किसी ने ठीक कहा है कि ‘भविष्य का संबंध जिज्ञासु लोगों से होता है. जो लोग अपनी जिज्ञासा को आजमाने से नहीं डरते, इसे एक्स्प्लोर करते हैं, इस पर मजाक करते हैं, इस पर सवाल उठाते हैं और आखिरकार वे जिज्ञासा को शांत करके ही मानते हैं.’
शोध से पता चलता है कि 3 साल की उम्र तक के बच्चे हर दिन कम से कम 73 सवाल पूछते हैं. जैसे-जैसे समय बीतता है और वे युवा उम्र में प्रवेश करते हैं, और अगर उनके सवालों के संतोषजनक उत्तर नहीं मिलते, तो यह जिज्ञासा उम्र के साथ खत्म हो जाती है.
समाज ज्यादातर ‘कठिन सवालों’ के जवाब देने के लिए जरूरी सराहना नहीं करता है. आजकल ज्यादातर स्कूलों के पाठ्यक्रम में पाठ्यपुस्तक से सिखाया जाता है और यह बच्चों को विषयों को गहराई से सीखने, नई-नई चीजों का पता लगाने और उन्हें समझने की बुनियादी क्षमता को दूर ले जाता है.
जिज्ञासा एक्स्प्लोर करने और सवालों के जवाब ढूंढने के लिए प्रेरित करती है. जिज्ञासा रचनात्मक समाधानों के लिए बेहद जरूरी आधार बन चुकी है; खासतौर से आज के लगातार बदलते समय में यह दुनिया की मांग और आवश्यकता दोनों बन चुकी है. यह एक बच्चे को अवधारणाओं को अच्छी तरह से समझने के लिए प्रेरित करती है, जिन्हें वे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में लागू कर सकते हैं ताकि वे कुछ ऐसे समाधान पा सकें, जिनके बारे में उन्होंने पहले नहीं सुना था.
लेकिन वास्तव में इस आग को जीवित रखना काफी चुनौतीपूर्ण है. क्विज़ सेशन, बहस और चर्चा (वर्तमान में सभी ऑनलाइन हैं) जैसे प्लेटफॉर्म्स बच्चों को न केवल उनकी अभिव्यक्ति की ताकत को बढ़ाकर ज्ञान का निर्माण करने में मदद करते हैं, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण है कि इनसे बच्चों में निहित जिज्ञासा का भी पोषण होता है.
उनमें गहराई से जिज्ञासा विकसित करने और उसे चमकाने के साथ-साथ परीक्षाओं को पास करने के लिए, नियमित पाठ्यपुस्तक विधि को अपनाना भी एक प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए. इस समय के दौरान जिज्ञासा का पोषण करना एक कठिन काम हो सकता है, लेकिन यह बच्चे के संपूर्ण विकास और बाद में जीवन की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
इसलिए बच्चों के लिए सुरक्षित स्पेस का निर्माण करना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ज्यादातर लोग उनके सवालों को हास्यास्पद कहेंगे, लेकिन हमें जिज्ञासा की हर छोटी सी चिंगारी को प्रोत्साहित करना है.
ऑनलाइन वर्कशॉप, क्विज़ और यहां तक कि अनौपचारिक चर्चाओं का उपयोग करके यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बच्चे उन विषयों के बारे में बात करें, जो उनके दिमाग में बार-बार आ रहे हैं. साथ ही हर विषय की बारीकियों के बारे में जानें, जो ज्यादा सवाल पूछने के लिए प्रेरित करते हैं.
हमें सवालों और किसी भी चीज के बारे में चर्चा करने की शक्ति को प्रोत्साहित करना चाहिए. चाहे वह सूर्य और इससे परे की कोई भी बात हो.
हमारा मानना है कि सवाल पूछने के लिए एक कुशल समूह बच्चों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा. आखिरकार हम सभी उत्सुक व्यक्तियों के लिए जवाब से ज्यादा सवाल महत्वपूर्ण हैं. बच्चों में जिज्ञासा का पोषण करना बहुत जरूरी है और यही समय की आवश्यकता है.
(सचिन रवि और राघव चक्रवर्ती QShala के को-फाउंडर हैं.)
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