यकीन है कि चार साल बाद मैं अब खूबसूरत दिखती हूं.

नहीं, असल में मैं इस बीमारी की मरीज होते हुए भी खूबसूरत दिखती थी, लेकिन मैं अब और खूबसूरत दिखती हूं. हां, यह सही है. मैं अब इतनी ज्यादा खूबसूरत लग रही हूं और मुझे एहसास है कि मैं बहुत मजबूत हूं क्योंकि मैंने उस बीमारी को मात दी है जो बहुत डरावनी और विनाशकारी है.

मैं नहीं जानती कि किस तरह खुद को, अपने मां-बाप, अपने दोस्तों और सबसे खास मनोचिकित्सकों और काउंसलर का कैसे शुक्रिया अदा करूं, जिन्होंने मुझे यह नया जन्म दिया. यह खुशी से भी कुछ ज्यादा है.

मैं उत्साहित हूं और मुझे नहीं पता कि इस खुशी को कैसे जाहिर किया जाए और इसे कैसे बाहर निकाला जाए. अब ऐसा लगता है जैसे सच में खुशी मेरी नसों में खून के साथ दौड़ रही है, जहां पहले एंग्जाइटी, तनाव, डिप्रेशन, भय और इनसे जुड़ी चीजें थीं.

सेठ एडम स्मिथ सुसाइड की रोकथाम के पैरोकार हैं और वह लिखते हैं, “किसी दिन, आप एक मुश्किल पहाड़ की चोटी पर खड़े होंगे और अपनी जिंदगी के सफर को पलट कर देखेंगे. और, अचंभे के साथ, आप देखेंगे कि डिप्रेशन के बारे में आपके अनुभव रहे. अंधेरे और दर्दभरे, लेकिन वे सिर्फ आपकी जिंदगी में पूरी खूबसूरती जोड़ने के लिए थे.” और यह कुछ ऐसा ही है, बेहद, बेहद पावरफुल.

(लेखिका एक स्टू़डेंट हैं और भारत में काम करने वाले मानसिक स्वास्थ्य संगठन Paperplanes के लिए काम करती हैं और एक डिप्रेशन सर्वाइवर हैं, जिनसे sobiakhatoon65@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT