वजन का डायबिटीज से क्या कनेक्शन है?
डायबिटीज पर तरह-तरह की सूचनाएं और भ्रामक सूचनाएं हममें से कइयों को भ्रम और अचंभे में डाल सकती हैं. उदाहरण के लिए, वजन का बढ़ना या घटना डायबिटीज के कारण होता है या ये डायबिटीज होने का खतरा बढ़ा सकते हैं? क्या मोटापा इस बीमारी के होने में योगदान देता है? अगर ऐसा है, तो कुछ डायबिटीज रोगियों का वजन अचानक घटता क्यों है?
यह सब एक-दूसरे से कैसे जुड़े हैं? बता रहा है FIT.
डायबिटीज एक क्रॉनिक मेटाबॉलिक बीमारी है, जिसमें इंसान को हाई ब्लड ग्लूकोज (ब्लड शुगर) होता है, जिसका कारण या तो असंतुलित इंसुलिन उत्पादन (टाइप 1 डायबिटीज) होता है, या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं (टाइप 2 डायबिटीज), या दोनों ही. इंसुलिन पैंक्रियाज द्वारा बनाया गया एक हार्मोन है, जो ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का इस्तेमाल करने में मदद करता है. इसकी गैरमौजूदगी में, ग्लूकोज ब्लड में ही रहता है और शुगर लेवल बढ़ जाता है.
जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट एंड डायबिटीज के कंसल्टेंट डॉ शैवाल चंदालिया बताते हैं कि मोटापे के कारण मसल्स, लिवर और फैट सेल्स में इंसुलिन प्रतिरोध पैदा होता है- जिससे ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि होती है.
मोटे व्यक्तियों में, नॉनस्टेरेफाइड फैटी एसिड, ग्लाइसेरॉल, हार्मोंस, साइटोकिंस, प्रो-इंफ्लेमेटरी मार्कर्स और दूसरे पदार्थ जो इंसुलिन प्रतिरोध के विकास में शामिल हैं, के स्तर में वृद्धि होती है. इसके अलावा, मोटापा सीधे शरीर के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करता है, जिससे फैट टिश्यू ब्लड में अधिक फैट मॉलीक्यूल्स को रिलीज करता है, जो बदले में इंसुलिन सेंसिटिविटी को कम करता है.
यही कारण है कि टाइप 2 डायबिटीज को सही लाइफ स्टाइल उपायों की मदद से और सेहतमंद वजन बनाए रख कर रोका जा सकता है.
लेकिन डायबिटीज के लक्षणों पर एक नजर डालने से एक दिलचस्प नतीजा दिखाई देता है. बहुत ज्यादा प्यास लगना, भूख, थकान, लगातार पेशाब और दूसरी चीजों के अलावा- बिना वजह वजन घटना.
सीधे शब्दों में कहें तो, शरीर को ऊर्जा की जरूरत होती है. चूंकि यह ग्लूकोज का इस्तेमाल करने में नाकाम होता है, इसलिए यह उसकी जगह फैट और मसल्स को खर्च करना शुरू कर देता है. यह वजन में कमी की वजह बनता है. अक्सर ये टाइप 1 डायबिटीज की पहचान का एक स्पष्ट लक्षण है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों पर भी इसका असर हो सकता है.
तो टाइप 2 डायबिटीज होने में वजन का जो भी योगदान हो, एक बार जब शुगर 200 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर चला जाता है- जो कि किडनी के लिए अवशोषित करने की अंतिम सीमा है- टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों का वजन कम होना शुरू हो जाता है.
टाइप 1 डायबिटीज होने की आशंका आपके वजन के कारण नहीं बढ़ती हैं . लेकिन अधिक वजन होने से आपको टाइप 2 डायबिटीज का खतरा काफी बढ़ जाता है क्योंकि यह इंसुलिन प्रतिरोध को शुरू करता है.
मोटापा टाइप 2 डायबिटीज में योगदान कर सकता है, जबकि टाइप 1 का एक सामान्य लक्षण अचानक और बेवजह वजन घटना है.
वैसे दोनों मामलों में डायबिटीज का मुकाबला करने में एक हेल्दी लाइफ स्टाइल महत्वपूर्ण है. यह शरीर में इंसुलिन के कुशल प्रबंधन में मदद कर सकती है और अगर समय से पता चल जाए तो मुमकिन है कि टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों को खत्म कर दे.
अब जबकि आप यह सब जान चुके हैं, तो इस सायलेंट किलर को मार भगाने का समय आ गया है. काम पर लग जाइए!
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Published: 05 Nov 2019,04:27 PM IST