ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की खबर ने दुनियाभर में चिंता फैला दी है. 19 दिसंबर को ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने घोषणा की थी कि वायरस के नए वेरिएंट के फैलने की क्षमता 70% ज्यादा हो सकती है. उनके स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक ने कहा कि नया वेरिएंट 'नियंत्रण से बाहर' है.
ये खबर आते ही सऊदी अरब और कई यूरोपीय देशों- इटली, बेल्जियम, फ्रांस और नीदरलैंड ने यूके से आने और जाने वाली फ्लाइट्स पर प्रतिबंध लगा दिया.
दुनिया चिंतित है, क्रिसमस प्लान कैंसल किए जा रहे हैं और लोग जानना चाहते हैं: COVID-19 महामारी के लिए इसका क्या मतलब है? क्या वायरस म्यूटेशन सामान्य हैं? क्या ब्रिटेन में पाया गया नया स्ट्रेन मौजूदा वैक्सीन के असर को प्रभावित करेगा?
फिट आपको बता रहा है-
वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट डॉ. जैकब टी जॉन फिट को दिए एक इंटरव्यू में बताया था, “नोवेल कोरोनावायरस एक सिंगल-स्ट्रैंडेड आरएनए वायरस है. ऐसे वायरस के लिए म्यूटेशन नियम है, अपवाद नहीं."
म्यूटेशन किसी वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस में आया बदलाव होता है. ये याद रखना महत्वपूर्ण है कि वायरस हर समय म्यूटेट होते हैं. रेप्लीकेशन प्रोसेस म्यूटेशन को वायरस के जीवन चक्र और विकास का हिस्सा बनाती है.
सभी "नए स्ट्रेन" या "नए वेरिएंट" को समझने के लिए एक आसान नियम ये देखना है कि क्या वायरस का व्यवहार बदल गया है.
अधिकांश मामलों में, वायरल म्यूटेशन का व्यक्तियों को प्रभावित करने पर शायद ही कोई असर होता है. वहीं, कई मामलों में, म्यूटेशन वास्तव में वायरस को कमजोर बना सकता है, जैसा कि फिट ने पहले समझाया था. लेकिन कुछ उदाहरणों में, म्यूटेशन वायरस को फायदा पहुंचा सकता है - जो शायद यूनाइटेड किंगडम में हो रहा है. द कन्वरसेशन के मुताबिक ये सुनिश्चित करेगा कि जिन वायरस में ये म्यूटेशन (या म्यूटेशन के कॉम्बिनेशन) होते हैं, वे नेचुरल सेलेक्शन के जरिये सही एपिडेमियोलॉजिकल एन्वायरमेंट(महामारी के वातावरण) में संख्या में वृद्धि करते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन, एंटवर्प के डायरेक्टर डॉ. मार्क-एलेन विडोसन कहते हैं-
"कई म्यूटेशन का मतलब कुछ भी नहीं है, या कम से कम ये कहा जा सकता है कि वे उन कारणों से अधिक सफल हैं जिन्हें हम नहीं जानते हैं. उदाहरण के लिए एक अलग स्ट्रेन अधिक संक्रामक हो सकता है, लेकिन कम बीमारी का कारण बन सकता है. लब्बोलुआब ये है कि हमें निगरानी करने की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में, कोई सबूत नहीं है कि ब्रिटेन का नया स्ट्रेन अधिक संक्रामक है और गंभीर नहीं है और न ही इलाज या टीकाकरण के लिए प्रतिरोधी है."
नए वेरिएंट का नाम VUI-202012/01 (दिसंबर 2020 में पहला "वेरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन") है और इसे करीब 20 म्यूटेशन द्वारा परिभाषित किया गया है. सैद्धांतिक रूप से, स्पाइक प्रोटीन के इस भाग में बदलाव का मतलब है- वायरस अधिक संक्रामक हो सकता है और लोगों के बीच अधिक आसानी से फैल सकता है.
यूके वेरिएंट में देखे गए कई म्यूटेशन महामारी के दौरान पहले भी देखे गए हैं. फिर भी, यूके वेरिएंट को एक असामान्य संख्या वाले और म्यूटेशन के कॉम्बिनेशन के तौर पर परिभाषित किया गया है.
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 3 कारक COVID-19 के नए वेरिएंट को लेकर चिंता पैदा कर रहे हैं:
ये पहली बार नहीं है जब वायरस के स्पाइक में बदलाव देखा गया है. लेकिन यूके में देखे गए वेरिएंट को अलग बनाता है इसका बढ़ता फैलाव - भले ही हमारे पास पर्याप्त डेटा नहीं है जो ये बताए कि म्यूटेशन तेजी से फैलता है या रोग की गंभीरता को प्रभावित करता है. नए स्ट्रेन से उपजा डर प्रारंभिक आंकड़ों और मॉडलिंग पर आधारित है.
