कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के नए मामलों में पहले की तुलना में गिरावट आने के साथ कई राज्यों में कुछ कक्षाओं के लिए ऑफलाइन क्लास खुल चुके हैं, तो कई राज्यों में स्कूल खुलने वाले हैं. राज्य सरकारों ने स्कूल खोलने के लिए COVID-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन के साथ अन्य नियमों की भी घोषणा की है.

कोरोना के कारण पिछले करीब डेढ़ साल बच्चों के साथ-साथ बड़ों के लिए भी भारी रहे हैं. स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हुआ और ऑनलाइन क्लासेज के साथ बच्चों ने बदले हुए हालातों का सामना किया है.

स्कूल धीरे-धीरे फिर से खुल रहे हैं. स्कूलों को फिर से खोलना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण है कि स्कूल खोलने का ये काम कैसे किया जाता है और हम सभी कितने तैयार हैं. माता-पिता और बच्चे इसके लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं? इस सिलसिले में फिट ने एक्सपर्ट्स से बात की.

तैयारी: बच्चे के साथ खुद को भी करें तैयार

सबसे पहले माता-पिता को स्कूली दिनों की बात शुरू कर देनी चाहिए.

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में मनोचिकित्सक डॉ. संदीप वोहरा कहते हैं, "पेरेंट्स को बच्चों को यह समझाना होगा कि यह स्थिति अनिश्चित काल तक नहीं चल सकती है."

बड़े बदलावों और छोटे बदलावों के बारे में बात करें. हर चीज के बारे में बात करें.

"बच्चों से स्कूल जाने के सकारात्मक पहलुओं, दोस्तों से मिलने, COVID उचित व्यवहार के बारे में बताया जाना चाहिए."
डॉ. संदीप वोहरा, मनोचिकित्सक, इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, दिल्ली

सोने और जागने का समय ठीक करें

कोरोना महामारी ने हमारी लाइफस्टाइल में काफी बदलाव किया है, सोने-जागने के साथ ही हमारी कई आदतें बदल गई हैं. इसलिए सबसे पहले रात को सोने और सुबह उठने का समय ठीक करें.

"यह करना सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि आप रात 11 बजे तक बिस्तर पर जाने लगें और समय पर उठ जाएं."
डॉ. समीर मल्होत्रा, मनोचिकित्सक, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली

सिर्फ बच्चे ही नहीं, माता-पिता को भी छह से आठ घंटे सोना चाहिए.

डॉ. मल्होत्रा का कहना है कि इस आदत को फिर से अपनाए जाने की जरूरत है. हमारा दिमाग सीख सकता है, सीखा हुआ भूल सकता है और भूला हुआ दोबारा सीख सकता है, इसमें समय लग सकता है, लेकिन ये मुमकिन है.

COVID उपयुक्त व्यवहार में कोई लापरवाही नहीं

साफ-सफाई, हाथ धोने, मास्क पहनने के बारे में बच्चों को बार-बार बताएं, ताकि COVID उपयुक्त व्यवहार को सुदृढ़ किया जा सके.

“यह कोविड काफी लंबा हो गया है. कभी-कभी, हम हार मान लेते हैं और चीजों को हल्के में ले लेते हैं - हर रोज एक ही तरह की सावधानियों का पालन करना - खासकर बच्चों के लिए, ये मुश्किल हो सकता है."
डॉ. समीर मल्होत्रा, मनोचिकित्सक, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, दिल्ली

डॉ. वोहरा का कहना है कि न केवल छोटे बच्चों, बल्कि किशोरों में भी COVID उपयुक्त व्यवहार को सुदृढ़ करना होगा, क्योंकि इस एज ग्रुप के बच्चे प्रयोग और विद्रोह करते हैं.

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बच्चों से बात करिए

सामान्य परिस्थितियों में भी स्कूल वापस जाना कुछ बच्चों के लिए तनावपूर्ण समय होता है, लेकिन कोविड के बीच, यह कई बच्चों में चिंता बढ़ा सकता है.

बच्चे भावनात्मक रूप से थोड़े अभिभूत हो सकते हैं, क्योंकि वे अपने दोस्तों से काफी समय बाद मिल रहे हैं.

डॉ. वोहरा कहते हैं, "माता-पिता को मददगार होना चाहिए और बच्चे को हर चीज के बारे में बोलने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. यह पढ़ाई से संबंधित हो सकता है या कोविड ​​का डर, कुछ भी हो सकता है. लेकिन उनके बीच दो-तरफा बातचीत होनी चाहिए."

बच्चे की पर्याप्त नींद, सक्रियता और हेल्दी खाना जरूरी है. डॉ. मल्होत्रा कहते हैं कि उन्हें किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि करने के लिए प्रोत्साहित करना जो उन्हें पसंद हो, महत्वपूर्ण है.

सतर्क भी रहें पेरेंट्स

बच्चे कई तरीकों से तनाव और चिंता प्रदर्शित कर सकते हैं, चूंकि माता-पिता अपने बच्चों को सबसे अच्छी तरह जानते हैं, इसलिए उन्हें अपने व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलावों पर ध्यान देना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मेडिकल मदद लेनी चाहिए.

बच्चों में इन संकेतों पर ध्यान दें:

  • ज्यादा चिड़चिड़ापन

  • बहुत अलग-थलग होना

  • मायूस या बेहद ज्यादा उत्साहित होना

  • ईटिंग पैटर्न में बदलाव

  • स्लीप साइकल में बदलाव

अपना भी ख्याल रखें माता-पिता

माता-पिता को भी अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए. अगर माता-पिता तनाव में हैं, तो बच्चे उस पर ध्यान देंगे. अपना ख्याल रखने से सभी को फायदा होगा.

डॉ. वोहरा कहते हैं,

"पेरेंट्स को अपनी चिंता संभालनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों के सामने इसे प्रदर्शित न करें, जो उन्हें परेशान करता है."

डॉ. वोहरा कहते हैं कि तनावपूर्ण परिस्थितियों में, अपने साथी या किसी ऐसे व्यक्ति से बात करनी चाहिए, जिसके साथ सहजता हो.

घर के भीतर भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का कुछ विभाजन भी होना चाहिए, ताकि पूरी जिम्मेदारी किसी एक पर न पड़े.

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