'शादी कर लो PCOD ठीक हो जाएगा ', 'PCOD के कारण महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं हो सकतीं ', पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD) को लेकर ऐसे ही तमाम मिथ हैं, जो पूरी तरह से गलत हैं.

PCOD से जूझ रही महिलाएं ही बता सकती हैं कि वे हर दिन इन मिथकों और स्टिरियोटाइप्स से कैसे जूझती हैं. सबसे पहले समझ लीजिए कि PCOD है क्या.

महिलाओं में दो अंडाशय (ovaries) होते हैं, जो हर महीने बारी-बारी से एक अंडा (egg) रिलीज करते हैं. अंडाशय कम मात्रा में एंड्रोजन (androgens) या पुरुष हार्मोन (male hormones) का उत्पादन करते हैं. PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें अंडाशय बहुत सारे अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे रिलीज करते हैं जो अंततः सिस्ट में बदल जाते हैं.

PCOD से जुड़े कुछ कॉमन मिथ को तोड़ने के लिए फिट ने बात की डॉ अंजलि कुमार से, जिन्हें स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ के तौर पर काम करते हुए 30 साल से अधिक समय हो चुका है.

मिथ 1: PCOD कोई दुर्लभ बीमारी है

"क्या मेरी बेटी को कोई दुर्लभ बीमारी हो गई है, मुझे PCOD नहीं है, हमारे परिवार में किसी को PCOD नहीं है. फिर मेरी बेटी को ये बीमारी कैसे हो गई? क्या ये कोई दुर्लभ समस्या है?"

डॉ कुमार समझाती हैं,

आजकल PCOD कोई दुर्लभ कंडिशन या समस्या नहीं है. आज के आधुनिक जीवन में PCOD एक एपिडेमिक बन रहा है. इतना कि हर 10 में से करीब 1 महिला असल में PCOD से जूझ रही है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मिथ 2: अनियमित पीरियड्स = PCOD

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि पीरियड्स अनियमित हैं, तो इसका मतलब PCOD होना है.

मेरी सलाह है कि सबसे पहले गाइनोकोलॉजिस्ट के पास जाएं और उसे पता करने दें कि पीरियड्स रेगुलर न रहने की क्या वजह है.
डॉ अंजलि कुमार, स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ

मिथ 3: शादी कर लो PCOD ठीक हो जाएगा

डॉ बताती हैं कि PCOD लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है, जो कि शहरी आबादी में ज्यादा देखने को मिलता है. ये कहीं न कहीं बैठी रहने वाली लाइफस्टाइल, खराब खानपान, अनियमित नींद, ज्यादा तनाव और चिंता से जुड़ा है.

मेरी सलाह है कि लाइफस्टाइल ठीक कर लो और फिर सब ठीक हो जाएगा.
डॉ अंजलि कुमार, स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ

मिथ 4: PCOD वाली महिलाएं प्रेग्नेंट नहीं हो सकतीं

डॉ कुमार इसे गलत बताती हैं. वो कहती हैं, "PCOD के मरीजों को लेकर ये चिंता रहती है कि प्रेग्नेंट होने में समस्या होगी. कभी-कभी दिक्कत होती है, लेकिन अब हमारे पास कई विकल्प मौजूद हैं, जिनसे इन दिक्कतों से निपटा जा सकता है."

कई तरह की दवाइयां हैं, आर्टिफिशियल रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) है, जिससे मदद मिलती है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 01 Oct 2020,12:38 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT