(चेतावनी: कुछ प्रश्न आपको विचलित कर सकते हैं. पाठक को पढ़ने से पहले विवेक का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.)
सेक्सॉल्व समता के अधिकार के पैरोकार हरीश अय्यर का फिट पर सवाल-जवाब पर आधारित कॉलम है.
अगर आपके मन में सेक्स, सेक्स के तौर-तरीकों या रिलेशनशिप से जुड़े कोई सवाल हैं, और आपको किसी तरह की सलाह की जरूरत है, किसी सवाल का जवाब चाहते हैं या फिर यूं ही चाहते हैं कि कोई आपकी बात सुन ले- तो हरीश अय्यर को लिखें, और वह आपके लिए ‘सेक्सॉल्व’ करने की कोशिश करेंगे. आप sexolve@thequint.com पर मेल करें.
पेश हैं इस हफ्ते के सवाल-जवाबः
डियर रेनबोमैन,
मैं 28 वर्षीय पॉलियामोरस (एक से अधिक पार्टनर से सेक्सुअल संबंध) बाईसेक्सुअल (दोनों जेंडर से सेक्स करने वाली) महिला हूं. मुझे एक पुरुष से प्यार है और हाल ही में मुझे एक महिला से भी प्यार हो गया. मेरा उस आदमी से तीन साल से प्रेम संबंध है. महिला हाल ही में मेरी जिंदगी में आई है. मेरे पुरुष के साथ संबंध पर महिला को कोई एतराज नहीं है. और वह आदमी भी जानता है कि मैं इस महिला से प्यार करती हू. हालांकि, यह इतना आसान नहीं है जितना लगता है. मैं अब इस महिला के साथ रह रही हूं और वह पुरुष दूसरे शहर में है. इस समय, मैं महिला के साथ हूं और पुरुष से सेक्स करने के बारे में सोच रही हूं. मैं पुरुष की तरफ ज्यादा आकर्षित महसूस कर रही हूं. मुझे नहीं पता कि मैं अपनी बात ठीक से समझा पा रही हूं या नहीं... उम्मीद है कि आप मतलब समझ जाएंगे. हर गुजरते दिन के साथ मैं महिला के प्रति कम और पुरुष के प्रति ज्यादा आकर्षण महसूस कर रही हूं. यह मेरे दिमाग पर बोझ बन गया है. मैं अपने पुरुष प्रेमी के पास जाना चाहती हूं. यह महिला बहुत प्यारी है, बहुत समझदार है, खूब प्यार करती है, वह मेरा बहुत ख्याल रखती है और मेरी जरूरतें पूरी करती है और बहुत प्यार से मेरी देखभाल करती है. मैं उसे गंवाना नहीं चाहती. मैं उसके बराबर उसको पूरा वापस नहीं दे पा रही हूं. लेकिन मैं अपने पुरुष पार्टनर को नहीं खोना चाहती. मैं लगातार सोच रही हूं कि अगर लंबे समय तक ऐसा ही चला तो वह कोई और ढूंढ लेगा. मैं ऐसा नहीं सोचना चाहती कि मैं उसे दूसरे जेंडर के पार्टनर के लिए छोड़ रही हूं और होमोसेक्सुअल पार्टनर को धोखा दे रही हूं. ऐसी बात नहीं है. मैं उसे सच में प्यार करती हूं. प्लीज मुझे राह दिखाने में मदद करें. मैं बड़े असमंजस में हूं.
सादर,
दुविधाग्रस्त नारी
प्रिय दुविधाग्रस्त नारी,
मुझे पत्र लिखने के लिए शुक्रिया. ऐसा लगता है कि आप जिन हालात में हैं वह काफी जटिल है. बशर्ते कि आप नहीं जानतीं कि प्यार आमतौर पर जटिल ही होता है. मेरी राय में, प्यार को कायम रखना आसान नहीं है. शायद इसीलिए लोग इसे इतनी अहमियत देते हैं.
उन हालात से बाहर निकलिए, जिनमें आप घिरी हैं.
आप पॉलियामोरस हैं. आप संस्कारी पॉलियामोरस में यकीन रखती हैं. आपने अपने दोनों पार्टनर्स को अन्य के साथ अपनी रिलेशनशिप के बारे में जिम्मेदारी से बता दिया है.