इंग्लैंड के मुख्य चिकित्सा अधिकारी क्रिस व्हिट्टी ने द गार्जियन के हवाले से कहा,
व्हिट्टी कहती हैं- कुछ दिनों पहले कुछ इलाकों में ये वेरिएंट 10% से 15% मामलों से जुड़ा था, लेकिन पिछले हफ्ते ये लंदन में करीब 60% मामलों में पाया गया.
महत्वपूर्ण रूप से, लोगों के एक समूह के बीच एक स्ट्रेन का ज्यादा प्रसार का इसकी ताकत से लेना-देना नहीं हो सकता है, लेकिन ये मानव व्यवहार जैसे अन्य कारकों का फंक्शन हो सकता है, जैसा कि दक्षिण अफ्रीका में देखा गया था. नए स्ट्रेन और जोखिम (अगर हो) के संक्रमण को जानने के लिए लैब एक्सपेरिमेंट्स की जरूरत होगी. फिलहाल, विशेषज्ञों का मानना है कि सतर्क रहने के कई कारण हैं.
क्रिस व्हिट्टी ने ये भी स्पष्ट रूप से कहा कि इस वेरिएंट से बीमारी की गंभीरता में बदलाव, मृत्यु दर के संदर्भ में या संक्रमित लोगों के लिए COVID-19 के मामलों की गंभीरता पर असर को लेकर अभी तक कोई सबूत नहीं हैं. इन कारकों पर जांच अभी भी जारी है.
हालांकि, ट्रांसमिशन रेट में वृद्धि का मतलब है कि पहले की तुलना में अधिक लोग संक्रमित हो सकते हैं और इससे पहले से ही दबाव झेल रहे स्वास्थ्य व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है, और ज्यादा लोगों को अस्पताल में इलाज की जरूरत पड़ सकती है.
एनएचएस टेस्ट एंड ट्रेस एंड पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड में जॉइंट मेंडिकल एडवाइजर सुसान हॉपकिंस ने कहा,
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स के प्रोफेसर अरिंदम मैत्रा द इंडियन एक्सप्रेस को बताते हैं- नोवल कोरोनोवायरस के स्ट्रेन जेनेटिकली एक जैसे होते हैं, यही वजह है कि वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अभी तक जितना गंभीर इस बीमारी को पाया गया है उससे ज्यादा कोई और गंभीर असर नहीं दिखेगा.
नए वेरिएंट को लेकर अभी भी खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन यूके के स्वास्थ्य सचिव मैट हैनकॉक का मानना है कि COVID वैक्सीन अभी भी कारगर होंगे.
नए वेरिएंट में स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन हैं. वैक्सीन इन हिस्सों को ही टारगेट कर रहे हैं. हालांकि, वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन में कई रीजन के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा करते हैं, इसलिए ये संभावना नहीं है कि ये बदलाव वैक्सीन को कम प्रभावी बना देगा.
COG-UK के डायरेक्टर शेरोन मोर ने साइंस मीडिया सेंटर को जानकारी दी:
Pfizer और Moderna वैक्सीन कैंडिडेट में इस्तेमाल की गई mRNA तकनीक को पारंपरिक वैक्सीन की तुलना में अपडेट करना आसान है. फिर भी इसकी जरूरत पड़ने से काफी साल पहले हम ऐसा सोच रहे हैं.
स्विटजरलैंड के बर्न यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. एम्मा होडक्रॉफ्ट ने कहा, "अब, इससे पहले कि हमें इनकी जरूरत पड़े, वैज्ञानिकों और सरकारों के लिए सिस्टम को तैयार करने के लिए ये उपयोगी उपाय हैं- खासकर तब जब हम लोगों का वैक्सीनेशन शुरू करने जा रहे हैं." "लेकिन जनता को घबराना नहीं चाहिए."
ये वेरिएंट पूरे ब्रिटेन में पाया गया है, ये लंदन और दक्षिण पूर्व इंग्लैंड में ज्यादा केंद्रित है.
बीबीसी ने नेक्स्टस्ट्रेन के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि दुनिया भर में वायरल सैंपल से पता चला है कि डेनमार्क, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया में मामले ब्रिटेन से आए हैं.
CISR- सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद के डायरेक्टर डॉ. राकेश मिश्रा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमने भारत में इस वेरिएंट को नहीं देखा है. लेकिन हम म्यूटेशन पर नजर रख रहे हैं क्योंकि वे लगातार हो रहे हैं. फिलहाल, ये चिंतित होने वाली चीज नहीं है और कुछ देशों तक ही सीमित है. ”
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)