यूं तो हम रोजाना के खाने में हल्दी का मसाले के तौर पर इस्तेमाल करते ही हैं, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान हल्दी के इम्युनिटी-बूस्टिंग क्वालिटी की काफी चर्चा रही है.
भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और दूसरे आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने कोविड बीमारी से ठीक होने के बाद बेहतर सेहत के लिए हल्दी की थोड़ी मात्रा रोजाना लेने की सलाह दी है.
भारत हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक है और दुनिया के कुल उत्पादन का 70-75 फीसद हिस्सा पैदा करता है. महामारी के दौरान दुनिया भर में इस मसाले की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ी. रिपोर्टों के मुताबिक, हल्दी की बिक्री में 2020-21 में 25-30 फीसद बढ़ोतरी की संभावना है.
दुनिया जब इस सुनहरे मसाले हल्दी को समझने की कोशिश कर रही है, आइए इसके अनगिनत फायदों और इससे जुड़े कुछ आम मिथकों पर एक नजर डालें.
हल्दी (Turmeric) करक्यूमा लोंगा (Curcuma longa) का एक उत्पाद है, जो कि अदरक परिवार (ginger family) का एक पौधा है. हल्दी के औषधीय गुण आमतौर पर एक कंपाउंड से मिलते हैं, जिसे करक्यूमिन (curcumin) कहा जाता है. कई अध्ययनों में पाया गया है कि हल्दी में करक्यूमिन, जो कि पीले रंग का पिगमेंट है, सेहत के लिए फायदेमंद गुणों का भंडार है.
“करक्यूमिन में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण होते हैं और यह शरीर की अंदरूनी सफाई की क्षमता को बढ़ा सकता है. करक्यूमिन महिलाओं में माहवारी की ऐंठन को दूर करने में मदद कर सकता है क्योंकि इसमें एंटी-स्पास्मोडिक गुण होते हैं. यह लेप्टिन के स्तर में वृद्धि और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम कर वजन घटाने में मदद करता है.” मशहूर डायटीशियन और न्यूट्रीशनिस्ट गीता शेनॉय ने फिट को बताया.
हल्दी असल में सिर्फ तीन फीसद करक्यूमिन है. इसके अलावा, करक्यूमिन का हमारे शरीर में अवशोषित होना बहुत मुश्किल है और हम जितना खाते हैं उसका सिर्फ 25 फीसद अवशोषित करते हैं.
डॉ अनीता जैन जिन्होंने दवा देने से होने वाली कार्डियो-टॉक्सिसिटी के खिलाफ करक्यूमिन के प्रभावों का अध्ययन किया है, बताती हैं,
उनके अध्ययन का निष्कर्ष है, “कार्डियो-ऑन्कोलॉजिकल थेरेपी के विकास के लिए करक्यूमिन में काफी संभावनाएं है.”
कई हेल्थ बेनिफिट के बावजूद हल्दी कोविड-19 का कोई इलाज नहीं है, जैसा कि महामारी की शुरुआत के बाद से कई वायरल पोस्ट में बताया गया है.
फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने ट्विटर पर दावा किया कि हल्दी और नींबू का सेवन कोरोना वायरस से ‘मुकाबला’ करने में मदद करता है. उन्होंने दावा किया कि कोविड-19 के खिलाफ घर का बना रसम (एक दक्षिण भारतीय डिश) भी बहुत फायदेमंद और असरदार है. इस पर फैक्ट-चेक आप यहां पढ़ सकते हैं.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कोविड-19 के बारे में गलत या भ्रामक जानकारी का मुकाबला करने के लिए @COVIDNewsByMIB नाम का एक ट्विटर हैंडल बनाया है. उन्होंने भी एक ट्वीट में इस दावे को खारिज किया है.
इसी तरह, हल्दी को अल्जाइमर के इलाज में मदद का भी श्रेय दिया जाता है. हालांकि अध्ययनों से साबित हुआ है कि अल्जाइमर के इलाज में करक्यूमिन से फायदा हुआ है, न कि खुद हल्दी से.
गीता शेनॉय बताती हैं कि हल्दी में ज्यादा मात्रा में ऑक्सलेट्स होते हैं और गर्भावस्था के दौरान, पित्ताशय (gall bladder) की बीमारी वाले लोगों, खून को पतला करने वाली दवाएं लेने वालों और किडनी में पथरी वाले लोगों में समस्याएं पैदा करते हैं.
वह कहती हैं, “इलाज या निरोगी रहने के मकसद से हल्दी का सेवन करने वाले लोगों को रोजाना 1/2 से 1 चम्मच से ज्यादा नहीं लेना चाहिए, वह भी कई खुराक में.”
कैंसर के इलाज के बारे में भी इसी तरह के दावे किए गए हैं. एक दावा मिला, जिसमें कहा गया था, “हल्दी कैंसर को खत्म करती है. हल्दी कैंसर को ठीक करती है और कैंसर होने से रोकती है. हल्दी एंटी-कैंसर है. अगर आप हफ्ते में तीन दिन हल्दी मिला पानी पीते हैं, तो आप भविष्य में कैंसर से हमेशा सुरक्षित रहेंगे.”
इस पोस्ट को ट्विटर और फेसबुक पर भी शेयर किया गया.
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज (IJMS) में आए एक अध्ययन में करक्यूमिन के कई कैंसर-रोधी गुणों पर शोध किया गया है. अध्ययन के मुताबिक, कई तरह के कैंसर में करक्यूमिन की एंटी-ट्यूमर एक्टिविटी पाई गई है क्योंकि इसमें कई तरह के कैंसर सेल को टार्गेट करने की क्षमता है.
यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि हल्दी किसी दूसरे ट्रीटमेंट के बिना कैंसर को अकेले रोक सकती है या ठीक कर सकती है.
पांच साल पहले, टर्मरिक लाटे (turmeric latte) ने इंटरनेट पर सनसनी मचा दी थी. “गोल्डन मिल्क” 2016 का अनऑफिसियल ड्रिंक बन गया था और गूगल ने सिर्फ नवंबर 2015 से जनवरी 2016 तक के बीच हल्दी से संबंधित सर्च में 56 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी.
इस मसाले का धार्मिक महत्व भी है. आइरिस एफएफ बेंज़ी और सिसी वाचटेल-गैलोर की लिखी हर्बल मेडिसिन नाम की किताब में बताया गया है कि भारत में लगभग 4000 साल पहले वैदिक संस्कृति में हल्दी का इ्सेतमाल होता था. हिंदू धर्म में, हल्दी को शुभ और पवित्र माना गया है. यह भी माना जाता है कि मसाला बुरी आत्माओं से रक्षा कर सकता है. बौद्ध धर्म में भी हल्दी को पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है.
जब से हल्दी के स्वास्थ्य के फायदों के बारे में चर्चा ने जोर पकड़ा है, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे विकसित देशों में भारतीय हल्दी की मांग में बढ़त देखी गई है.
अध्ययनों के मुताबिक, करक्यूमिन सेहत के लिए फायदेमंद है और इसे हमारी डाइट में शामिल किया जाना चाहिए. इसलिए, हम गोल्डेन लाटे या हल्दी दूध लेना जारी रख सकते हैं, लेकिन हमें कोरोना वायरस, कैंसर या दूसरी बीमारियों को दूर करने के तरीके के रूप में इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए. हमें अपनी डाइट में हल्दी की मात्रा बढ़ाने से पहले डॉक्टर से भी सलाह लेनी चाहिए ताकि इसके साइड इफेक्ट से बचा जा सके.
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