यहां तक सब बढ़िया है. हालांकि, कहानी में थोड़ा पेच है जो मुझे आपके ईमेल से समझ में आया है. एक मिनट के लिए, दोनों प्रेमियों के जेंडर को भूल जाएं. आइए आपके बॉयफ्रेंड को A और गर्लफ्रेंड को B नाम देते हैं. क्या आप A के साथ अपने संबंध को प्राइमरी संबंध मानती हैं? अगर जवाब हां में है, तो इसे बता देने की जरूरत है.
यह सब कुछ तय करने की जरूरत है. आपके मामले में, अगर A आपकी प्राइमरी रिलेशनशिप है और B आपकी सेकेंडरी रिलेशनशिप है, तो उन्हें यह जानना जरूरी है.
इंसानों के बीच रिश्तों में एक दूसरे से कुछ अपेक्षाएं होती हैं. बेहतर हो अगर हम वैसा प्यार दे पाएं जैसा हम पाते हैं. नहीं तो एक देने वाला बन जाता है और दूसरा लेने वाला. और यह देने वाले के लिए भी बहुत बोझिल हो सकता है क्योंकि जल्द ही प्यार और हमदर्दी का भंडार खत्म हो जाएगा.
मैंने यह भी पढ़ा कि आप खुद को एक बाईसेक्सुअल शख्स बता रही हैं.
यह एक मिथक है कि बाईसेक्सुअल (दोनों तरह के जेंडर में सेक्स संबंध रखने वाले) इंसान विपरीत जेंडर के पार्टनर के लिए अपने समान जेंडर पार्टनर को छोड़ देते हैं.
मैं पूरी मजबूती से सुझाव दूंगा कि आप B शख्स के साथ ज्यादा खुलेपन से बात करें और B को बताएं कि आप A शख्स के बारे में क्या महसूस करती हैं. ईमानदार रहें, सफाई से अपनी बात कहें. अपने त्रिकोणीय रिलेशनशिप के आयामों को नया आकार दें. जानें कि आपके लिए क्या ठीक है. उन्हें बताएं कि आपके लिए क्या ठीक नहीं है. खुद को किसी रिलेशनशिप में जबरन न धकेलें. खुद को किसी रिलेशनशिप से जबरन बाहर न निकालें. बातचीत करें और समाधान के तरीके खोजें. किसी को इसमें छोटा न महसूस न होने दें.
आप जैसा भी सोचती हैं, उसके लिए कसूरवार महसूस करने की जरूरत नहीं है. बस अपने पार्टनर के प्रति इसके बारे में ईमानदार रहें और पुरानी राह से नई राह निकालें.
मुस्कान के साथ
रेनबोमैन
अंतिम बातः अपनी बात कहें. ईमानदार रहें.
डियर रेनबोमैन,
मैं सारा दिन सोचता रहता हूं. मेरी जिंदगी बहुत उलझी हुई है. मेरी जिंदगी में ट्रॉमा है, जैसा कि आपके साथ (उदाहरण के लिए बचपन में बलात्कार) हुआ था. मेरे मन में बहुत उतार-चढ़ाव भरे ख्याल आते हैं. ऐसा भी वक्त होता है जब मुझे लगता है कि मैं खुद को खत्म दूं. मैंने एक से ज्यादा बार अपनी जिंदगी खत्म करने की कोशिश की है. ऐसे लम्हे भी आए जब मैं पागलों की तरह हंसता रहा. मुझे असीम आनंद की अनुभूति हुई. ऐसा लगता है जैसे अपनी खुशी सारी दुनिया को बता देना चाहता हं. तब मैं बहुत क्रिएटिव हो जाता हूं. बहुत प्यारा हो जाता हूं. मैं नहीं जानता कि ये चरम स्थितियां मेरी जिंदगी में क्यों हैं. क्या इसकी वजह मेरा बचपन है? क्या मुझे बाईपोलर डिसऑर्डर है? क्या आप मुझे इस बारे में बता सकते हैं? मैं डॉक्टर को दिखाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. मैं बीमारी का पता लगने से डरता हूं.
जिज्ञासु व्यक्ति
श्रीमान जिज्ञासु,
मुझे पत्र लिखने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया. बाल यौन शोषण का सदमा हमारे मन पर स्थाई असर छोड़ सकता है.
