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चैटबॉट, डेटिंग एप के जरिए डिजिटल स्पेस में HIV जागरुकता की तैयारी

HIV/AIDS की चुनौतियों से निपटने के लिए किस तरह हो सकता है टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल?

सुरभि गुप्ता
फिट
Updated:
 HIV/AIDS को लेकर लोगों में और जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है
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HIV/AIDS को लेकर लोगों में और जागरुकता बढ़ाने की जरूरत है
(फोटो: iStock)

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दुनिया भर में 3.7 करोड़ लोग HIV के साथ जी रहे हैं, जिनमें से 94 लाख लोगों को पता ही नहीं है कि वो HIV से पीड़ित हैं. 
UNAIDS

UNAIDS की रिपोर्ट ‘Knowledge is Power’ में ये बताया गया कि भारत में एचआईवी के साथ जीने वालों में 79% लोगों को अपने संक्रमण के बारे में भले ही पता है, लेकिन उनमें से 23% लोग अपना इलाज नहीं करा रहे.

जाहिर है HIV/AIDS को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ाने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए FHI 360 ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) और नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (NACO) के साथ मिलकर reTHINK HIV Grand Challenge की शुरुआत की है.

इसका मकसद उन लोगों तक पहुंचना है, जो ग्राउंड लेवल पर HIV को लेकर चलाए जा रहे तमाम जानकारी और जागरुकता कार्यक्रमों से अछूते रह जाते हैं. जिन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए एचआईवी और उससे जुड़ी सेवाओं के बारे में जागरूक किया जा सके.

चैटबॉट, डेटिंग एप के जरिए HIV जागरुकता

Twistle ने अपने सोशल मीडिया कैंपेन के जरिए तीन महीनों में 3,300 लोगों को रजिस्टर किया है(फोटो: iStock)

डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए HIV/AIDS को लेकर भारत में मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए reTHINK HIV Grand Challenge में एप्लिकेशन इनवाइट किए गए थे. कई राउंड के बाद तीन स्टार्ट-अप्स को चुना गया: Jubi.ai, OneKeyCare Ventures और Twistle.

Jubi.ai एचआईवी/एड्स जागरुकता के लिए चैटबॉट के डेवलपमेंट में लगी हुई है, जिसमें इससे जुड़े हजारों सवालों को शामिल किया जा रहा है.

OneKeyCare Ventures कई पॉपुलर डेटिंग एप्स पर एचआईवी/एड्स जागरुकता के लिए गेमिफिकेशन की तैयारी कर रही है.

Twistle ने अपने सोशल मीडिया कैंपेन के जरिए तीन महीनों में 3,300 लोगों को रजिस्टर किया है. ये रजिस्टर्ड लोगों के लिए ट्रीटमेंट प्लान तैयार करने, दवा लेने का वक्त या डॉक्टर को दिखाने का रिमाइंडर देने जैसे काम के साथ ही जागरुकता फैलाने के लिए कई तरह के एजुकेशनल कॉन्टेंट भी उपलब्ध कराएगी.

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(फोटो: iStock)

ग्लोबल टारगेट ये है कि साल 2020 तक 90% HIV पीड़ितों को अपने स्टेटस की जानकारी हो, 90% HIV पॉजिटिव लोग अपना इलाज कराएं और इलाज करा रहे मरीजों में से 90% लोगों में सप्रेस्ड वायरल लोड (ब्लड में HIV का लेवल सप्रेस्ड) हो. कई तरह की टेक्नोलॉजी के सहारे इस टारगेट को पूरा करने के लिए reTHINK HIV ने एक पहल की है. इसका क्या और कितना प्रभाव पड़ेगा, इसका पता तब ही लगेगा, जब तीनों स्टार्ट अप्स डिजिटल स्पेस में पूरी तरह से उतरेंगे.

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Published: 13 Dec 2018,05:41 PM IST

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