थायराइड की बीमारियां दुनिया भर में सबसे आम एंडोक्राइन डिसऑर्डर में से हैं. भारत में भी थायराइड के काफी मामले सामने आते हैं. कई स्टडीज के आधार पर अनुमान लगाया है कि भारत में थायराइड के करीब 4.2 करोड़ मरीज हैं, जिसे विशेषज्ञ अब तक 5 करोड़ से ज्यादा होने की बात करते हैं.

साल 2017 की रिपोर्ट एक स्टडी के हवाले से बताती है कि लगभग हर तीसरा भारतीय थायराइड डिसऑर्डर से जूझ रहा है. वहीं इंडियन थायराइड सोसाइटी के मुताबिक एक तिहाई मरीज इससे अनजान होते हैं.

क्या है थायराइड डिसऑर्डर?

(फोटो: iStock/Altered by The Quint)

हर इंसान के गले में थायराइड ग्लैंड होती है. थायराइड ग्लैंड हमारे एंडोक्राइन सिस्टम का हिस्सा है, जिसका काम आयोडिन की मदद से थायरॉक्सिन (T4) और ट्राइआयोडोथायरोनिन (T3) हॉर्मोन प्रोड्यूस करना है.

ये हार्मोन शरीर के मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करते हैं और हमारे सांस लेने, शरीर के तापमान, हार्ट रेट, कोलेस्ट्रॉल लेवल, वजन और मांसपेशियों को रेगुलेट करते हैं.

जब इस ग्लैंड के काम में कोई गड़बड़ी आती है, तो इसका असर इन हार्मोन के प्रोडक्शन पर भी पड़ता है और इसे थायराइड डिसऑर्डर कहा जाता है.

जब थायराइड ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन कम या अधिकता हो जाते हैं, तब दो कंडिशन सामने आती है, तब दो कंडिशन सामने आती है.

1. हाइपोथायरायडिज्म

जब थायराइड ग्लैंड से पर्याप्त मात्रा में हार्मोन प्रोड्यूस नहीं होता, इस कंडिशन को हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं.

थायराइड के मामलों में 80 फीसदी मामले हाइपोथायरायडिज्म के होते हैं. करीब 35 की उम्र के बाद हाइपोथायरायडिज्म का रिस्क बढ़ जाता है और पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के इससे पीड़ित होने का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है.

सोर्स: थायराइड इंडिया(इंफोग्राफिक: कामरान अख्तर)

भारत में हाइपोथायरायडिज्म का मुख्य कारण आयोडिन की कमी है, जो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है.

हाइपोथायरायडिज्म के कारण वजन बढ़ने के अलावा कार्डियोवैस्कुलर बीमारियां और डायबिटीज का रिस्क भी बढ़ जाता है.

क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट रुपाली दत्ता के इस आर्टिकल के मुताबिक हाइपोथायरायडिज्म के मामले में दवाइयों के साथ अच्छा खाना, एक्सरसाइज और शरीर को पर्याप्त आराम देने की सलाह दी जाती है.

हाइपोथायरायडिज्म के मरीजों की डाइट के बारे में रुपाली दत्ता बताती हैं कि ऐसे में साबुत अनाज, रंग-बिरंगे फल और सब्जियां, बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज, वेजिटेबल ऑयल का कॉम्बिनेशन, आयोडिन के लिए नमक या सी फूड, दूध, दही, आलू, पालक, प्याज और फल में केला आपकी डाइट का हिस्सा होना चाहिए.

इसके अलावा फूलगोभी, पत्तागोभी, ब्रोकली और सोया जैसी चीजों का सेवन नियंत्रित करना चाहिए.

2. हाइपरथायरायडिज्म

जब थायराइड ग्लैंड ज्यादा हार्मोन प्रोड्यूस करती है, इस कंडिशन को हाइपरथायरायडिज्म कहते हैं.

सोर्स: थायराइड इंडिया(इंफोग्राफिक: कामरान अख्तर)
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थायराइड कंट्रोल करने के आयुर्वेदिक टिप्स पर लिखे गए इस लेख में बताया गया है कि आयुर्वेद थायराइड के मामले में ऐसी चीजें लेने से मना करता है, जो शरीर में वात और कफ बढ़ाती हों. पैकेज्ड और फ्राइड फूड और बेसन या मैदे से बनी चीजें शरीर में वात बढ़ाती हैं. दूध और दूध से बनी चीजें भी ज्यादा नहीं लेनी चाहिए क्योंकि ये कफ वर्धक होती हैं.

इसके अलावा प्राणायाम, व्यायाम और मसाज से काफी राहत मिलती है.

जीवा आयुर्वेद के डायरेक्टर डॉ प्रताप चौहान थायराइड के लिए कुछ आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे बताते हैं:

  • जलकुंभी और सहजन शरीर में आयोडीन का लेवल बेहतर बनाने में मदद करता है.

  • धनिया और जीरक सिद्ध जल सूजन से बेहतर रूप से ठीक होने में मदद करता है जो कभी-कभी थायराइड के कुछ मामलों में देखा जाता है.

  • कच्ची सब्जियां, विशेष रूप से गोभी, ब्रसेल्स, स्प्राउट्स और ब्रोकोली खाने से बचें.

  • विटामिन D की कमी से थायराइड की समस्या हो सकती है. सुबह जल्दी सूरज के संपर्क में एक अच्छा तरीका है.

  • एक्सरसाइज थायरॉयड ग्रंथियों के लिए अच्छी होती है, इम्युनिटी बूस्ट होती है और कैल्शियम मेटाबॉलिज्म रेगुलेट होता है.

  • थायराइड में प्रोसेस्ड शुगर खाने से बचना चाहिए, साथ ही नैचुरल शुगर का सेवन में कम करना चाहिए.

  • विटामिन A से भरपूर चीजें लें जैसे कि पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां, सेब और केले जैसे फल.

  • अदरक थायराइड में मदद करता है, कुछ अदरक को पानी में उबालें और इसे चाय की तरह पीएं.

(नोट: ये लेख सिर्फ आपकी सामान्य जानकारी के लिए है. सेहत से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें.)

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Published: 25 May 2020,03:55 PM IST

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