ब्रेस्ट कैंसर स्तन की कोशिकाओं में शुरू होने वाला ऐसा ट्यूमर है, जो शरीर के दूसरे ऊतकों एवं बाकी हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है.
ICMR-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च की वार्षिक रिपोर्ट 2018 में बताया गया कि ब्रेस्ट कैंसर के मामले भारत के शहरों में ज्यादा हैं, जबकि ग्रामीण इलाकों स्तन कैंसर के मामले कम हैं.
वहीं मेट्रो सिटीज में ब्रेस्ट कैंसर के ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए.
मेट्रो सिटीज और शहरों में ब्रेस्ट कैंसर के ज्यादा मामलों की वजह क्या है? क्या शहरी महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का ज्यादा रिस्क है?
इस सिलसिले में फिट ने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट, गुरुग्राम में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी में डायरेक्टर डॉ निरंजन नायक और अपोलो क्रेडल एंड चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल, नेहरू प्लेस, नई दिल्ली में ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनकोलॉजी की कन्सल्टेंट डॉ रंजना शर्मा से संपर्क किया.
डॉ रंजना शर्मा से बातचीत के आधार पर सामने आने वाले ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में शहरी और ग्रामीण भारत में अंतर की तीन मुख्य वजह हो सकती हैं:
शहरी और ग्रामीण महिलाओं की जीवन शैली में अंतर- खराब खानपान, एक्टिविटी लेवल ज्यादा न होना, मोटापा, ज्यादा एल्कोहल लेना, ये सब कैंसर के रिस्क फैक्टर हैं
पॉल्यूशन का लेवल- प्रदूषण के कारण हर तरह के कैंसर का रिस्क बढ़ता है
शहरों में ज्यादा हेल्थकेयर सुविधाएं- जिससे कि कैंसर का पता चल जाता है
डॉ शर्मा रिप्रोडक्टिव लाइफ से जुड़े फैक्टर भी गिनाते हुए कहती हैं, "जिनको बच्चे नहीं हुए, देर से बच्चे हुए या ब्रेस्ट फीड नहीं कराया, इस वजह से भी ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है."
डॉ निरंजन नाइक कहते हैं, "कैंसर किसी एक कारण से नहीं होता है. इसके कई रिस्क फैक्टर होते हैं."
India Against Cancer के मुताबिक रिस्क फैक्टर का मतलब ये नहीं है कि किसी को निश्चित रूप से ब्रेस्ट कैंसर होगा, लेकिन तमाम रिस्क फैक्टर के आधार पर सतर्कता और सावधानी अहम होती है.
ICMR-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च की वार्षिक रिपोर्ट 2018 में भी ग्रामीण और शहरी भारत में जीवन शैली, हार्मोनल, प्रजनन और पोषण संबंधी आदतों में अंतर के कारण ब्रेस्ट कैंसर के कम और ज्यादा मामलों की बात कही गई है.
स्तन कैंसर के सटीक कारण की जानकारी नहीं है. वहीं कई रिस्क फैक्टर को ध्यान में रखने की जरूरत होती है.
डॉ रंजना कहती हैं, "कुछ रिस्क फैक्टर्स का हम कुछ नहीं कर सकते, जैसे महिला होना और बढ़ती उम्र सबसे मुख्य रिस्क फैक्टर हैं, जेनेटिक फैक्टर हैं, जिन्हें हम कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. जबकि लाइफस्टाइल से जुड़े रिस्क फैक्टर्स को कंट्रोल किया जा सकता है."
अगर आपको अपने माता-पिता से कुछ दुर्लभ जीन म्यूटेशन विरासत में मिले हैं, तो आप स्तन कैंसर के जोखिम में हैं. सबसे सामान्य जीन म्यूटेशन जो ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में पाए जाते हैं, वे हैं BRCA1 और BRCA2 जीन. हालांकि इन म्यूटेशन जीन्स के होने का मतलब ये नहीं है कि आपको ब्रेस्ट कैंसर निश्चित रूप से हो जाएगा.
डॉ नाइक के मुताबिक कम उम्र में मासिक धर्म की शुरुआत होना, मेनोपॉज में देरी भी ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर हैं.
डॉ नाइक ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ाने वाले दूसरे फैक्टर्स के बारे में बताते हैं, "हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, कम्बाइन्ड ओरल कोन्ट्रासेप्टिव पिल लेना, आयनाइजिंग रेडिएशन, रेडियोथेरेपी, स्ट्रेस और संभावित रूप से शिफ्ट में काम करना."
डॉ शर्मा समझाती हैं कि बढ़ती उम्र या बुढ़ापा ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क फैक्टर है, जैसे इसमें सबसे कॉमन एज होती है 50 के बाद लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इसके पहले नहीं हो सकता.
यंग एज में भी ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है और ऐसे मामलों में भी वही रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं, जिन पर हमने पहले चर्चा की है, जैसे बैठे रहने वाली और अनहेल्दी लाइफस्टाइल, पॉल्यूशन, प्रोसेस्ड फूड, मोटापा वगैरह.
वहीं BRCA1 और BRCA2 म्यूटेशन से जुड़ा ब्रेस्ट कैंसर युवा महिलाओं में ज्यादा होता है और दोनों स्तनों को प्रभावित करता है.
सभी तरह के रिस्क फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए हमें सावधानी और सतर्कता बरतनी चाहिए. सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन और डॉक्टर से चेकअप में लापरवाही नहीं करनी चाहिए.
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Published: 16 Oct 2020,09:31 AM IST