(चेतावनी: कुछ प्रश्न आपको विचलित कर सकते हैं. पाठक को पढ़ने से पहले विवेक का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.)
सेक्सॉल्व समता के अधिकार के पैरोकार हरीश अय्यर का फिट पर सवाल-जवाब पर आधारित कॉलम है.
अगर आपके मन में सेक्स, सेक्स के तौर-तरीकों या रिलेशनशिप से जुड़े कोई सवाल हैं, और आपको किसी तरह की सलाह की जरूरत है, किसी सवाल का जवाब चाहते हैं या फिर यूं ही चाहते हैं कि कोई आपकी बात सुन ले- तो हरीश अय्यर को लिखें, और वह आपके लिए ‘सेक्सॉल्व’ करने की कोशिश करेंगे. आप sexolve@thequint.com पर मेल करें.
पेश हैं इस हफ्ते के सवाल-जवाबः
डियर रेनबोमैन,
मैं और मेरी गर्लफ्रेंड हमउम्र हैं. दोनों 20 साल के हैं. मेरी समस्या यह है कि उसे बड़ी उम्र के पुरुष पसंद हैं. कई बार वह मजाक में मुझसे कहती है कि किसी बड़ी उम्र के पुरुष का साथ चाहती है और उसके साथ सेक्स करने का मन करता है. उसने मुझे यह भी बताया कि उसे मुझसे इसलिए प्यार हो गया क्योंकि मैं अपनी उम्र से ज्यादा “परिपक्व” दिखता हूं. जब हम सेक्स करते हैं तब भी वह ऐसी ही बातें बोलती और करती है, जिससे मुझे अचंभा होता है कि वह सेक्स कर रही है, या खुराफात कर रही है या सिर्फ नई चीजें आजमाने के लिए ऐसा कर रही है.
मैं विस्तार से नहीं बता सकता कि वह क्या करती है, लेकिन मैं आपको इतना ही कह सकता हूं कि वह मुझे हर जगह के बाल सफेद कर लेने को कहती है. मैंने उससे पूछा कि क्या उम्रदराज पुरुषों से उसका कभी सेक्स संबंध रहा है– तो उसने कहा नहीं. मैंने पूछा क्या उम्रदराज पुरुषों ने कभी उसके साथ सेक्सुअल असॉल्ट किया– उसने कहा नहीं. इसके बाद मैं सोच में पड़ गया कि फिर वह क्यों उम्रदराज मर्दों से मिलना चाहती है? वह उम्रदराज मर्दों से क्या बात करना चाहती है. वह उम्रदराज मर्दों से क्यों सैक्स करना चाहती है. वह क्यों मुझे मैच्योर देखना चाहती है. प्लीज समझने में मेरी मदद करें.
बॉम्बे वाला
डियर बॉम्बे वाला,
मुझे मेल लिखने के लिए शुक्रिया.
मुझे लगता है कि आप अपनी गर्लफ्रेंड के मन में क्या है यह जानने की बुरी तरह कोशिश कर रहे हैं. और इसने आपको कई तरह के हालात की कल्पना करने के लिए उकसाया, जहां आपने उसकी कल्पनाओं और ख्वाहिशों के जन्म का जरिया तलाशना शुरू कर दिया है. मेरे पास आपके लिए एक सलाह है— “मत करो”.
यह एक फिसलन भरी ढलान है. आपके करीबी के मन में क्या है, यह जानने के लिए आप अपने दिमाग में गहरे उतरें, लेकिन तब भी आप उसके मन को नहीं पढ़ पाएंगे. न ही समझ पाएंगे कि उसका शरीर क्या महसूस करता है. आप अंदाजा लगा सकते हैं, आप उसकी जगह खुद को रखकर सोच सकते हैं शब्दों के गहरे आध्यात्मिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक अर्थों को समझने की कोशिश कर सकते हैं, हालांकि, फिर भी आप असल में कभी भी यह महसूस नहीं पाएंगे कि दूसरा शख्स क्या महसूस कर रहा है.
मुझे पता है कि हम सभी लोग वजह और असर के बारे में सोचते हैं. विज्ञान और गणित सभी हमें यही सिखाते हैं. हम सभी अपने व्यवहार की वजह का पता लगाने की कोशिश करते हैं. हम उसे ढूंढते-ढूंढते थक जाते हैं, फिर भी जो कुछ होता है उसकी कोई वजह नहीं ढूंढ पाते.
खुद से पूछें– अगर आप इस ख्वाहिश की वजह का पता लगा भी लें तो क्या करेंगे? क्या उसकी वजह से कभी भी आपका प्यार बदलेगा? अब आप उसे अपनी जिंदगी के एक हिस्से का तौर मानते हैं. आपके अपने लफ्जों में वह और आप प्यार करने वाले जोड़े हैं. आप अपने शांत मन की कीमत पर इस तलाश में क्यों जाएंगे? हम सभी की फैंटेसी होती हैं.
