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सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर 15 मिनट में एक बच्चे का यौन शोषण होता है. ये हमारे समाज की एक भयानक सच्चाई है. लेकिन हालिया बातचीत का मकसद इस मुद्दे पर रोशनी डालना है.
एक मां, जिसका उसके बेटे के साथ बहुत मजबूत रिश्ता है, उसका ये मानना है कि उसका बच्चा उसके साथ सब कुछ शेयर कर रहा है. मासूम और प्यार भरे पलों को खूबसूरती से पिरोया गया ये वीडियो, मां-बेटे की कहानी बयान करता है. अगर बच्चों के रवैये में बदलाव आता है, तो मां-बाप अनजाने में इसे अनदेखा कर देते हैं और इसे बच्चे में होने वाले सामान्य लक्षण मानते हैं. लेकिन ये वीडियो आपको रुकने और उन पर ध्यान देने के लिए कहता है.
ये वीडियो एक नए लॉन्च किए गए अभियान #JoinTheDots का हिस्सा है, इस अभियान का मकसद मां-बाप को अपने बच्चे के बदलते व्यवहार के प्रति सतर्क रहने के लिए शिक्षित करना है.
एक्शन एड इंडिया द्वारा की गई पहल यौन शोषण की घटनाओं को रोकने के साथ-साथ बड़ों को भी प्रोत्साहित करती है कि वे देखें, सुनें और रोकने की कोशिश करके ऐसी हिंसा पर बात करें.
अपने बच्चे से बातचीत की शुरुआत, चाहे वो यौन शोषण के बारे में हो या किसी और चीज के बारे में, भले ही वो उन बुरे अनुभव से न गुजरे हों, लेकिन इस पर बात करना पैरेंट्स के लिए पेचीदा हो सकता है. यौन शोषण जैसे मुद्दे को सिर्फ तब उठाया जा सकता है, जब तक कि आप अपने बच्चे के साथ सामान्य बातचीत न शुरू कर दें. ये टूल इसी की शुरूआत करता है. बच्चों को एक महफूज जगह मुहैया किए बिना सीधे सवाल करना उन्हें और भी डरा सकता है.
इसलिए, इस संवादात्मक टूल का इस्तेमाल मां-बाप और बच्चे के बीच सक्रिय बातचीत शुरू करने के लिए किया जा सकता है, जहां दोनों बराबर का हिस्सा ले रहे हों और ये पूछताछ करने जैसा ना बनें. इसमें आपका, बच्चे के साथ बिंगो गेम खेलना शामिल है, जिसमें हर कदम पर कुछ सीधा सा सवाल पूछा जाए. ये सवाल ऐसे हों कि खुली बातचीत शुरू की जा सके ताकि आप ये समझ पाएं कि आपका बच्चा क्या महसूस कर रहा है या वो किस हालात से गुजर रहा है.
इस टूल को www.jointhedotsnow.com वेबसाइट पर देख सकते हैं.
मां-बाप और अभिभावकों को अपने बच्चे के साथ नियमित बातचीत करने के कल्चर को बढ़ावा देना होगा और बच्चों द्वारा दिए गए किसी भी तरह के इशारे को पहचानना होगा. इससे बच्चे को किसी भी तरह के शोषण से निपटने और उससे बचने में मदद मिलेगी.
इस कैंपेन को कई हस्तियों से, जैसे- शबाना आजमी, नंदिता दास और अनुपम खेर से समर्थन मिला है.
(एक्शन एड इंडिया 1972 से भारत में संवेदनशील समुदायों के साथ काम करने वाली एक एजेंसी है. मौजूदा वक्त में ये 25 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में काम कर रही है, जिसमें 250 से अधिक पार्टनर और जुड़े संगठन हैं.)
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