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कोविड-19 महामारी और उसके चलते लगाए गए लॉकडाउन का असर कमोबेश हमारी जिंदगी के हर पहलू पर पड़ा है. शोधकर्ता मानसिक स्वास्थ्य और अच्छी सेहत पर इसके असर का अध्ययन करने में जुटे हैं और कहने की जरूरत नहीं है कि यह कुछ खास अच्छा नहीं दिख रहा है.
हमेशा बनी रहने वाली अनिश्चितता से आशंकाएं और चिंताएं हर समय हावी रहती हैं. इसमें यह भी जोड़ लें: काम के बेतरतीब घंटे, खाने में अनुशासन की कमी और एक्सरसाइज व बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम. कोई अचंभा नहीं कि हमारी नींद अनियमित है और नींद की क्वालिटी खराब हो गई है.
हम इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जिस कारण अच्छी तरह से नहीं सो पाना आम है. ऐसे कई सबूत हैं, जो बताते हैं कि रात की अच्छी नींद संक्रमण होने की आशंका को कम करने में मदद करती है, जिसका कुछ संबंध मेलाटोनिन के रिलीज से हो सकता है– नींद का हार्मोन जिसमें हमें सुरक्षित रखने के गुण होते हैं.
अपने रूटीन को बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश करें: हममें से ज्यादातर अभी भी घर से काम कर रहे हैं और इसलिए हमारे आम दिनों के ‘समय के बंधन’ जैसे जिम जाना, समय से काम पर पहुंचना, बच्चों को स्कूल छोड़ना आदि, जो हमें रूटीन से बांधे रखते हैं और जिनसे हमें दिन का हिसाब रखने और एक रूटीन को बनाए रखना होता है, लेकिन अभी ये गायब हैं. यह मुश्किल हो सकता है और यहां तक कि गैरजरूरी भी लग सकता है कि आप सामान्य रूटीन जैसा होता है, उसे बनाए रखने की कोशिश करें.
हमारे रूटीन में बड़े बदलाव निश्चित रूप से हमारे नींद पर असर डाल सकते हैं, लेकिन साथ ही हमारे लिए तनाव की वजह भी बनते हैं, जो रात की अच्छी नींद के लिए ठीक नहीं है.
एक अच्छी रूटीन हमारे शरीर को सुरक्षित महसूस कराती है, जो तनाव, घबराहट और बहुत ज्यादा सोचने को कम करने में मदद करती है.
सूरज की थोड़ी रोशनी लें: प्राकृतिक रोशनी हमारी शारीरिक लय को नियंत्रित करती है और इसका अभाव न केवल हमारी नींद के समय पर असर डालता है, बल्कि इसकी क्वालिटी पर भी असर डालता है. जितना मुमकिन हो उतनी धूप लें, चाहे वह टहलने जा रहे हों, धूप में बैठे हों या खुली खिड़कियों से लें.
अपने स्क्रीन टाइम का ध्यान रखें: कभी भी ज्यादा स्क्रीन टाइम अच्छी बात नहीं है– लेकिन इस समय, महामारी के बीच, यह और भी बुरा है. यह देखते हुए कि हम जिन हालात में हैं और लगभग शून्य सामाजिक संपर्क है, यह समझना आसान है कि हम सभी अपनी स्क्रीन से क्यों चिपके हैं, लेकिन संतुलन जरूरी है.
संपर्क में होना महसूस करने के सीमित तरीकों के साथ, हम साफ तौर पर ऐसा करने के लिए टेक्नोलॉजी पर निर्भर कर रहे हैं और जबकि इसमें से कुछ अच्छे हो सकते हैं, कई एंग्जाइटी की वजह भी बन सकते हैं और तत्काल संतुष्टि की जरूरत पैदा कर सकते हैं, जो हमें अभी महसूस हो रही अनिश्चितता को बढ़ा सकते हैं.
आप नाइट आउल और ट्विलाइट जैसे ऐप्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो नीली लाइट के असर को कम करने में मदद करते हैं.
सोशल मीडिया से दूरी से सूचनाओं का ज्यादा सुविचारित ढंग से इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी.
लोगों से जुड़ाव बनाए रखें: ऐसे समय में, जब बहुत सी चीजें अनिश्चित हैं, तब यह बात मदद करती है, जब हम जानते हैं कि अभी भी ऐसे लोग हैं जो हमसे प्यार करते हैं और जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं. उनसे जुड़े रहने के लिए और कभी-कभी हाल-चाल जानने के लिए कुछ वक्त निकालें. यह आपको सुरक्षित और प्यार महसूस कराएगा जो तनाव को कम करता है.
दयालुता दिखाएं: जब आप द्वारा पढ़ा जाने वाला हर लेख किसी ऐसी चीज के बारे में बात कर रहा है, जो बता रहा है कि दुनिया के साथ कुछ गलत हो रहा है, तो यह सोच पाना मुश्किल है कि अच्छा वक्त आएगा. ऐसा करने का एक तरीका यह है कि अगर आप चाहते हैं कि आपके साथ अच्छा हो, तो दूसरों के साथ अच्छा करें. इसलिए उन मुद्दों को देखें, जिन पर आप यकीन रखते हैं और दान करें, करीब के स्थानीय शेल्टर होम में खाना भेजें– या किसी के चेहरे पर मुस्कान लाएं. सकारात्मक असर पैदा करने से तनाव और अनिश्चितता की भावना को कम करने में मदद मिलेगी, जो अभी हमारे नींद नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है.
रात के समय का नियम बनाएं: रात को अच्छी नींद लेने में मदद करने वाली छोटी आदतें आपकी शारीरिक लय को नियमित करने में बड़ी मददगार हो सकती हैं और आपके शरीर को ऐसा लगातार करने पर यह ‘नींद की तैयारी’ मोड में भेज सकती हैं.
आयुर्वेद सोने से पहले पैरों को धोने और उनकी मालिश करने के महत्व पर जोर देता है. पैर धोने से हमारे शरीर को ठंडा करने में मदद मिलती है और पैर के दबाव बिंदुओं पर अच्छी मालिश तनाव, मांसपेशियों के तनाव को कम करती है और संबंधित अंगों को सुकून देती है– इन सबसे गहरी नींद आती है.
काजू, जबरदस्त जायकेदार होने के अलावा, हमारे दिमाग के लिए भी शानदार है. यह बी6, मैग्नीशियम और प्रोटीन का एक बड़ा स्रोत है और एंग्जाइटी, तनाव यहां तक कि हल्के अवसाद को कम करने से भी जुड़े हैं.
(प्राची जैन साइकोलॉजिस्ट, ट्रेनर, ऑप्टिमिस्ट, रीडर और रेड वैल्वेट कपकेक की मुरीद हैं.)
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