उसे बिना शर्त प्यार करें. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसका अतीत क्या है, आप अपने वर्तमान हैं. शक को अपने मन पर हावी न होने दें और उसके मन की गहराई में न झांकें.
सप्रेम
रेनबोमैन
अंतिम बात: कभी-कभी आपको प्यार की नई लहर के साथ चलने के अपने ख्यालों को आजाद कर देने की जरूरत होती है.
डियर रेनबोमैन,
मैं 38 वर्षीय महिला हूं और अपनी चचेरी बहन से प्यार करती हूं– तकनीकी रूप से वह हमारी बहुत दूर की रिश्तेदार है, लेकिन हमारे परिवार काफी करीब हैं और मां-बाप अभी भी हमें चचेरी बहनों के रूप में देखते हैं. मेरे मां-बाप एलजीबीटी को लेकर काफी सहज हैं, लेकिन मैं उन्हें कैसे बताऊं कि हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं. क्या वो सोचेंगे कि हम एबनॉर्मल हैं?
लेडी लव, चंडीगढ़
डियर लेडी लव,
मुझे लिखने के लिए शुक्रिया.
यह सच है कि हममें से कई लोगों का अपने रिश्तेदारों के लिए रुझान रहा है, लेकिन समाज को क्या सही-गलत लगेगा, उसके हिसाब से चलने के वास्ते हमेशा अपनी ख्वाहिशों का गला घोंट दिया है. प्यार इन बंदिशों से आजाद होता है. प्यार को बेड़ियों से नहीं बांधा जा सकता.
चूंकि आप करीबी नहीं बल्कि बहुत दूर की रिश्तेदार हैं, और आपके मां-बाप एलजीबीटी अधिकारों को लेकर सहज हैं, क्या आप उनसे बात करने से पहले उनके जवाब के बारे में सोच रही हैं? क्या यह सच में सोचने वाली बात है?
आप अपनी हकीकत को अपने मन में रखते हैं. यह आपका सच है. हालांकि, जब लोग इसके बारे में जान जाते हैं, तो लोग आपकी हकीकत को किस तरह अपनाते हैं, यह उनका दायरा है. आप उनको रास्ता दिखा सकती हैं, लेकिन गारंटी नहीं दे सकतीं कि वे कैसे सोचेंगे. इसीलिए अगर आप आर्थिक और भावनात्मक रूप से आत्मनिर्भर होते हैं, तो इससे मदद मिलती है.
साथ ही मां-बाप को भी पूरी कोशिश करने की जरूरत है. उन्हें भी अपने बच्चों की सच्चाई को कबूल करने में कई मंजिलों से गुजरना पड़ता है. आपके लिए यह आपकी भावना, आपका अहसास, आपका शरीर है. उनके लिए, यह सचमुच दूसरे के शरीर, दूसरे मन और दूसरे शख्स की जगह खुद को रख कर सोचना है.
खुद को मौका दें, उन्हें मौका दें. बताना आपका फैसला होगा, कुबूल करना और कैसे कुबूल करना या नहीं करना है यह उनका फैसला होगा. बस इतना पक्का करें कि आप आजाद हैं– मन से, पैसे से और शरीर से– ताकि आपकी जिंदगी उनके फैसलों से तय न हो.
मुस्कान के साथ
रेनबोमैन
अंतिम बात: प्यार अपना रास्ता तलाश लेता है.
डियर रेनबोमैन,
मैं जानना चाहती हूं कि क्या गर्भ में बच्चे को रखने और जन्म देने की कोई दर्दरहित प्रक्रिया है.
एक प्रेग्नेंसी विचार
डियर शख्स,
मुझे लिखने के लिए शुक्रिया. मुझे लगता है कि आपका मतलब बच्चे को गर्भ में रखने से है. क्या मैं सही हूं?
मैं जानता हूं कि साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है और बच्चे की परवरिश और बच्चे को जन्म देना समय के साथ बेहतर होता गया है. मुझे नहीं पता कि यह किस तरह “दर्द रहित” या कितनी मुश्किलों के बिना हो सकता है. मेरा सुझाव है कि आप खुद गाइनेकोलॉजिस्ट से बात करें, जो आपको सलाह दे सकती हैं और जरूरी होने पर आपके शरीर की जांच भी कर सकती हैं. मैं इस सवाल का जवाब देने के लिए शिक्षित नहीं हूं.
ढेर सारा प्यार
रेनबोमैन
अंतिम बात: आप बहुत अच्छी तरह कर लेंगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
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