मैं चाहता हूं कि कोई भी बच्चा चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज का शिकार न हो. मैं यह भी चाहता हूं कि अगर कोई बच्चा इससे गुजरा है, तो वह कभी भी इससे इनकार न करे कि उसके साथ ऐसा हुआ था.
मैं कोई क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक नहीं हूं, इसलिए आपकी हालत का आकलन करने या कोई नाम देने से बचना चाहूंगा, लेकिन चूंकि आप बाईपोलर बीमारी के बारे में पूछ रहे हैं, तो यहां कुछ चीजें बताना चाहूंगा जो मैं जानता हूं.
बाईपोलर बीमारी में इमोशनल स्विंग (भावनाओं के उतार-चढ़ाव) इसकी खासियत है. जब इंसान हाई पर होगा तो एक मनोदशा में जा सकता है जिसे मैनिया या उन्माद कहा जा सकता है. लो होने पर, व्यक्ति क्लीनिकल डिप्रेशन में जा सकता है. मिला-जुला मामला भी हो सकता है जो कोई शख्स अनुभव कर सकता है.
मैं मेंटल डिसऑर्डर को लेकर समाज में कलंक माने जाने की स्थिति को समझता हूं. शायद यह जानने से मदद मिलेगी कि हममें से कई मेंटल हेल्थ स्थितियों के शिकार हैं, और जो लोग इलाज लेते हैं वे अपनी जिंदगी से ज्यादा असरदार ढंग से निपटने में सक्षम हैं.
मेंटल हेल्थ में किसी भी निषेध के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. अगर सभी नहीं, तो भी हममें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो मेंटल हेल्थ की समस्या से जूझ रहे हैं. और हम में से बहुतों को मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट द्वारा उचित टेस्टिंग से मेंटल हेल्थ की बीमारियों का पता लगाया गया है. मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर के साथ भी अच्छी जिंदगी गुजारना मुमकिन है.
बीमारी का पता चलने के बाद स्वीकारोक्ति से मदद मिलेगी. मुझे समझने दें और अपनी बात कहने दें- मैं आपको यह बात खुद डिस्थाइमिया (लगातार हल्का डिप्रेशन) पीड़ित व्यक्ति के रूप में लिख रहा हूं. मेरी बीमारी का पता एक काबिल क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक द्वारा लगाया गया था और टॉक थेरेपी व दवाओं की मदद से अपनी देखभाल कर रहा हूं. ऐसा नहीं है कि मैं पूरी तरह ठीक हो गया हूं. जिंदगी हम सबको कभी न कभी झकझोर देती है. हालांकि, मैं अपनी समस्याएं समझने के बाद खुलकर मदद लेता हूं.
उम्मीद है कि आप पूरी मेंटल हेल्थ जांच के लिए जल्द एक अच्छे मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से मिलेंगे.
मुस्कान के साथ
रेनबोमैन
अंतिम बातः प्लीज एक प्रोफेशनल से मिलें. खुद बीमारी का अंदाजा न लगाएं– प्लीज प्लीज.
डियर रेनबोमैन,
एक बहुत छोटा सा सवाल– क्या सिंगल होना एबनॉर्मल है? हर कोई रिलेशनशिप में होने के लिए क्यों उतावला है?
सिंगल-नो-मिंगल
डियर सिंगल-नो-मिंगल,
मुझे लिखने के लिए शुक्रिया.
नहीं, सिंगल होना गलत (या सही) नहीं है. रिलेशनशिप में होना सही (या गलत) नहीं है.
सिंगल होने में कोई बुराई नहीं है, भले ही आप इकलौते ऐसे शख्स हों. सिर्फ यह मायने रखता है कि आप खुद के प्रति ईमानदार हैं और अपने साथ खुश हैं. तो आप सिंगल होकर भी रिलेशनशिप बना सकते हैं, या सिंगल होकर भी रिलेशनशिप नहीं बना सकतें और कभी-कभी रिलेशनशिप बनाना और कभी-कभी सिंगल रहना, हर चीज सही है. जिसमें भी खुशी मिले.
रेनबोमैन
अंतिम बातः यह ठीक है. गंभीरता से कह रहा हूं.
(हरीश अय्यर एलजीबीटी समुदाय, महिलाओं, बच्चों और जानवरों के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक समान अधिकार कार्यकर्ता हैं.)
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Published: 02 Jan 2021,06:51 PM IST