संयुक्त राष्ट्र(UN) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, पशुओं और कीटों से इंसानों में फैलने वाली बीमारियों की श्रेणी में कोरोना वायरस भी है. इनके उभरने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि इंसान लगातार वन्यजीव और निवास स्थान को नुकसान पहुंचा रहा है. क्लाइमेट चेंज के साथ-साथ जंगली जीवों का मीट खाना भी प्रमुख कारक है. इस नई रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है.

विज्ञान की भाषा में ऐसी बीमारियों को ‘जूनोटिक डिजीज’ कहा जाता है. कोरोना वायरस पैदा करने वाले SARS-CoV-2 वायरस के अलावा, पहले इस तरह के 'जूनोटिक रोगों' के लिए जिम्मेदार पैथोजेन्स में इबोला, MERS, HIV/एड्स और वेस्ट नाइल वायरस जैसे महामारी एजेंट शामिल हैं.

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर इंसानों ने पर्यावरण और जंगली जीवों को नहीं बचाया तो उसे ऐसी ही और बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.

यूनाइटेड नेशंस इन्वायरमेंट प्रोग्राम (UNEP) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इंगेर एंडरसन ने रिपोर्ट में कहा, "हमने अपने जंगली स्थानों की कीमत पर गहन खेती, विस्तारित बुनियादी ढांचे और संसाधनों को बढ़ाया है."

50 सालों में 260% तक जानवरों के मीट की खपत बढ़ी

एंडरसन के मुताबिक, समस्या का बढ़ाने वाले अन्य प्रमुख कारणों में से एक, मीट की वैश्विक मांग है, जिसमें पिछले 50 सालों में 260% की बढ़त देखी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ जानवर, जैसे कि चूहे, चमगादड़ इस तरह की बीमारी इंसानों में फैलाते हैं.

जानवरों से होने अलग-अलग तरह की बीमारियों के कारण दुनिया भर में हर साल तकरीबन 20 लाख लोगों की मौत हो जाती है.

रिपोर्ट कहती है- पर्यावरण को लगातार पहुंचने वाला नुकसान, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, जलवायु परिवर्तन और जंगली जीवों के मांस के इस्तेमाल ने ही कोरोना संक्रमण जैसी बीमारियों को जन्म दिया है. संस्था ने कहा कि इन सभी बीमारियों के लिए असल में इंसान जिम्मेदार है क्योंकि उसी ने नियमों को तोUN ने कहा कि सभी देशों को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने होंगे और जंगली-जानवरों का उत्पीड़न रोकना होगा.ड़ते हुए अपनी मनमर्जी से पर्यावरण और जीव-जंतुओं का दोहन शुरू किया है.

UN ने कहा कि सभी देशों को इस दिशा में जरूरी कदम उठाने होंगे और जंगली जानवरों का उत्पीड़न रोकना होगा.

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