इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म की एक स्टडी बताती है कि भारत में मात्र 26 प्रतिशत लोगों के शरीर में पर्याप्त विटामिन बी-12 है. इसका मतलब है कि बाकी की 74 फीसदी आबादी विटामिन बी-12 की कमी (या बॉर्डर लाइन पर) से जूझ रही है.
विटामिन B12 शरीर की कोशिकाओं को काम करने में मदद करता है. इसकी कमी से कोशिकाएं ठीक से काम करना बंद कर देती हैं. ये तंत्रिका तंत्र को दुरुस्त रखता है.
लंबे समय तक इस विटामिन की कमी के बाद ही इसके लक्षण दिखाई देते हैं.
थकान/ एनर्जी में कमी
बाल गिरना
कमजोर याददाश्त
चिड़चिड़ापन
मुंह या जीभ में छाले
वजन कम होना / भूख कम लगना
पीला पड़ना
मासिक धर्म की समस्या
मांसपेशियों में ऐंठन
हाथ और पैरों में झुनझुनी
सांस फूलना
डिप्रेशन
ज्यादा कमी होने पर तलवों और हाथों में जलन होती है
एक ब्लड टेस्ट से ये पता लगाया जा सकता है कि आपमें विटामिन B12 की कमी है या नहीं.
विटामिन बी-12 मांस, अंडे, दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स में मिलता है. इसकी पूर्ति के लिए विटामिन बी-12 के कैप्सूल भी दिए जा सकते हैं. हालांकि कोई भी सप्लीमेंट बिना डॉक्टरी सलाह के नहीं लेना चाहिए.
विटामिन बी-12 ज्यादातर मांसाहार में पाया जाता है, इसलिए जो वेजिटेरियन लोग अपने B₁₂ का इनटेक बढ़ाना चाहते हैं, उन्हें डेयरी प्रोडक्ट्स, जैसे दूध, पनीर और दही, सोया दूध, अंडे, अनाज पर ध्यान देना चाहिए.
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